MP में हार्ट स्पेशलिस्ट सिर्फ 135:24 हजार मरीजों पर 1 विशेषज्ञ, एक्सपर्ट बोले- 30 की उम्र के बाद समय-समय पर TMT, ECG कराते रहें

दिल की बीमारी के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अब युवा भी दिल की बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक देश का दिल माने जाने वाले मध्यप्रदेश में दिल की बीमारी से करीब 32 लाख लोग प्रभावित हैं, हालांकि इसका अभी कोई अधिकारिक आंकड़ा नहीं है।

इन मरीजों के लिए प्रदेश में सिर्फ 135 हृदय रोग विशेषज्ञ उपलब्ध हैं। यानी करीब 23 हजार 703 मरीज पर 1 डॉक्टर है। इनमें कार्डियोलॉजिस्ट और कार्डियक सर्जन दोनों शामिल हैं। प्रदेश में 15 से 20 फीसदी दिल के बीमारी के मरीज बढ़ रहे हैं। हर 100 में से 3 मरीज युवा हैं।

प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल हमीदिया अस्पताल की ओपीडी में रोजाना 100 से 150 मरीज आते हैं। यहां पर हार्ट की बीमारी वाले 8 से 10 नए मरीज भर्ती होते हैं। इसके अलावा इमरजेंसी में रोजाना 20 से 25 मरीज दिखाने आते हैं। प्रदेश में निजी अस्पतालों के साथ ही सरकारी अस्पतालों में भी हार्ट पेशेंट्स के इलाज की सुविधा है। भोपाल के हमीदिया, भोपाल मेमोरियल और एम्स में हार्ट के इलाज की सुविधा है।

अनियमित दिनचर्या और बाहर के खानपान से बढ़ रही बीमारी
हमीदिया अस्पताल के कॉर्डियोलाजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजीव गुप्ता ने बताया कि युवाओं में अनियमित दिनचर्या और बाहर के खानपान से दिल की बीमारी बढ़ रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि हर सीने का दर्द हार्ट की बीमारी नहीं होती।

उन्होंने बताया कि दिल को बेहतर रखने के लिए हर दिन वॉक करें। रोज नहीं कर सकते तो पांच दिन एक्ससाइज करें। सबसे महत्वपूर्ण चीज यह है कि नींद पूरी लें। सरकारी अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत अब हार्ट की बीमारी के इलाज की बेहतर सुविधाएं उपलब्ध हैं।

इंदौर में 15 फीसदी मरीज बढ़े
इंदौर में पिछले 10 साल में हार्ट संबंधी मरीजों की संख्या में 15 फीसदी इजाफा हुआ है। यहां 20 साल तक के युवाओं की हार्ट सर्जरी हो रही है। स्थिति यह है कि इन मरीजों में 3 फीसदी युवा हैं।

मेदांता हॉस्पिटल के डॉ. अल्केश जैन के मुताबिक युवाओं में स्मोकिंग, जंक फूड और गलत खानपान इसका खास कारण है। युवा हार्ट अटैक के लक्षणों को पहचान नहीं पाते। हर 100 में से 3 फीसदी युवा हृदय रोग के शिकार हो रहे हैं। माता-पिता को अगर कम उम्र में हार्ट डिसीज हो तो बच्चों को भी होने की आशंका रहती है।

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डॉ. अल्केश जैन, कार्डियोलॉजिस्ट और सीनियर कॉडियोलॉजिस्ट डॉ. एडी भटनागर।
डॉ. अल्केश जैन, कार्डियोलॉजिस्ट और सीनियर कॉडियोलॉजिस्ट डॉ. एडी भटनागर।

इंदौर के सीनियर कॉडियोलॉजिस्ट डॉ. एडी भटनागर ने कहा कि लोगों को समय-समय पर ECG यानी इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और TMT यानी ट्रेड मील टेस्ट करवाना चाहिए, खासकर 30 साल की उम्र के बाद जरूर कराना चाहिए।

ईसीजी से क्या होता है : ईसीजी टेस्ट आमतौर पर दिल तक रक्त पहुंचाने वाली रक्त वाहिकाओं में परेशानी, ऑक्सीजन की कमी, नसों का ब्लॉकेज, टिशूज की असामान्य स्थिति, सीने में तेज दर्द या सूजन, सांस लेने में तकलीफ, हार्ट अटैक के लक्षणों और दिल से जुड़ी अन्य समस्याओं का पता लगाने के लिए किया जाता है।

टीएमटी से क्या होता है : ट्रेंड मिल टेस्ट को टीएमटी भी कहा जाता है। इस मशीन की मदद से चलने की स्थिति में भी मरीज की हृदय बीट को मापा जा सकता है। इससे पता चलता है कि मरीज चलने की अवस्था में किस प्रकार महसूस करता है।

दिल की बीमारी के यह है कारण
सबसे ज्यादा तेल या बाहर का खान-पान दिल की बीमारी को बढ़ाता है। इसके बाद ब्लड प्रेशर, वायु प्रदूषण, हाई कौलैस्टैरौल, धूम्रपान, मोटापा भी दिल के रोग के कारण है।

इलाज पर खर्च
आयुष्मान योजना के तहत हार्ट की बीमारी का इलाज कवर हाेता है। वहीं, निजी अस्पताल में एंजियोग्राफी की जांच के 8 से 10 हजार रुपए खर्च आता है। एंजियोप्लास्टी यानी स्टैंड डालने का खर्चा 60 से 80 हजार और बाईपास सर्जरी के 1.10 लाख से 1.50 लाख रुपए तक सामान्य अस्पतालों में खर्च आता है।

बच्चों में जन्मजात होती है बीमारी
10 साल से छोटे हार्ट की बीमारी से पीड़ित बच्चों में जन्म से ही बीमारी होती है। इनमें दिल में छेद या दिल की बनावट में कोई तकलीफ होती है। इनका इलाज ऑपरेशन से होता है। कई बार छोटे ऑपरेशन से ही डिवाइस से हार्ट के छेद को भर दिया जाता है। यदि कोई जटिल बीमारी नहीं हो तो ऑपरेशन की सफलता के 90% चांस रहते हैं।

वाल्व सिकुड़ने की भी समस्या
10 से 30 साल की उम्र में दिल के वॉल्व सिकुड़ने की समस्या रहती है। वॉल्व सिकुड़ जाते हैं या लीक हो जाते हैं। इनके इलाज के लिए बड़े ऑपरेशन कर वाल्व बदलना पड़ता है। मरीज को बिना बेहोश किए और बगैर चीरा फाड़ी के पैर की नश से गुब्बारा वाल्व तक पहुंचाया जाता है। फिर उसे फुला कर सिकुड़ा वाल्व खोल देते हैं। इस ऑपरेशन के भी 90% ऑपरेशन की सफलता के चांस रहते हैं।

​​​​​​धमनियों में कौलैस्टैरौल के कारण रुकावट
30 वर्ष से अधिक की उम्र के लोगों में हार्ट की धमनियों में कोलस्ट्रॉल बढ़ने से रुकावट आने लगती है। इसके कारण हार्ट अटैक की तकलीफ होती है। चलने में सीने में दर्द की शिकायत आती है। इसके इलाज में पहले दवाइयां देकर आराम देने की कोशिश की जाती है। तकलीफ बने रहने पर एंजियोग्राफी कर हार्ट की धमनियों की रुकावट (ब्लॉकेज) की जांच की जाती है। इससे कितना ब्लॉकेज है, यह पता किया जाता है। इसके बाद ब्लॉकेज को खोलने के लिए एंजियोप्लास्टी यानी स्टैंड डाल कर ब्लॉकेज काे खोला जाता है। धमनियों में ज्यादा ब्लॉकेज होने पर बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है।

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