ग्राउंड रिपोर्ट…:30 दिन बाद भी मदद के नाम पर पीड़ितों को मिला 50 किलो आटा और ‌5000 रुपए

  • उम्मीद टूटी तो लोग कर रहे पलायन, केवल सिला में मिली 96-96 हजार रुपए की राहत
  • सिंध और पार्वती नदी की बाढ़ से प्रभावित हुए क्षेत्रों में एक माह बाद फिर से पहुंची

भितरवार और डबरा के बाढ़ग्रस्त 46 गांव में महीने भर बाद भी भय, तंगहाली, बेबसी और मजबूरी के बीच कई परिवार अपने घरों को छोड़कर पलायन कर चुके हैं। जो परिवार बचे हैं, उनके कानों में आज भी 2-3 अगस्त की दरमियानी रात को सिंध और पार्वती नदी के उफान से आई बर्बादी का शोर गूंज रहा है।

टीम ने इन ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के बीच पहुंचकर जब उनका हाल जाना, तो बाढ़ और उसके बाद से अब तक का हाल बताते हुए वे रोने लगे। ग्रामीणों की पीड़ा है कि जो दर्द बाढ़ ने दिया, उसे कम करने का वादा तो नेता और अफसर कई दफा कर गए। मगर, मदद के नाम पर अिधकांश प्रभावितों को अब तक 50 किलो आटे का पैकेट और 5 हजार की नकदी ही मिली है

सिला: सीएम व मंत्रियों के दौरे से 96 हजार तक की राहत
ग्वालियर में बाढ़ का हॉट स्पॉट बना सिला गांव सरकारी राहत के मामले में भाग्यशाली साबित हुआ है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व राज्य सरकार के अन्य मंत्री के दौराें का नतीजा रहा कि कुछ लोगों को मकान टूटने पर 96-96 हजार रुपए तक की मदद मिल गई है। यहां 315 परिवार ऐसे रहे, जिनके घर ढह गए या क्षतिग्रस्त हुए। लेकिन अभी भी कुछ परिवार ट्रॉली व स्कूल भवन में डेरा डाले हैं। गंगाराम बाथम भी उनमें से एक हैं।

लिधौरा: अब यहां के लोगों के लिए नाव ही एक सहारा
लिधौरा और लांच के बीच सिंध नदी पर बना पुल बह चुका है। ये पुल दतिया के इंदरगढ़, सेंवढ़ा आदि को जोड़ता था अब लोग नदी में चलने वाली एकमात्र नाव के सहारे नदी पार कर रहे हैं। सिंध नदी किनारे बसे इस गांव में 245 परिवार हैं और बाढ़ के कारण यहां 32 लोगों के घरों को नुकसान पहुंचा। रामसेवक कुशवाह बताते हैं कि बाढ़ की शुरूआत में अफसर आए। रक्षाबंधन से पहले 50 किलो आटे का पैकेट और 5 हजार रुपए देकर चले गए। बाकी कोई सुध नहीं ले रहा।

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