फिरोजाबाद…डेंगू से 24 घंटे में 10 और मौतें . बुखार से मरने वालों का आंकड़ा 153 हुआ, 4 दिन में 39 की जान गई; एम्बुलेंस के इंतजार में तड़पती रही किशोरी, रास्ते में दम तोड़ा

फिरोजाबाद में डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। मंगलवार को 10 और लोगों की डेंगू से मौत हो गई। 4 दिनों में 39 लोगों की जान चली गई। मरने वालों का आंकड़ा 153 पहुंच गया है। अव्यवस्थाओं के चलते मरीज और उनके परिवार वाले परेशान हैं। किसी को बेड तो किसी को एंबुलेंस नहीं मिल रही है।

यहां के 100 बेड अस्पताल में अव्यवस्थाओं से जिंदगी दम तोड़ रही है। सोमवार को राजपूताना थाना दक्षिण की रहने वाली इकरा पुत्री शाहिद बुखार आने पर 100 बेड अस्पताल पहुंची। मंगलवार सुबह उन्हें बिना डिस्चार्ज स्लिप दिए रेफर कर दिया। डॉक्टरों ने परिजनों से कहा कि कहीं और ले जाओ। परिजन काफी देर तक एम्बुलेंस का इंतजार करते रहे, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। किशोरी दर्द से तड़पती रही।

परेशान भाई इकरा को गोद में उठाकर चल दिया। करीब एक घंटे बाद एम्बुलेंस पहुंची। एक घंटे बाद एंबुलेंस तो आई लेकिन तब तक परिजन प्राइवेट एंबुलेंस कर चुके थे और अस्पताल के लिए निकले ही थे कि किशोरी ने दम तोड़ दिया। परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवाही और सही से इलाज न करने का आरोप लगाया। भाई बोला कि अगर समय से एंबुलेंस आती तो जान बच सकती थी।

मासूम को भर्ती कराने के लिए भटकते रहे परिजन।
मासूम को भर्ती कराने के लिए भटकते रहे परिजन।

मंगलवार को इनकी गई जान
मंगलवार को फूल वाली गली ठारफूटा के रहने वाले राजकुमार (40) पुत्र भूपसिंह, मोहिनीपुर शिकोहाबाद की रहने वाली वैष्णवी (6) पुत्री योगेंद्र, न्यू रामगढ़ की सुमन (25) पत्नी बॉबी, जमुना नगर की सुग्रीव (10) पुत्री लोकेंद्र, हिमायूंपुर के अभी (3) पुत्र गोविंद, झलकारी नगर की हेमा (35) पत्नी जयप्रकाश, रामनगर की शिवान्या (6) पुत्री राम बहादुर, चिलासिनी की नंदिनी (3) पुत्री योगेश, राजपूताना की इकरा (16) पुत्री शाहिद और एक अन्य की डेंगू से मौत हो गई।

अव्यवस्थाओं से परेशान रहे मरीज और उनके परिवाल वाले।
अव्यवस्थाओं से परेशान रहे मरीज और उनके परिवाल वाले।

फिरोजाबाद में कोई मोहल्ला ऐसा नहीं है, जहां मौत न हुई हो। कई मोहल्लों की एक ही गलियों में एक से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है। बीते दिनों मुख्यमंत्री 100 बेड अस्पताल का निरीक्षण किया था। अस्पताल की व्यवस्थाओं से वह संतुष्ट दिखे थे। उन्होंने कहा था कि प्राइवेट अस्पताल की वजह से ज्यादातर मौतें हो रही हैं। उनके जाने के बाद से ही सरकारी अस्पताल के हालात खराब हो गए। बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा मौतें 100 बेड अस्पताल में ही हुईं। हालांकि कोई भी अधिकारी इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है।

100 बेड अस्पताल में बेड खाली न होने पर बेंच पर लिटाकर इलाज किया गया।
100 बेड अस्पताल में बेड खाली न होने पर बेंच पर लिटाकर इलाज किया गया।

अस्पताल में खाली नहीं बेड
वर्तमान में सौ शैय्या अस्पताल में 425 से ज्यादा मरीज भर्ती हैं। इधर, निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। मंगलवार को 100 बेड अस्पताल में परिजन मरीजों को इलाज और भर्ती कराने के लिए भटकते रहे। बेड खाली न होने पर ज्यादातर मरीजों को रेफर कर दिया है। जबकि कुछ मरीजों का बेंच पर लिटाकर इलाज किया गया।

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