अब एक पेड़ काटने के लिए लगाने होंगे 10 पौधे
अब 29 प्रजातियों के पेड़ काटने पर प्रतिबंध
जमानत राशि की गई दोगुनी, सख्त हुआ वन विभाग
एक पेड़ काटने के बदले लगाने होंगे दस पौधे
डुमरियागंज (सिद्धार्थनगर)। जलवायु परिवर्तन के दौर में वन विभाग ने पर्यावरण संरक्षण के नियमों में सख्ती बढ़ा दी है। पहले छह प्रजाति के पेड़ प्रतिबंधित श्रेणी थे, जबकि नए नियम के अनुुसार 29 प्रजातियों के पेड़ काटने से प्रतिबंधित किए गए हैं। ये प्रजातियां देसी हैं। देसी प्रजातियों के कारण पर्यावरण में जैव विविधता भी संरक्षित होगी। इसके साथ अब एक हरा पेड़ काटने पर दस पौधे लगाने और उसे वृक्ष का आकार लेने तक संरक्षित करना होगा।
प्रतिबंधित श्रेणी के प्रजातियों के पेड़ों को काटने से पहले वन विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है। अनुमति लेने के बाद बाद लकड़ी के परिवहन की छूट मिलती है। इस संबंध में डुमरियागंज वन क्षेत्राधिकारी हरिशंकर सिंह ने बताया कि प्रतिबंधित श्रेणी वाले प्रजातियों की संख्या से छह से बढ़ाकर 29 कर दी गई है। पेड़ काटने की अनुमति के लिए आवेदक को 10 पौधे रोपने व संरक्षण का शपथपत्र देना होगा। आज्ञा शुल्क और जमानत राशि भी जमा करना होगी। पौधों के वृक्ष बनने और वन विभाग के सत्यापन के बाद ही जमानत राशि संबंधित को वापस हो सकेगी। पहले एक पेड़ काटने के बदले दो पौधे व संरक्षण का नियम था। अब 10 पौधे लगाने की शर्त है। इसी तरह प्रतिबंधित वृक्षों में पहले छह प्रजातियां थीं। अब 29 प्रजातियां हो गईं हैं।
ये हैं प्रतिबंधित श्रेणी के पेड़
जंगल वृक्ष संरक्षण अधिनियम में हुए संशोधन के बाद शीशम, सागौन, आम, नीम, महुआ, पीपल, बरगद, गूलर, पाकड़, पलाश, बेल, चिरौंजी, रीठा, कुसुम, असना, जामुन, कंधा, अर्जुन, बीजासाल, भिलावा, तून, सलई, हल्दू, बाकली, धौ, खैर, कैथा, इमली, खिरनी आदि काटना प्रतिबंधित किया गया है।
दस पेड़ लगाने होंगे
अब हरा पेड़ काटने के लिए मामले में 10 नए पौधे लगाने के साथ ही उनका संरक्षण करना होगा। इसके लिए वन विभाग को शपथपत्र भी देना होगा। वन विभाग की टीम इसकी निगरानी करेगी। जंगल वृक्ष संरक्षण अधिनियम में हुए संशोधन के बाद 29 प्रजातियों के पेड़ों पर यह शर्त लागू किया गया है। इसके साथ ही आज्ञा शुल्क के रूप में 100 रुपये के स्थान पर अब 200 रुपये प्रति पेड़ जमा करने होंगे। जमानत राशि भी एक हजार रुपये प्रति पेड़ से बढ़कर दो हजार रुपये कर दी गई। यह राशि एनएससी (नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट) किसान बंधपत्र आदि माध्यम से जमा करनी होगी।