आगरा के सस्ते पेठे पर महंगाई की मार:कोरोना के चलते इस बार कम हुई कच्चे पेठे की फसल, कीमत बढ़ने से 50 फीसदी कम हुई मांग; 30 रुपए प्रति किलो तक बढ़े दाम

आगरा में दो ही चीजें खास हैं। एक ताजमहल और दूसरा यहां का मशहूर पेठा। कोरोना ने दोनों पर ही असर डाला है। कोरोनाकाल में एक तरफ ताजमहल पहुंचने वाले पर्यटकों की संख्या में भारी कमी आई तो दूसरी तरफ मशहूर पेठा महंगाई का रिकॉर्ड बना रहा है। पिछले एक माह में कच्चा पेठा, चीनी और गैस के दामों में इजाफा होने से पेठे की लागत भी बढ़ गई है। जिससे पेठे की कीमत 30 रुपए प्रति किलो तक बढ़ गई है। ऐसे में छोटे खरीदारों ने पेठे से दूरी बना ली, तो वहीं बाहर से भी ऑर्डर नहीं आ रहे हैं।

चीनी और गैस सहित कच्चे माल की बढ़ी कीमतों की वजह से महंगा हुआ पेठा तो मांग कम हो गई।
चीनी और गैस सहित कच्चे माल की बढ़ी कीमतों की वजह से महंगा हुआ पेठा तो मांग कम हो गई।

घटते पर्यटक और कच्चे माल की बढ़ी कीमतों ने डाला असर
आगरा का नूरी दरवाजा पेठे का थोक बाजार है। यहां पर पेठा बनाने वाली करीब 300 इकाइयां हैं। लॉकडाउन के बाद से पेठा कारोबार पर मंदी का साया मंडरा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में ताजमहल और अन्य स्मारक बंद होने के चलते पेठा कारोबार भी बंद हो गया था। मगर, ताजमहल फिर से खुलने के साथ पेठे का कारोबार फिर शुरू हुआ। हालांकि अभी वीकेंड पर ताजमहल बंद होने और कम पर्यटक आने के चलते पेठा कारोबार पहले जैसी स्थिति में नहीं आ पाया है। ऐसे में रही सही कसर अब कच्चे माल की बढ़ी कीमतों ने निकाल दी है।

सूखा पेठा 80-90 रुपए तो अंगूरी पेठा 130 रुपए किलो बिक रहा है।
सूखा पेठा 80-90 रुपए तो अंगूरी पेठा 130 रुपए किलो बिक रहा है।

स्थानीय किसानों ने कम की कच्चे पेठे की खेती
शहीद भगत सिंह कुटीर पेठा उद्योग के अध्यक्ष राजेश अग्रवाल ने बताया कि पिछले एक माह में कच्चे पेठे की दामों में 20 रुपए प्रति किलो तक की तेजी आई है। इसका कारण है कि पिछले एक साल से पेठे की मांग घटी है। इसमें नुकसान होने पर किसानों ने कच्चे पेठे की खेती नहीं की। पहले मैनपुरी, कासगंज, एटा, इटावा से भारी मात्रा में कच्चा पेठा आता था। मगर, अब बरेली और बंगलुरु से पेठा मंगाना पड़ रहा है। इसके अलावा कमिर्शियल गैस सिलेंडर के दाम भी बढ़ गए हैं। चीनी की कीमत भी बढ़ी है। इसका सीधा असर पेठे की कीमत पर पड़ा है।

पहले मैनपुरी, कासगंज, एटा, इटावा से भारी मात्रा में कच्चा पेठा आता था। मगर, अब बरेली और बंगलुरु से पेठा मंगाना पड़ रहा है।
पहले मैनपुरी, कासगंज, एटा, इटावा से भारी मात्रा में कच्चा पेठा आता था। मगर, अब बरेली और बंगलुरु से पेठा मंगाना पड़ रहा है।

50 फीसदी कम हो गए ऑर्डर
थोक पेठा कारोबारी और कालिंदी विहार पेठा समिति के उपाध्यक्ष सोनू मित्तल ने बताया कि पहले से ही पर्यटकों के आगरा न आने के चलते पेठे की मांग आधी रह गई है। अब महंगाई के चलते दाम बढ़ने से छोटे खरीदारों के ऑर्डर भी कम हो गए हैं। उन्होंने बताया कि देहात क्षेत्र में सूखे पेठे की मांग बहुत रहती थी। थोक में यह पेठा 50 से 60 रुपए किलो तक बिकता था। अब यह 80 से 90 रुपए बिक रहा है। इसी तरह 100 रुपए किलो वाला अंगूरी पेठा 130 रुपए हो गया है। पेठे की हर वैराइटी पर 30 रुपए तक बढे़ हैं।

आगरा की दूरी दरवाजा मार्केट में 40 तरह की पेठा बनता है लेकिन अभी 10-15 वैराइटी बन रही हैं।
आगरा की दूरी दरवाजा मार्केट में 40 तरह की पेठा बनता है लेकिन अभी 10-15 वैराइटी बन रही हैं।

आगरा में 40 तरह के पेठे बनते हैं
आगरा की सबसे बड़ी पेठा मार्केट नूरी दरवाजा में 40 तरह का पेठा बनता है। इसमें सबसे ज्यादा मांग, सादा, अंगूरी, पान और सैंडविच पेठे की रहती है। पेठा कारोबारियों ने बताया कि कोरोना से पहले 40 तरह का पेठा तैयार किया जा रहा था, लेकिन अब 10 से 15 वैरायटी ही बन रही हैं

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