अगर भारत सरकार जासूसी नहीं करवा रही तो फिर इसके पीछे कौन है? PM मोदी इसकी जांच कराएं

पेगासस प्रोजेक्ट यानी सॉफ्टवेयर के जरिए मीडियाकर्मियों, नेताओं, जजों की जासूसी का मामला इस वक्त पूरे देश में चर्चा में है। ऐम्नेस्टी संस्था और फ्रेंच मीडिया कम्पनी फॉर्बिडेन स्टोरीज को मिले डेटा को दुनिया के 16 मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया गया है। भारत की तरफ से न्यूज पोर्टल द वायर को आंकड़ों से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराई गई है।

द वायर ने रविवार रात जासूसी से संबंधित एक रिपोर्ट साझा की, जिसमें मीडिया की कई बड़ी हस्तियां हैं। द वायर के फाउंडिंग एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन का भी नाम इसमें शामिल है। द वायर के अन्य पत्रकारों का नाम भी लिस्ट में है। इस रिपोर्ट में अपना, अपने सहयोगियों और अन्य लोगों का नाम सामने आने पर वरदराजन हैरान हैं। वो इसे अभिव्यक्ति की आजादी का अतिक्रमण मानते हैं।

जानें दैनिक भास्कर के सवालों के उन्होंने क्या जवाब दिए…. सवाल- आपको पेगासस स्पाईवेयर की निगरानी करने वाली रिपोर्ट कैसे मिली? – यह रिपोर्ट नहीं है, बल्कि फोन नंबर्स का एक डेटाबेस है। फ्रेंच मीडिया NGO फॉरबिडेन स्टोरीज ने इसे हासिल किया। इन आंकड़ों को 16 मीडिया संस्थानों के साथ साझा किया। द वायर भी उनमें से एक है।

सवाल- इसे पब्लिश करने के लिए आपने क्या तैयारियां की थीं?
– सभी मीडिया ग्रुप जिनके पास यह डेटा था, उन्होंने साथ मिलकर इन आंकड़ों को वेरिफाई करने का काम किया। जिन लोगों के फोन नंबर्स इसमें शामिल थे, उनसे बात की। हमने कोशिश की कि उनके फोन (इंस्ट्रूमेंट्स ) का फोरेंसिक टेस्ट किया जाए।

सवाल- रिपोर्ट के आने से पहले भी क्या आपको लगता था कि आप निगरानी में हैं? आपके फोन की निगरानी की जा रही है?
– लंबे समय से ऐसा लग तो रहा था कि मुझ पर निगाह रखी जा रही है। मेरे फोन की निगरानी की जा रही है, लेकिन ऐसा सोचने और असलियत में इसके सबूत सामने आने में बहुत फर्क है। मतलब मुझे ऐसा लगता था कि मेरा फोन निगरानी में है, लेकिन टेक्निकल कंफर्मेशन आने के बाद सब कुछ चौंका देने वाला है।

सवाल- केवल पत्रकारों पर निगरानी क्यों? केवल ये 40 जर्नलिस्ट ही क्यों? आप क्यों?
– देखिए पत्रकारों पर निगरानी या जासूसी करना मीडिया की आजादी पर हमला करने की मंशा की प्रक्रिया का एक हिस्सा है। ऐसा करने के पीछे का मकसद कुछ खास स्टोरीज की पड़ताल होने और उन्हें पब्लिश होने से रोकना है। हमारे पास 40 लोगों की लिस्ट है, लेकिन निश्चित तौर पर यह लिस्ट इससे कहीं ज्यादा बड़ी होगी।

सवाल- क्या सरकार अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने की कोशिश कर रही है?
– NSO अपना प्रोडक्ट पेगासस सिर्फ सरकारों को बेचता है। भारत सरकार ने पेगासस के इस्तेमाल से मनाही नहीं की है। इसलिए यह मानना तार्किक है कि भारत सरकार द्वारा पेगासस का इस्तेमाल पत्रकारों, विपक्षी नेताओं सहित अन्य लोगों की जासूसी के लिए किया जा रहा है।

लेकिन, अगर ऐसा किसी दूसरे देश की सरकार की तरफ से किया जा रहा है, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पास इसकी जांच करवाने के सभी कारण मौजूद हैं। आखिर वो कौन सी विदेशी सरकार है जो भारतीय मंत्रियों, न्यायाधीशों, चुनाव आयुक्तों, अधिकारियों और पत्रकारों की जासूसी करवा रही है। निश्चित तौर पर इसकी तुरंत जांच होनी चाहिए।

सवाल- क्या और भी पेशेवरों या संस्थानों के फोन पर निगरानी या ताकझांक की गई है?
– इस हफ्ते हम रोजाना नई जानकारी डिटेल के साथ पब्लिश करने जा रहे हैं। कई हिस्सों में इस डेटाबेस रिपोर्ट को भी सभी के सामने लाया जाएगा।

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