क्या हैं UP सरकार के अनुपूरक बजट के मायने:बड़े प्रोजेक्ट को चुनाव से पहले पूरा करना चाहती है सरकार, इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में जॉब भी बढ़ेगी; एक्सपर्ट ने बताया इस बजट को पेश करने का बड़ा कारण

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने में लगभग 6 महीने बचे हैं। इससे पहले योगी सरकार विधानमंडल में अनुपूरक बजट पेश कर अपनी प्राथमिकता की योजनाओं को गति देने की तैयारी में है। इस अनुपूरक बजट का आकार 30-35 हजार करोड़ रुपए के बीच हो सकता है। इस अनुपूरक बजट के माध्यम से सरकार का उद्देश्य अगले छह महीने में प्रमुख महत्वाकांक्षी योजनाओं का काम तेज कर पूरा करने की रहेगी। आइए जानते हैं चुनाव से पहले अनुपूरक बजट लाने का मकसद क्या है और इसका यूपी की सियासत पर कितना असर पड़ेगा?

5 पॉइंट में समझिए, इसलिए अनुपूरक बजट ला रही सरकार

  • बुंदेलखंड एक्सप्रेस वे, डिफेंस कॉरिडोर, गोरखपुर लिंक एक्सप्रेस वे प्रोजेक्ट को चुनाव से पहले सरकार पूरा करना चाहती है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर से सबसे ज्यादा रोजगार पैदा होता है। बजट का बड़ा हिस्सा इसी पर खर्च करने का प्लान।
  • सरकार के एजेंडे में अयोध्या-काशी और मथुरा है। औद्योगिक क्षेत्रों और विकास की योजनाओं पर ज्यादा खर्च करने पर जोर।
  • कर्मचारियों का मानदेय बढ़ने से उनके पास पैसा आएगा और परचेसिंग पावर बढ़ेगी। इससे बाजार में रौनक बढ़ेगी और सरकार के लिए अच्छा संदेश जाएगा।
  • जेवर एयरपोर्ट, फिल्म सिटी, निर्माणाधीन विश्वविद्यालय, मेडिकल कॉलेज, सड़कें, पुल आदि का काम तेज करने पर जोर रहेगा।

अनुपूरक बजट लाना परिपाटी या कुछ और?

अर्थशास्त्री और बजट मामलों के जानकार एपी तिवारी कहते हैं कि जब सरकार को लगता है कि आम बजट से तमाम विभागों और योजनाओं में बजट की कमी हो रही है तो सप्लीमेंट्री बजट लाया जाता है। उसे सदन से पास कराना होता है। इसके दो पहलू हो सकते हैं।

पहला: मुख्य बजट पेश करने के दौरान होमवर्क में कमी रह गई, जिसकी वजह से दोबारा बजट का प्राविधान करना पड़ रहा है।

दूसरा: वित्तीय वर्ष के दौरान राज्य सरकार ने बजट को बनाने में गंभीरता नहीं दिखाई। जिसके चलते बजट की कमी हो गई और फिर सप्लीमेंट्री बजट पेश कर बजट का प्राविधान किया।

अर्थशास्त्री एपी तिवारी कहते हैं कि योगी सरकार के इस अनुपूरक बजट को सियासी बजट भी कह सकते हैं। यह सप्लीमेंट्री बजट सरकार की प्राथमिकता को पूरा करने के लिए लाया जा रहा है। इंफ्रास्ट्रक्चर से सबसे ज्यादा रोजगार पैदा होता है। यानी इंफ्रा और निर्माण से सबसे ज्यादा रोजगार बढ़ता है। योगी सरकार का प्लान अपने अनुपूरक बजट का बड़ा हिस्सा इसी में खर्च करने का है।

योगी सरकार का सांस्कृतिक विकास पर जोर

एपी तिवारी कहते हैं योगी सरकार मानती है कि आर्थिक विकास के साथ ही सांस्कृतिक विकास भी जरूरी है। प्रदेश सरकार की खास प्राथमिकताओं में अयोध्या, काशी, मथुरा के साथ ही गोरखपुर की विकास योजनाएं हैं। वाराणसी में चल रहे श्रीकाशी विश्वनाथ धाम प्रोजेक्ट के साथ ही वाराणसी के औद्योगिक क्षेत्र की योजनाओं को अच्छा खासा बजट दिया जा सकता है। अयोध्या के विकास की योजनाओं के लिए भी अनुपूरक के माध्यम से बड़ी धनराशि दिए जाने की चर्चाएं हैं। इसका चुनावी फायदा भी सरकार को मिल सकता है।

विधानमंडल के सत्र का आज दूसरा दिन है।
विधानमंडल के सत्र का आज दूसरा दिन है।

क्या होता है अनुपूरक बजट?

सामान्य या वार्षिक बजट पूरे वित्त वर्ष के लिए होता है, लेकिन साल के बीच में इस प्रकार के अनुपूरक बजट संवैधानिक परिपाटी है। अर्थशास्त्री एपी तिवारी कहते हैं कि अक्सर सरकारें चुनाव से पहले इस तरह का अनुपूरक बजट पेश करती हैं। जिस खर्च का पहले से पूर्वानुमान नहीं होता है या इमरजेंसी खर्च या फिर परिस्थितिजन्य खर्च जैसे कि कोविड के लिए मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे खर्चों के लिए विभागों से मांग पत्र लिया जाता है।

मुख्य रूप से अनुपूरक बजट राज्य सरकार विपरीत परिस्थितियों में ही पेश करती है। यानी जब किसी विभाग को बजट सत्र में आवंटित की गई धनराशि कम पड़ जाती है तो ऐसे में राज्य सरकारें वित्तीय वर्ष खत्म होने से पहले ही अनुपूरक बजट ले आती हैं। हालांकि, यह अनुपूरक बजट जब लाया जाता है तो उस दौरान इन बातों का भी ध्यान रखा जाता है कि जितना अनुपूरक बजट लाया गया है उतनी धनराशि, किन स्रोतों से राजस्व के रूप में राज्य सरकार को मिलेगी।

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