युवा पीढ़ी में छोटे परिवार की चाहत:लगातार दूसरे साल शिशुओं की संख्या में आई कमी, अप्रैल से जुलाई तक 9,605 शिशुओं ने लिया जन्म, ये आंकड़ा पिछले साल से 12% कम

  • वर्ष 2020-21 में 10,811 शिशुओं ने लिया था ग्वालियर के निजी व सरकारी अस्पतालों में जन्म

इसे कोविड-19 का इफेक्ट कहें या फिर आज की युवा पीढ़ी में छोटे परिवार की चाहत। कारण चाहे जो कुछ भी हो। लेकिन ग्वालियर में लगातार तीसरे साल जन्म लेने वाले शिशुओं की संख्या में कमी आई है। कोविड से पहले की बात करें यानी कि वर्ष 2019-2020 के शुरुआती चार माह (अप्रैल, मई, जून व जुलाई) में 12,617 शिशुओं ने सरकारी व निजी अस्पतालों में जन्म लिया था।

अगले वर्ष 2020-21 की इसी अवधि में ये आंकड़ा 16 फीसदी घटकर 10,811 रह गया। इस वर्ष 2021-11 के आंकड़ों पर गौर करें तो इस बार पिछले साल की तुलना में इसमें 12 फीसदी की कमी आई है। इस अवधि में ग्वालियर में 9,605 शिशुओं ने जन्म लिया। यदि इस आंकड़े की तुलना वर्ष 2019-20 के आंकड़ों से करें तो इसमें 31 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

वजह-बाहर के जिलों से नहीं आईं प्रसूताएं, एक बच्चे का चलन भी बढ़ा
गत वर्ष अगस्त माह से ही कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में तेजी आना शुरू हुई थी। सितंबर माह में पहली लहर का पीक आया था। इसका असर अब दिख रहा है। कोविड से पहले काफी संख्या में पड़ोसी जिलों की प्रसूताएं ग्वालियर के निजी और सरकारी अस्पताल में डिलीवरी के लिए आती थीं। लेकिन अप्रैल 2021 में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण काफी संख्या में प्रसूताओं ने अपने जिले के अस्पताल में ही डिलीवरी कराई। वहीं वर्तमान परिदृश्य में, विशेषकर शहरों में एक बच्चे का चलन भी बढ़ा है। पहले जहां हम दो हमारे दो की तर्ज पर अधिकांश परिवारों में दो बच्चे होते थे। वहीं अब इस चलन में अंतर भी देखने को मिल रहा है।
-जैसा डॉ. मनीष शर्मा, सीएमएचओ ने  बताया।

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