सरकारी आंकड़े बता रहे हैं! मध्य प्रदेश में सिर्फ मई महीने में हुईं 1.7 लाख मौतें, CRS की रिपोर्ट सामने आने के बाद शिवराज सरकार पर उठे सवाल

आंकड़े के मुताबिक, इंदौर में सबसे ज्यादा मौतें हुई हैं. इसके बाद भोपाल, जबलपुर, उज्जैन और छिंदवाड़ा जिलों में सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं.

मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Corona Death) के सिविल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (Civil Registration System) के सरकारी डेटा से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं. इस सिस्टम के मुताबिक पूरे प्रदेश में सिर्फ मई के महीने में 1.7 लाख मौतें हुई हैं. अब तक सिर्फ यह कहा जा रहा था कि राज्य में बीते 2 महीने में मरने वालों की संख्या लाखों में है, हालांकि इससे संबंधित कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया था. यह पहली बार है जब सरकारी डेटा (Government record of deaths) में दर्ज इतनी सारी मौतों के बारे में आंकड़े सामने आए हैं. बता दें कि सीआरएस राज्य में हो रहे जन्म और मृत्यु का हिसाब रखता है .

सीआरएस (CRS) के ही सरकारी डेटा के मुताबिक इस बार मई के महीने में हुई मौते हर बार होने वाली मौतों से 4 गुना ज्यादा है. इस साल जनवरी से मई के बीच पिछले साल की मुकाबले 1.9 लाख लोग ज्यादा मरे हैं . राज्य में मई 2019 में 31 हजार और 2020 में 34 हजार लोग मरे थे.

इस बार सिर्फ मई में 6 महीने के बराबर हुई मौतें

आकड़ों के हिसाब से इस बार मार्च में मौतों का आकड़ा तेजी से बढ़ने लगा. मार्च से अप्रैल तक इतने कम समय में ही मौतों की संख्या दोगुनी हो गई. हैरानी की बात है इस बार मई में 6 महीने के बराबर मौतें दर्ज हुईं हैं.

इंदौर में हुई सबसे ज्यादा मौतें

मध्य प्रदेश में कोरोना के संक्रमण से सबसे ज्यादा इंदौर शहर ही प्रभावित रहा है. डेटा की बात करें तो इंदौर में ही सबसे ज्यादा लोगों की जान गई है.इंदौर में अप्रैल-मई 2021 में 19 हजार लोगों की जान गई है. जो पिछले 2 साल के हिसाब से 2 गुना ज्यादा है. वही भोपाल में अप्रैल-मई 2019 में 528 लोगों की मौत हुई. 2020 में 1204 और 2021 में 11045 लोगों की मौतें हुई हैं,

लेकिन मौतों के यह आंकड़े इंदौर और भोपाल जैसे शहरों तक ही सीमित नहीं हैं. बल्कि छिंदवाड़ा जैसे ग्रामीण आबादी वाले जिले में भी दर्ज हुई मौतों की संख्या काफी ज्यादा है. मप्र में अप्रैल-मई 2021 में कोविड से हुई मौतों के सरकारी आंकड़े से 40 गुना मौतें दर्ज हुई हैं.

देश में हुई 86% और एमपी की 80% मौतों का हिसाब रखता है

सीआरएस के तहत ऑफिस ऑफ रजिस्ट्रार जनरल इंडिया, देशभर में जन्म और मृत्यु का हिसाब रखता है. सभी राज्यों को सीआरएस पर मौत और जन्म का आंकड़ा दर्ज करना होता है. देश में हुईं 86% और मध्य प्रदेश में हुई 80%  मौतें यहां हर हाल में दर्ज होती हैं. सीआरएस हर मौत का रिकॉर्ड रखता है, चाहे कहीं भी, किसी भी कारण से हुई हों, भले मेडिकल सर्टिफिकेट बनवाया गया हो या नहीं.

2021 में पिछले साल के मुकाबले 1.9 लाख हुई ज्यादा मौतें

मप्र में इस साल अब तक 3.5 लाख मौतें दर्ज हुई हैं. जनवरी से मई के बीच 2021 में 2019 के मुकाबले 1.9 लाख ‘ज्यादा मौतें’ हुई हैं. जबकि सरकार ने जनवरी से मई 2021 के बीच केवल 4461 कोविड मौतों की जानकारी दी है. मप्र में अप्रैल-मई 2021 में सरकारी आंकड़ों में दर्ज कोविड मौतों से 40 फीसदी ज्यादा मौतें हुई हैं.

आंकड़े के मुताबिक इंदौर में सबसे ज्यादा मौते हुई हैं. इसके बाद भोपाल, जबलपुर, उज्जैन और छिंदवाड़ा जिलों में सबसे ज्यादा मौतें हुईं हैं. वहीं इस आंकड़े के सामने आने के बाद कांग्रेस ने सरकार पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पहले ही सरकार की पोल खोल दी थी. अब सरकारी आंकड़ों ने खुद ही सारी सच्चाई बयान कर दी है.

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