युवाओं का दिल हो रहा है कमजोर, इसी वजह से कोविड के बाद हार्ट अटैक का खतरा 14% बढ़ा

तिहाई लोगों की मौत दिल से जुड़े बीमारियों की वजह से हो रही है। 60 वर्ष के बाद तो कैंसर या अन्य गंभीर रोग की तुलना में दिल का रोग होने की संभावना दो से तीन गुना बढ़ जाती है। पिछले कुछ समय से दिल के रोगियों में सिर्फ बुजुर्ग ही नहीं बल्कि युवा भी शामिल हो गए हैं। कोविड-19 के बाद दिल के रोगियों में 14% तक बढ़ोतरी हुई है और इनमें ज्यादातर युवा ही हैं। वह भी महज 30 से 40 साल के।

टीवी एक्टर सिद्धार्थ शुक्ला की 41 साल में हार्ट अटैक से हुई मौत के बाद इसी बात पर चर्चा हो रही है कि युवाओं में दिल से जुड़े रोग किस तरह बढ़ रहे हैं। वर्ल्ड हार्ट डे (29 सितंबर) से पहले हमने गुड़गांव स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टिट्यूट के हार्ट एंड वैस्कुलर डिपार्टमेंट के चेयरमैन और पद्मभूषण से सम्मानित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. टीएस क्लेर और मेदांता मूलचंद हार्ट इंस्टीट्यूट में सीनियर कंसल्टेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एचके चोपड़ा और कुछ अन्य डॉक्टरों से बात की। उनसे जाना कि कम उम्र में हार्ट अटैक के मामले क्यों सामने आ रहे हैं? कोविड-19 महामारी ने इस पर कैसे असर डाला है।

युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़ने की वजह क्या है?

  • इन दिनों युवाओं में भी हार्ट अटैक आना सामान्य हो चला है। आंकड़ों की बात करें तो शहरों में दिल से बीमार लोगों की संख्या 14% तक बढ़ी है। टेक्नोलॉजी और दवाओं में तो हमने तरक्की की है पर कम उम्र में हाई ब्लडप्रेशर और हार्ट अटैक्स को कम नहीं कर सके हैं।
  • पिछले एक साल में कोविड-19 से रिकवरी के बाद मरीजों में हल्की, मध्यम और बड़े आकार के खून के थक्के हमने युवाओं के शरीर में देखे हैं। इसकी वजह यह थी कि कोविड इन्फेक्शन प्रोथ्रोम्बोटिक, प्रो-इन्फ्लेमेटरी, इम्युनोजेनिक है। यानी कहीं न कहीं यह इम्यूनिटी पर असर डालता है और खून के थक्के जमने की प्रक्रिया को मदद करता है।
  • इसी वजह से कोविड से रिकवरी के बाद ऐसे लोगों में हार्ट अटैक का खतरा बढ़ा, जो- मोटे हैं, स्मोकिंग करते हैं, हाइपरटेंसिव हैं या जिनकी सुस्त जीवनशैली की वजह से कोलेस्ट्रॉल का लेवल हाई है या ऐसे लोग जो स्ट्रेस के हाई लेवल के साथ जी रहे हैं।

क्या और भी कोई कारण हो सकता है दिल के रोगों का?

  • हां। किसी परिवार में अगर दिल के रोगों से मौत हुई है तो उसमें आनुवांशिक रूप से दिल की बीमारियां आगे बढ़ने की आशंका बनी रहती है। ऐसे परिवारों के तीस या उससे अधिक उम्र के सदस्यों को नियमित रूप से रक्त जांचों के माध्यम से शरीर के कोलेस्ट्रॉल की जांच करवाना चाहिए। कम से कम दो वर्ष में एक बार टीएमटी व इको टेस्ट करवाना चाहिए। इससे दिल की कार्य क्षमता का पता रहता है। जितनी जल्दी समस्या का पता चलेगा, उतनी ही जल्दी उसका इलाज हो सकेगा।
  • दिल में जन्मजात छेद होने, हार्ट के वाल्व का खराब होना, हार्ट के मसल की बीमारियां, हार्ट इन्फेक्शन, धड़कन के तेज होने जैसी बीमारियां भी अमूमन देखने को मिलती है लेकिन मेडिसिन के क्षेत्र में हुए जबरदस्त विकास के बाद इन अधिकांश बीमारियों का सफल इलाज अब संभव है, बशर्ते नियमित जांच से इन बीमारियों की समय रहते पहचान कर ली जाए।

क्यों नहीं हो पाती दिल के रोगों की पहचान?

  • ऐसा नहीं है कि शरीर समय पर दिल संबंधी बीमारियों का संकेत नहीं देता, लेकिन हम उन संकेतों को एसिडिटी जैसी छोटी-बड़ी समस्या मानकर नजरअंदाज कर देते हैं। बाद में इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते है।
  • मौजूदा परिस्थितयों में बिगड़ते पर्यावरण, दूषित खानपान व घटती शारीरिक गतिविधियों को देखते हुए 30 वर्ष का होने पर नियमित रूप से दिल के रोगों की जांच करवाना आवश्यक हो गया है।

कोविड ने किस प्रकार दिल की सेहत को प्रभावित किया है?
कोविड-19 मुख्य रूप से एक रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है। कुछ लोगों में इस इन्फेक्शन ने दिल समेत कई अन्य अंगों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अन्य वायरल इन्फेक्शन की तरह कोविड-19 भी सीधे इम्यु।निटी पर हमला कर मायोकार्डिटिस का कारण बनता है। स्ट्रेस की वजह से एक्यू।ट कोरोनरी सिंड्रोम, तथा इलेक्ट्रोैलाइट एवं एसिड-बेस्ड समस्याओं की वजह से एरिथीमिया जो कि हृदय संबंधी जटिलताओं की वजह से अचानक मौत का कारण बनता है।
महामारी में हार्ट फेल के मामले बढ़े हैं। ऐसे मरीज़ भी सामने आए हैं जिनमें पहले से हृदय रोग नहीं था। माइल्डक कोविड-19 से रिकवर हुए लोगों के भी दिल को नुकसान पहुंचा है।
फोर्टिस हॉस्पिटल शालीमार बाग में कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नित्यानंद त्रिपाठी का कहना है कि कोविड-19 से रिकवर हो चुके करीब 25% लोगों में कार्डियोवस्कुलर समस्याएं देखी गई हैं। कोविड-19 की वजह से हुई 40% मौतों में दिल से जुड़े रोग ही जिम्मेदार रहे हैं।
डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि राहत की बात यह है कि कोविड की वजह से हुए दिल के रोगों में 78% मरीज पूरी तरह ठीक हो गए। बहुत से लोगों को पहले के मुकाबले अधिक थकान रहती है। यह बताना मुश्किल है कि इसकी वजह फेफड़ों की समस्या है या दिल को पहुंचा नुकसान।

 

दिल के रोगों से बचने के लिए युवाओं को क्या करना चाहिए?

  • फिजिकल और मेंटल फिटनेस बेहद अहम हो गई है। हेल्दी विकल्पों के साथ लाइफस्टाइल का ऑप्टिमाइजेशन बेहद जरूरी है। यह बचपन से ही होना चाहिए। एक ऐसा समय भी आएगा जब हमें दिल की बीमारियों से हटकर हार्ट वेलनेस पर सोचना शुरू करना होगा।
  • दिल को सुकून और आराम देने वाली कसरत- जैसे कि रोज 30 मिनट पैदल चलना, जॉगिंग, स्विमिंग और साइकिलिंग अच्छी कसरत है। इससे दिल को आराम मिलता है। अगर आप दिल के रोगी हैं तो वेट लिफ्टिंग या पुश अप्स से बचें।
  • जिम्नेशियम में डॉक्टर की निगरानी में एक्सरसाइज और डाइट प्रोटोकॉल होना चाहिए। योग और ध्यान से शारीरिक और मानसिक आराम को बढ़ावा देना चाहिए। योग की सभी 8 बातों का ध्यान रखना चाहिए- यम (क्या करें, क्या न करें), नियम (आत्म-अनुशासन), आसन (मुद्राएं), प्राणायाम (श्वसन क्रियाएं), प्रतिहार (विचार), धरना (एकाग्रता), ध्यान (आध्यात्मिक चिंतन), समाधि ( श्रेष्ठता)।

क्या कसरत और फूड सप्लीमेंट्स भी हार्ट अटैक की वजह बन सकते हैं?

हां। डॉ. अमित कुमार सिंघल, सीनियर कंसल्टेंट, कार्डियोलॉजी, फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हॉस्पिटल, जयपुर, के मुताबिक दिल के रोग हर साल दुनियाभर में 1.7 करोड़ लोगों की मौत का कारण बन रहे हैं। भारत में हर साल कार्डियोवस्कुलर रोगों (CVDs) की वजह से 30 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें हार्ट अटैक और स्ट्रोक शामिल है। ऐसे में यह समझना बेहद जरूरी है कि बहुत अधिक कसरत और फूड सप्लीमेंट्स भी शरीर को नुकसान पहुंचा रहे हैं।

  • ज्यादा कसरतः मेयो क्लिनिक की एक स्टडी कहती है कि बहुत ज्यादा कसरत दिल के लिए ठीक नहीं है। यह मोटापे और अन्य बीमारियों का कारण बन सकती है। जरूरत से ज्यादा कसरत भी हार्ट अटैक की वजह बन रही है। ऐसे में बेहद जरूरी है कि अनुशंसित से अधिक कसरत न करें।
  • पूरक आहारः अब तक सप्लीमेंट्स से होने वाले लाभों पर कोई रिसर्च नहीं हुई है। बहुत ज्यादा इस्तेमाल भी नुकसान पहुंचा सकता है। कैल्शियम और विटामिन डी की मात्रा अधिक हो तो कार्डियोवस्कुलर बीमारियों का खतरा बढ़ता है। यह ही आगे चलकर हार्ट अटैक का कारण बन सकता है।

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