कोरोना काल में बड़ी चुनावी रैलियां करने को लेकर पीएम मोदी-शाह के खिलाफ लगाया जाए आपदा कानून: अभिषेक बनर्जी
अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) ने कहा कि यह कानून महामारी के बीच राज्य में आठ चरणों में चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग के खिलाफ और उस दौरान चुनाव प्रचार करने को लेकर उनकी पार्टी समेत सभी राजनीतिक दलों के विरुद्ध भी लगाया जाना चाहिए.
टीएमसी नेता अभिषेक बनर्जी (Abhishek Banerjee) ने कहा कि पश्चिम बंगाल (West Bengal) में कोविड महामारी (Covid Pandemic) के दौरान बड़ी चुनावी रैलियां (Election Rallies) करने और ‘‘लोगों की जान खतरे में डालने’’ को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के विरुद्ध आपदा प्रबंधन अधिनियम लगाया जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि यह कानून महामारी के बीच राज्य में आठ चरणों में चुनाव कराने को लेकर निर्वाचन आयोग के खिलाफ और उस दौरान चुनाव प्रचार करने को लेकर उनकी पार्टी समेत सभी राजनीतिक दलों के विरुद्ध भी लगाया जाना चाहिए.
दक्षिण 24 परगना जिले के चक्रवात प्रभावित क्षेत्रों का दौरा करने के बाद तृणमूल सांसद ने पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को केंद्र की ओर से भेजे गए ‘कारण बताओ’ नोटिस का जिक्र करते हुए यह बयान दिया. बंदोपाध्याय ने प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में हिस्सा नहीं लिया था. उन्हें आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नोटिस भेजा गया है.
‘लोगों की जान खतरे में डालने पर…’
बनर्जी ने कहा, ‘‘अगर अलपन बंदोपाध्याय, जो कोविड प्रबंधन व चक्रवात प्रभावित लोगों के पुनर्वास से जुड़े कई कार्यबलों का नेतृत्व कर रहे थे, को आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत नोटिस जारी किया गया है तो क्यों न यह कानून प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के विरुद्ध कोविड के मामले बढ़ने के दौरान बड़ी रैलियां करने और लोगों की जान खतरे में डालने पर लगाया जाना चाहिए.’’
‘…इतनी भीड़ देखकर वह बहुत खुश हैं’
उन्होंने कहा कि ‘याद करिए कि प्रधानमंत्री ने एक चुनावी सभा में कहा कि इतनी भीड़ देखकर वह बहुत खुश हैं. उन्होंने जब यह बात कही थी तब कोविड-19 के मामले बढ़ रहे थे.’ वहीं, भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने बुधवार को आरोप लगाया कि ममता बनर्जी सरकार राज्य के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय को बचा रही है, क्योंकि वह राज्य में कोविड-19 प्रबंधन संबंधी तृणमूल कांग्रेस सरकार की अनियमितताओं के बारे में जानते हैं.
शुभेंदु अधिकारी ने सीएम ममता पर लगाया आरोप
केंद्र सरकार ने बंदोपाध्याय को 31 मई को ‘कारण बताओ’ नोटिस जारी किया था. इसी दिन वह सेवानिवृत्त होने जा रहे थे. वर्ष 1987 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी अलपन बंदोपाध्याय 31 मई को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन राज्य ने उनके कार्यकाल को तीन महीने के लिए बढ़ाने की अनुमति मांगी थी जो उन्हें पिछले माह मिल गई थी. राज्य सरकार ने इसके लिए पश्चिम बंगाल में जारी कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रबंधन को लेकर उनके नेतृत्व में किए जा रहे कार्यों का हवाला दिया था.