नए आईटी कानून को लेकर केंद्र ने शुरू की बातचीत, सोशल मीडिया स्टॉकिंग पर भी पैनी नजर

2000 का पुराना आईटी एक्ट मुख्य रूप से साधारण धोखाधड़ी को रोकने, वेबसाइटों को हैक किए जाने और अवैध कान्टेंट को रोकने के लिए तैयार किया गया था, लेकिन अब बहुत कुछ बदल गया है.

आईटी एक्ट 2000 के अधिनियम के अंतर्गत सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज के लिए लाए गए नए नियमों के बाद अब ट्विटर और फेसबुक के बीच आमना-सामना होना शुरू हो गया है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने वर्तमान और भविष्य की परिस्थितियों से निपटने के लिए आईटी कानून के लिए बातचीत का नया दौर शुरू किया है. फरवरी में, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज के लिए मौजूदा आईटी अधिनियम के तहत कड़े नियम जारी किए थे. इन नए नियमों को उच्च न्यायालयों में भी चुनौती दी गई थी. मद्रास और बॉम्बे हाईकोर्ट दोनों ने नियमों के प्रमुख हिस्सों के संचालन पर रोक लगा दी है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने माना है कि नए नियम स्पष्ट रूप से अनुचित हैं और आईटी अधिनियम के उद्देश्यों और प्रावधानों से अलग हैं.

हालांकि सरकारी अधिकारी कहते हैं कि नए नियमों का उद्देश्य एक अनुपालन तंत्र विकसित करना है, जिसमें शिकायत और उसका हल शामिल हो. अगर बिना किसी कोर्ट या केस के अनुपालन सुनिश्चित हो सकता है तो ऐसा क्यों नहीं किया जाना चाहिए.अधिकारी ने ये भी कहा कि इंटरमीडियरीज के नियुक्त शिकायत और अनुपालन अधिकारियों पर किसी भीआपराधिक दायित्त को दूर करने के लिए कुछ बदलाव किए जा सकते हैं. नए अधिनियम में ऐसे प्रावधान भी शामिल होने की संभावना है जो आईटी के नए पहलुओं को भी कवर करते हैं, जिसमें ब्लॉकचेन, बिटकॉइन और डार्क नेट भी शामिल हैं.

इसलिए नए कानून की जरूरत

एक अधिकारी के मुताबिक 2000 का पुराना आईटी एक्ट मुख्य रूप से साधारण धोखाधड़ी की रोकथाम, वेबसाइटों को रोके जाने और अवैध कान्टेंट को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था. अब बहुत कुछ बदल गया है. पुराने कानून में संशोधन का अब कोई मतलब नहीं होगा. हम वर्तमान और भविष्य की परिस्थितियों से निपटने के लिए नया नियम पेश करेंगे.

इस मामले में कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं

अधिकारियों ने कहा कि नया कानून ऑनलाइन यौन उत्पीड़न के विभिन्न रूपों को परिभाषित करेगा, जैसे कि पीछा करना, डराना-धमकाना, तस्वीरों को मॉर्फ करने पर कड़े प्रावधान करेगा. नए नियम में इन अपराधों के लिए सजा पर स्पष्ट दिशा-निर्देश भी तय किए जाएंगे. फिलहाल ऑनलाइन बुलिंग, पीछा करने, यौन उत्पीड़न के अन्य रूपों, अवांछित टिप्पणी करना, तस्वीरों को मॉर्फ करना, किसी की सहमति के बिना निजी तस्वीरें जारी करना या पोस्ट करना शामिल है. इसके लिए कोई कानूनी परिभाषा नहीं है और न ही इसके लिए कोई सटीक कानून है. इंटरमीडियरी इसे कर रहे हैं, लेकिन ये केस-टू-केस एपरोच के आधार पर है. ऐसे में एक राष्ट्रीय कानून की जरूरत है.

जिम्मेदारी बढ़ाएगा नया कानून

नया आईटी अधिनियम सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज की जिम्मेदारी को भी बढ़ाएगा. एक सोशल मीडिया इंटरमीडियरी इस बात का दावा नहीं कर सकता कि वो अपने प्लेटफॉर्म पर अश्लील सामग्री, नग्नता या ऐसे संदेश को जो आतंक को बढ़ावा दे सकते हैं, उन सभी पर एक्शन ले रहे हैं.

ऐसा होगा नया कानून

वेबसाइटों के लिए साइन अप करने पर माता-पिता की सहमति की आवश्यकता होगी. हालांकि सोशल मीडिया इंटरमीडियरी इसका विरोध कर रहे हैं, वहीं सरकार का तर्क है कि वो सोशल मीडिया और इंटरनेट पर सुरक्षित माहौल बनाना चाहते हैं. इस साल की शुरुआत में, सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज के लिए आईटी मंत्रालय के नए नियमों ने फेसबुक और ट्विटर के साथ गतिरोध पैदा कर दिया था. दोनों ने आखिरकार शिकायत और अनुपालन कर्मियों को नियुक्त किया, लेकिन अदालत का दरवाजा भी खटखटाया. मंत्रालय ने इन प्लेटफॉर्म्स को यूजर्स से मिली शिकायतों और की गई कार्रवाई पर मासिक रिपोर्ट देने को भी कहा था.

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