बाढ़ से सबक:नदियाें में उफान आने से दतिया, श्योपुर और भिंड के 6 उच्च स्तरीय पुल बहे, अब 14 निर्माणाधीन पुलों का डिजाइन बदलेगा

पुलाें के टूटने और बहने की जांच के लिए भाेपाल से आएगा सेतु निगम के वरिष्ठ इंजीनियराें का दल

ग्वालियर-चंबल संभाग के पांच जिलाें में आई बाढ़ में 6 उच्च स्तरीय पुलों के बहने से लाेक निर्माण विभाग के सेतु निगम ने सबक लिया है। निगम अब संभाग के 8 जिलों में लगभग 345 करोड़ लागत के निर्माणाधीन 73 पुलाें से ऐसे 14 पुलाें का डिजाइन बदलेगा, जाे बारिश में उफनने वाली नदियाें पर बनाए जा रहे हैं। पुलाें के टूटने और बहने की जांच के लिए भोपाल से वरिष्ठ इंजीनियरों की टीम जल्द आएगी।

यह टीम पुल बहने के कारण तलाशेगी। साथ ही निर्माणाधीन पुलों में पानी के बहाव को काटने व दबाव को रोकने के लिए पूर्व में बनाए गए डिजाइन में बदलाव को अंतिम रूप देगी। दतिया, श्योपुर और भिंड में बहे सभी 6 पुल उच्चस्तरीय तकनीकी से बने थे, ये जलमग्नीय तकनीकी से अलग थे।

इस तकनीकी के पुल ऊंचे बनाए जाते हैं और इनके ऊपर पानी आने की संभावना नहीं रहती, जबकि जलमग्नीय पुल पानी आने पर उसमें डूबने की संभावना पर ही तैयार किए जाते हैं। इनमें पानी के बहाव को काटने व बचाव करने के लिए डिजाइन किया जाता है। ग्वालियर-चंबल संभाग में 91 छोटे बड़े पुल हैं। इनमें 55 पुल उच्च स्तरीय व 36 जलमग्नीय हैं। 4 पुल 100 वर्ष से अधिक पुराने भी हैं, जो कि जलमग्नीय पुल हैं।

नदियों के पुल पर लगी जालियां भी बढ़ाती हैं दबाव
नदियों पर बने पुलों पर राहगीरों कचरा फेंकें, इसके लिए डिजाइन से हटकर अतिरिक्त ऊंचाई वाली जालियां लगा दी जाती हैं। इन अतिरिक्त जालियों को बरसात के दौरान पुलाें के मेंटेनेंस के दाैरान हटाया जाना चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। नतीजा- बाढ़ के दौरान जालियों में नदियों में आई झाड़ियां व कचरा फंसने से पानी को रास्ता नहीं मिला और पानी के दबाव में पुल के स्लैब बह गए।

गौरतलब है कि 2018, 2019 और अब 2021 में लगातार बारिश के दाैरान नदियों का जल स्तर बढ़ा है, जबकि उच्च स्तरीय पुल यह सोच कर डिजाइन किए गए थे कि इन पुल के ऊपर पानी नहीं आएगा। बरसात में नदियों की जलस्तर बढ़ने के कारण अब उच्च स्तरीय पुलों में भी जलमग्नीय पुलों की तरह बरसात के पानी के तेज बहाव को काटने व बचाव के लिए अलग डिजाइन किया जाना जरूरी है।

पानी के बहाव काे काटने और बचाव के प्रबंध पर विचार किया

बारिश में नदियों का जलस्तर 2018 के बाद से लगातार बढ़ रहा है। नए उच्च स्तरीय पुल इस सोच और तकनीकी से बनाए जा रहे थे कि उनके ऊपर पानी नहीं आएगा, लेकिन हाल में आई बाढ़ में इसके विपरीत हुआ। इस कारण अब उच्च स्तरीय पुलों में भी जलमग्नीय (समरसेबल) पुलों की तरह पानी के बहाव काे काटने व बचाव के प्रबंध करने के संबंध में उच्च स्तर पर विचार किया जा रहा है।
– मोहर सिंह जादौन, कार्यपालन यंत्री, सेतु निगम पीडब्ल्यूडी

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