Madhya pradesh: अवैध खनन रोकने पहुंचा वन अमला तो माफिया ने की ताबड़तोड फायरिंग, सूचना के बाद समय पर नहीं पहुंची पुलिस

डिप्टी रेंजर सोलंकी का कहना है कि वहां पहुंचकर उन्होंने रिठौरा थाना पुलिस को फोन पर खबर की, लेकिन पुलिस नहीं आई. वहीं रिठौरा थाना पुलिस का कहना है कि जब वह मौके पर पहुंची तब तक वन अमला वहां से जा चुका था.

मध्य प्रदेश के मुरैना (madhya pradesh morena) में माफियाओं की हिम्मत इतनी ज्यादा बढ़ गई हैं कि अब माफिया वन अमले पर ही हमला करने लग गए हैं. दरअसल मुरैना में पत्थर की खदान से अवैध पत्थर का खनन करने वाले माफिया ने वन अमले को खदेड़ दिया. माफिया और उसके साथियों ने वन अमले पर फायरिंग भी की. फायरिंग होने के बाद वन अमले को वहां से भागना पड़ा. इस घटना के बाद वन अमले ने सीधा स्थानीय पुलिस पर आरोप लगाए हैं. वन अमले का कहना है कि उसने मौके पर पुलिस को खबर की थी, लेकिन पुलिस नहीं पहुंची.

दूसरी तरफ रिठौरा थाना पुलिस का कहना है कि जैसे ही उन्हें सूचना दी गई वो मौके पर पहुंचे लेकिन तब तक वन अमले के सदस्य वहां से जा चुके थे. आपको बता दें, कि जिले में अवैध पत्थर खनन माफिया पूरी तरह सक्रिय हैं. यह रात में खदानों से अवैध पत्थर का खनन करते हैं. इन माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि ये वन अमले पर भी फायरिंग करने से नहीं चूकते हैं.

यह है मामला

वन विभाग के रिठौरा में पदस्थ डिप्टी रेंजर जितेन्द्र रघुवंशी को खबर मिली कि ग्राम पढ़ावली में पर्यटन विभाग के रेस्ट हाउस के सामने मौजूद खदान में माफिया द्वारा व्यापक स्तर पर पत्थर का अवैध खनन किया जा रहा है. सूचना मिलते ही डिप्टी रेंजर सोलंकी अपने दर्जन भर अमले के साथ मौके पर पहुंच गए. वहां जाकर देखा तो लगभग एक सैकड़ा लोग अवैध खनन में लगे थे. मौके पर दो एलएनटी मशीनों द्वारा खुदाई की जा रही थी. वन अमले ने एलएनटी मशीन को पकड़ने के लिए जैसे ही कदम बढ़ाए वहां खनन कर रहे मौजूद माफिया द्वारा उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. अचानक हुए हमले से वन अमला घबरा गया और जान बचाकर भाग गया.

पुलिस के आने से पहले ही चला गया वन अमला

डिप्टी रेंजर सोलंकी का कहना है कि वहां पहुंचकर उन्होंने रिठौरा थाना पुलिस को फोन पर खबर की, लेकिन पुलिस नहीं आई. रिठौरा थाना पुलिस का कहना है कि जब वह मौके पर पहुंची तब तक वन अमला वहां से जा चुका था. लिहाजा वह लोग भी वापस आ गए.

वन अमले के पास फायरिंग के अधिकार नहीं हैं

वन अमले का नेतृत्व कर रहे डिप्टी रेंजर का कहना है कि उनके पास फायरिंग करने का अधिकार नहीं है. इसके लिए उन्हें अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेना पड़ती है. इसके अलावा वह केवल संख्या में 10 से 12 लोग थे, जबकि माफिया और उसके लोगों की संख्या लगभग 100 थी. इसलिए अपनी जान की सलामती चाहते हुए वह लोग वापस भाग आए.

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