साउथ अफ्रीका में पली बढ़ीं, इंडिया लौटने के बाद सड़क हादसों को रोकने के लिए शुरू किया सेफ कैमरे का स्टार्टअप, हर महीने 1 लाख कमा रहीं
अक्सर खराब सड़कों पर ड्राइविंग के दौरान हमारी कार हादसे का शिकार हो जाती है। कई बार कार की स्पीड अधिक होती है और अचानक सामने कोई गड्ढा दिखता है तो हमारा बैलेंस बिगड़ जाता है, इससे हादसा हो जाता है। कई बार ड्राइविंग के दौरान हमारा ध्यान भी भटक जाता है या झपकी आ जाती है और हादसा हो जाता है। ज्यादातर मामलों में लोगों की जान भी चली जाती है। इस परेशानी को देखते हुए 3 साल पहले एक इंडियन ओवरसीज कपल ने पुणे में ‘सेफ कैम’ नाम से एक स्टार्टअप की शुरुआत की।
ये लोग कारों में एक कैमरा इंस्टॉल करते हैं, जिससे सड़क हादसों को कंट्रोल करने में काफी हद तक मदद मिल रही है। देश के ज्यादातर राज्यों में इनकी सर्विस शुरू हो चुकी है। ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही मोड से ये लोग अपनी सर्विस प्रोवाइड करा रहे हैं। इससे हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा इनकी कमाई हो रही है।
41 साल की चेतना नायडू के माता-पिता गुजरात से ताल्लुक रखते थे, बाद में वे साउथ अफ्रीका जाकर बस गए। चेतना साउथ अफ्रीका में पली बढ़ीं। वहां उन्होंने CA की पढ़ाई की और लंबे वक्त तक नौकरी भी की। एक तरह से वे वहां सेटल्ड हो गईं।
चेतना कहती हैं कि साल 2017 में वे भारत आईं। यहां की सड़कों की स्थिति देखकर उन्हें काफी तकलीफ पहुंची। एक बार तो वे खुद भी सड़क हादसे का शिकार हो गईं। हालांकि कुछ ज्यादा नुकसान उन्हें नहीं हुआ, लेकिन एक सबक मिल गया कि ऐसे हालात में उनका यहां रहना आसान नहीं होगा।
यूके से खरीदा डैश कैमरा, लोगों ने तारीफ की तो आया स्टार्टअप का ख्याल
इसके बाद चेतना ने अपने पति वनिश के साथ मिलकर सड़क हादसों को कम करने के लिए रिसर्च करना शुरू किया। काफी रिसर्च के बाद वे इस नतीजे पर पहुंचे कि बाहर के कुछ देशों में स्पेशल कैमरों की मदद से इस तरह के हादसों को कंट्रोल किया जा रहा है। जिसे डैश कैमरा कहा जाता है। उन्होंने भी यूके से एक डैश कैमरा खरीद लिया। जब वे डैश कैमरा लेकर भारत आईं और उसे अपनी कार में इंस्टॉल किया तो कई लोगों को उनका आइडिया पसंद आया। उनके परिवार के लोगों के साथ ही उनके दोस्तों ने भी इसकी तारीफ की।
चेतना कहती हैं कि तब हमें पहली बार लगा कि भारत के लोगों के लिए भी इस तरह के कैमरे की जरूरत है। अगर यहां के लोगों के इस्तेमाल के लिहाज से हम कम कीमत पर ऐसे कैमरे यहां ला पाते हैं या खुद डेवलप कर पाते हैं तो अच्छा-खासा रिस्पॉन्स मिल सकता है। हालांकि भारत जैसे देश में और आम लोगों के इस्तेमाल के लिहाज से ऐसे कैमरों को डेवलप करना मुश्किल टास्क था। अगर कैमरा डेवलप भी हो जाता है तो उसको ऑपरेट करना भी कम चैलेंजिंग टास्क नहीं होगा।
तीन साल पहले पुणे में की स्टार्टअप की शुरुआत
काफी सोच-विचार के बाद साल 2018 में पुणे में चेतना ने अपने पति के साथ मिलकर इस मॉडल पर काम करना शुरू किया। उन्होंने इंडिया के बाहर से रॉ मटेरियल मंगाए और पुणे में अपना कैमरा तैयार किया। इसके बाद कुछ महीने तक ट्रायल मोड पर काम किया। अच्छा रिस्पॉन्स मिला तो इसकी मार्केटिंग के प्लान पर फोकस करना शुरू किया। शुरुआत में माउथ पब्लिसिटी ने उनकी मार्केटिंग में अहम रोल प्ले किया। इसके बाद वे सोशल मीडिया पर एक्टिव हो गईं। ऑफलाइन लेवल पर भी देश के कई शहरों में उन्होंने अपना दायरा बढ़ाया और रिटेल लेवल पर मार्केटिंग करना शुरू किया। महाराष्ट्र पुलिस को भी उन्होंने कुछ कैमरे प्रोवाइड कराया है, जिससे ट्रैफिक रूल्स तोड़ने वालों की पहचान की जा सके।
यह कैमरा कैसे करता है काम?
चेतना बताती हैं कि फिलहाल हम लोग दो तरह के कैमरों की मार्केटिंग कर रहे हैं। इसमें एक ड्राइवर स्टेट मॉनिटर यानी DSM और दूसरा एडवांस ड्राइवर असिस्टेंट सिस्टम यानी ADAS है। DSM कैमरा AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी बेस्ड है। यह ड्राइवर की एक्टिविटी को रेगुलर मॉनिटर करता रहता है। यानी कब ड्राइवर तेज चला रहा है, कब वह सो रहा है या उसका ध्यान कहीं इधर-उधर भटक रहा है। इसकी पूरी मॉनिटरिंग यह कैमरा करता है और पलक झपकते उसकी वार्निंग भी ड्राइवर को देता है। जिससे वक्त रहते ड्राइवर सचेत हो जाए और हादसा टाला जा सके।
जबकि ADAS कैमरा एडवांस लेवल पर जाकर काम करता है। यह ड्राइवर को पहले ही अलर्ट कर देता है कि सामने कहां पर सड़क खराब है या कौन सी चीज सामने है जिससे टक्कर लग सकती है। यह उस वस्तु से दूरी भी बता देता है। साथ ही दूर की खराब सड़क की साफ तस्वीर भी पहले ही ड्राइवर को बता देता है। ताकि वक्त रहते ड्राइवर गाड़ी को कंट्रोल कर सके। कई बार ऐसा होता है कि हमारी कार की स्पीड ज्यादा होती है और अचानक से कोई मोड़ या उस तरह की कोई चीज सामने आ जाती है, जिससे हादसा हो जाता है। ऐसी स्थिति में यह कैमरा पहले ही ड्राइवर को अलर्ट कर देता है।
आसानी से लोग इंस्टॉल कर सकते हैं, दिक्कत होने पर मैकेनिक की सुविधा
चेतना बताती हैं कि फिलहाल हम लोग ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों ही लेवल पर मार्केटिंग कर रहे हैं। देश के कई शहरों में रिटेल की दुकानों और डीलर्स से हमारा टाइअप है। वे अपने माध्यम से हमारे प्रोडक्ट की मार्केटिंग करते हैं। इसके साथ ही ऑनलाइन लेवल पर हम लोग अपनी वेबसाइट और सोशल मीडिया के साथ ही अमेजन और फ्लिपकार्ट के जरिए भी अपने कैमरे की मार्केटिंग करते हैं। फिलहाल हमारे प्रोडक्ट की प्राइस रेंज 7,999 से लेकर 49,999 रुपए तक है।
हम लोग हर कैमरे के साथ एक यूजर गाइड भी भेजते हैं ताकि लोग अपनी कार में कैमरे को आसानी से इंस्टॉल कर सकें। अगर यूजर गाइड पढ़ने के बाद भी इंस्टॉल करने में दिक्कत आ रही हो तो कस्टमर वीडियो के जरिए इसको आसानी से इंस्टॉल कर सकता है। इसके बाद भी अगर किसी को कैमरा इंस्टॉल करने में दिक्कत आ रही हो तो हम लोकल लेवल पर मैकेनिक भी प्रोवाइड कराते हैं।
ऐसे कैमरों की जरूरत क्यों?
भारत में सड़क हादसों की वजह से आए दिन लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में हर चार मिनट में सड़क हादसे की वजह से एक मौत होती है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2019 में सड़क हादसे की वजह से करीब 4.5 लाख लोगों की जान गई। ज्यादातर हादसे ड्राइवर की अनदेखी या खराब सड़कों की वजह से होते हैं। ऐसे में अगर हमारी कार में इस तरह का कैमरा लगा हो तो बहुत हद तक सड़क हादसों को कंट्रोल किया जा सकता है।
इतना ही नहीं, इस कैमरे की रिकॉर्डेड फुटेज को देखकर एक डेटा भी तैयार किया जा सकता है कि किस रूट पर कहां से कहां तक सड़क खराब है? कहां खतरनाक मोड़ है या कोई और वस्तु है, जिससे हादसा हो सकता है। इसके अलावा प्रशासन के लेवल पर भी इस तरह के कैमरों की जरूरत है। ताकि पुलिस को आसानी से पता चल सके कि कहां पर कौन से लोग ट्रैफिक रूल्स को फॉलो नहीं करते हैं और उन पर कार्रवाई की जा सके।