प्रशासन करेगा सुधार:कॉलोनी सेल की हर फाइल की अब कम्प्यूटर में एंट्री होगी

कलेक्टोरेट की कॉलोनी सेल में कॉलोनाइजर लाइसेंस के साथ ही विकास मंजूरी और कार्य पूर्णता मिलने में हो रही देरी की लगातार आ रही शिकायतों के बाद कलेक्टर ने इसे लेकर सख्ती शुरू कर दी है। क्रेडाई व अन्य कॉलोनाइजरों द्वारा बताई गई समस्याओं के बाद कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर कॉलोनी सेल के नोडल अधिकारी व अपर कलेक्टर राजेश राठौड़ ने शुक्रवार को कॉलोनी सेल की बैठक ली ।

एक-एक फाइल, इसमें लगने वाले आवेदन और होने वाली देरी को समझा। सामने आया कि कई फाइलों में बेवजह देरी होती है। मंजूरी प्रक्रिया में कई विभाग शामिल हैं और वहां से भी मंजूरियां आने, खासकर पुलिस से रिपोर्ट आने में समय लगता है। इसके लिए तय किया गया कि हर फाइल की कम्प्यूटर में एंट्री होगी। हर दिन का अपडेशन होगा कि फाइल अभी किस स्टेज पर और कहां लंबित है। साथ ही किसी फाइल के लगने पर उसकी एक बार में पूरी स्टडी की जाएगी कि किन दस्तावेजों की इसमें कमी है, वह लिखित में कॉलोनाइजर को एक बार में ही दिया जाएगा। दस्तावेज लगाने के बाद फाइल फिर आगे बढ़ेगी और इसमें लगातार ट्रैकिंग की जाएगी।

अब 1959 से ही जमीन के रिकॉर्ड लगेंगे

कॉलोनी काम में अब 1925 की जगह 1959 से ही जमीन के रिकॉर्ड लगेंगे। अपर कलेक्टर राठौड़ ने बताया कि कलेक्टर के निर्देश के बाद यह बदलाव कर आदेश जारी हो रहे हैं। 1925 मीसल बंदोबस्त की जरूरत होने पर ही ये लिए जाएंगे। बाकी कॉलोनी सेल अपने स्तर पर दस्तावेजों की जांच कर आगे मंजूरी के लिए भेजेगा।

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