आय का नया मॉडल:इंदौर अब देश के दूसरे शहरों के कार्बन क्रेडिट अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचेगा, कमाई का 50 फीसदी हिस्सा खुद रखेगा

  • इंदौर पहले साल 70 लाख कमा चुका, लगातार दूसरे साल इंदौर ने 8.34 करोड़ रुपए कमाए….

कार्बन क्रेडिट बेचकर देश में नं. 1 बना इंदौर अब देश के अन्य शहरों के प्रोजेक्ट्स से अर्जित कार्बन क्रेडिट को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेचकर करोड़ों का रेवेन्यू कमाएगा। निगमायुक्त प्रतिभा पाल ने बताया लगातार दूसरे साल 1 लाख 69 हजार 506 टन कार्बन क्रेडिट से निगम को 8.34 करोड़ की आय हुई है। स्मार्ट सिटी के सीईओ ऋषव गुप्ता ने बताया जिस भी शहर के प्रोजेक्ट होंगे, उनसे पहले एमओयू साइन किया जाएगा। इसमें रेवेन्यू का 50 प्रतिशत हिस्सा इंदौर को मिलेगा।

1. 10 लाख रजिस्ट्रेशन फीस
कार्बन क्रेडिट के लिए रजिस्ट्रेशन फीस 10 लाख रुपए है। यह राशि किसी भी शहर के लिए बिना स्वीकृत बजट के निकाल पाना संभव नहीं।

2. प्रक्रिया भी काफी जटिल
कागजी कार्रवाई के साथ फॉर्म भरने सहित जानकारियां एकत्र करने की प्रक्रिया जटिल है। इसके लिए अलग से जानकारों की टीम लगाना होती है।

3. खुला मंच नहीं मिलता
कार्बन क्रेडिट की अंतरराष्ट्रीय वैल्यू है, लेकिन यूरोप और अमेरिका के कौन से शहर और कंपनियां इसे खरीदना चाहती हैं, इसका ओपन मार्केट नहीं है। यह सिर्फ इंटरनल इनपुट से पता चलता है।

4. मार्केट का उतार-चढ़ाव भी
इसके एक्सपर्ट और कंसल्टेंट की फीस सहित अन्य चार्जेस भी लाखों में होता है। मार्केट में उतार-चढ़ाव बहुत होता है।

कार्बन क्रेडिट क्या है?
अमेरिका और यूरोप के देशों में कार्बन उत्सर्जन रोकने के लिए सख्त कानून है। वहां तय सीमा से ज्यादा कार्बन उत्सर्जन पर कंपनियों को ज्यादा टैक्स देना पड़ता है। इसके विकल्प के रूप में विदेशी कंपनियां कार्बन ऑफसेट ट्रेडिंग करती हैं। इसे ही कार्बन क्रेडिट कहा जाता है।

किन प्रोजेक्ट को मिलता है
कार्बन क्रेडिट ऐसे किसी भी प्रोजेक्ट को मिल सकता है, जिससे कार्बन का उत्सर्जन रोका गया हो। इसमें सोलर वाटर हीटर, सोलर पैनल रूफटॉप, बायोगैस प्लांट, स्मार्ट स्ट्रीट लाइट आदि है।

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