कितना हेल्दी है हेल्थ इंश्योरेंस:98% महिलाएं मानती हैं कि हेल्थ कवर वुमन सेंट्रिक हो, जानें स्वास्थ्य बीमा योजनाओं में कितना दम

नोएडा की 43 साल की अनिता मेहरा का रूटीन तय था। हमेशा की तरह सुबह परिवार के लिए नाश्ता तैयार करतीं। फिर बच्चों की पढ़ाई, लंच और शाम को थककर तकरीबन गिर जाने से पहले परिवार के लिए डिनर तैयार करतीं और तब खुद खाना खातीं। एक दिन उन्हें ब्रेस्ट में दर्द और चुभन महसूस होने लगी। थोड़ी तकलीफ से शुरू होकर सुई के चुभने जैसा तेज दर्द जब सहन करना मुश्किल हो गया तो उन्हें अस्पताल ले जाया गया।

पता लगा कि अनिता को ब्रेस्ट कैंसर है। इलाज का खर्च सात से आठ लाख रुपये आ सकता है। इंश्योरेंस कराया नहीं था तो मजबूरन उन्हें यह पैसा अपनी जेब से खर्च करना पड़ा। वह कहती हैं कि मैं बहुत फिट और सेहतमंद रही, इसलिए लगा ही नहीं कि हेल्थ इंश्योरेंस की जरूरत होगी। पूरे परिवार का ध्यान रखते-रखते अपना ख्याल रखना छोड़ चुकी अनिता ने अब अपना स्पेशल हेल्थ इंश्योरेंस कराया है।

अनिता की यह कहानी आमतौर पर हर महिला की कहानी है। देश में ज्यादातर महिलाएं पारिवारिक प्राथमिकताओं में अपनी सेहत की चिंता सबसे नीचे रखती हैं। यही कारण है कि पुरुषों की तुलना में हेल्‍थ इंश्योरेंस कराने वाली महिलाओं की संख्या काफी कम है। महिलाओं से जुड़ी कई मेडिकल प्रॉब्लम्स ऐसी हैं, जिन्हें इंश्योरेंस में भी शामिल नहीं किया जाता। आखिर इंश्योरेंस कंपनियों के महिलाओं के लिए स्पेशल हेल्थ इंश्योरेंस में क्या वाकई दम है? पढ़िए वुमन भास्कर की पूरी रिपोर्ट…

महिलाओं पर केंद्रित इंश्योरेंस प्लांस की कमी
रिलायंस जनरल इंश्योरेंस के सर्वे की मानें तो पिछले एक साल में 57% महिलाओं ने हेल्थ पॉलिसी खरीदी है।10 में से 8 महिलाओं का हेल्थ इंश्योरेंस है, जबकि 10 में से 7 महिलाएं अगले छह महीनों में हेल्थ इंश्योरेंस में निवेश करने की योजना बना रही हैं। यह बात देश के 21 शहरों की 547 महिलाओं (21-45 आयु वर्ग) के ऑनलाइन सर्वे में सामने आई है। 98% महिलाओं का मानना है कि पीरियड्स/हार्मोनल इश्यू, पीसीओडी ट्रीटमेंट, पोस्टपार्टम डिप्रेशन से जुड़ी मानसिक बीमारी और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों के इलाज के लिए महिलाओं पर केंद्रित इंश्योरेंस प्लांस होना जरूरी है। वुमन सेंट्रिक हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसीज ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए।

क्या इंश्योरेंस कंपनियां महिलाओं की सभी बीमारियां कवर करती हैं?
टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी की डिप्टी सेल्स मैनेजर सपना यादव
 बताती हैं कि अक्सर हेल्थ इंश्योरेंस में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारियों को कवर नहीं किया जाता, लेकिन अलग- अलग कंपनियों का क्राइटेरिया अलग होता है। अगर बात करें कॉमन हेल्थ पॉलिसी या फैमिली फ्लोटर हेल्थ इंश्योरेंस प्लान कि तो इसमें आमतौर पर पति, पत्नी और 23 से 25 साल तक के आश्रित बच्चों को कवर किया जाता है। कुछ इंश्योरेंस होल्डर फैमिली मेंबर जैसे माता, पिता, दादा, दादी को भी कवरेज देते हैं। फैमिली फ्लोटर प्लान की कुल इंश्योरेंस राशि को पॉलिसी के सभी मेंबर द्वारा शेयर किया जाता है। दो साल होने के बाद कई कॉमन बीमारियां कवर की जाती हैं।

सपना बताती हैं कि हाउस वाइफ को हेल्थ इंश्योरेंस आसानी से नहीं मिल पाता है। फैमिली फ्लोटर में दुर्घटना के समय हॉस्पिटल में होने वाले खर्च, मैटरनिटी और नवजात शिशु के लिए कवर, दुर्घटना के समय या बीमारी के कारण हॉस्पिटल में भर्ती का खर्च, क्रिटिकल इलनेस, डेली हॉस्पिटल कैश कवर, मनोचिकित्सीय लाभ, हेल्थ चेकअप सहित कई फायदे मिलते हैं। इन दिनों कंपनियों के पास महिलाओं के लिए कई सारे कस्टमाइज्ड हेल्थ इंश्योरेंस प्लान अवेलेबल हैं, जिन्हें वुमन स्पेसिफिक बीमारियों और हेल्थ इश्यू को देखते हुए डिजाइन किया गया है।

कोरोना काल में वेलनेस प्रोडक्ट्स को लेकर सजग हुए लोग
निजी क्षेत्र की प्रमुख बीमा कंपनी आईसीआईसीआई लोम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस के सर्वे के अनुसार, कोविड के बाद की दुनिया में स्वस्थ रहने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण दिखाई दे रहा है, जिसमें हेल्थ और वेलनेस प्रोडक्ट्स को लेकर लोग सजग हुए हैं, लेकिन पैसे की कमी एक बड़ी बाधा है। कोरोना महामारी के चलते पिछले एक साल में एक करोड़ रुपये तक के हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी की बिक्री हुई है।

पॉलिसी बाजार के अनुसार, मैक्स बूपा, केयर हेल्थ इंश्योरेंस और बिड़ला कैपिटल जैसी कंपनियों को जबरदस्त ग्राहक मिले हैं। साल 2021 के पहले तीन महीनों में ही एक करोड़ रुपये से ज्यादा वाले हेल्थ प्लान पॉलिसी बाजार में बुकिंग बढ़कर 12.5% हो गई, जोकि पिछले साल यानी 2020 में महज 9% थी। कोरोना के खौफ व अस्पतालों में भर्ती के बढ़ते खर्च को देखते हुए हाई कवर वाले हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदने पर लोग जोर दे रहें हैं।

इस उम्र की महिलाएं सबसे ज्यादा खरीद रहीं हेल्थ प्लान
आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी के एडवाइजर पुष्कर बताते हैं कि पहले की तुलना में अब देश में महिलाएं इंश्योरेंस को लेकर ज्यादा जागरूक हुई हैं। जो महिलाएं हेल्थ इंश्योरेंस ले रही हैं, उनमें हर 10 में से 6 महिलाएं 5 लाख रुपये से ज्यादा का सम इंश्योर्ड चुनती हैं। अगर उम्र की बात करें तो हेल्थ प्लान खरीदने वाली सबसे अधिक महिला पॉलिसीहोल्डर 25 से 45 वर्ष की उम्र की हैं। यह ट्रेंड इस बात का गवाह है कि महिलाएं अब अपने करियर के शुरुआती वर्षों में ही अपनी हेल्थ को प्राथमिकता देने लगी हैं।

क्यों महिलाओं के लिए जरूरी है हेल्थ इंश्योरेंस?
जयपुर के फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में एडिशनल डायरेक्टर व गायनोकॉलोजिस्ट डॉ. शालू कक्कड़
 बताती हैं कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज, हार्ट की बीमारी, डायबिटीज, कैंसर, सांस संबंधी कई ऐसी बीमारियां हैं, जिसकी चपेट में महिलाएं ज्यादा आती हैं। नींद न आना, तनाव बढ़ना और अवसाद उन्‍हें घेरने लगता है। लाइफस्‍टाइल की बीमारियों से पीड़ित महिलाओं की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। वहीं, तकरीबन सभी महिलाओं के लिए ब्रेस्ट कैंसर, हार्मोन असंतुलन और ऑस्टियोपोरोसिस की रोकथाम के लिए जांच कराना जरूरी होता है। इसके अलावा महिलाओं में ऑटो इम्यून बीमारियों का खतरा भी काफी ज्यादा रहता है। भले ही फ्यूचर में हो सकने वाली हेल्थ इमरजेंसी का पहले से पता नहीं लगाया जा सकता है, लेकिन फैमिली की मेडिकल हिस्ट्री, उम्र और लाइफस्टाइल के हिसाब से एक अंदाजा लगा सकती हैं। बीमा कंपनी को इन फैक्टर्स की जानकारी दे देनी चाहिए। हालांकि, महिलाओं के स्वास्थ्य कवर में कई पहलु बहुत अधिक पॉलिसियों में देखने को नहीं मिलते। ऐसे में भारतीय पॉलिसीज में महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए कदम उठाने होंगे।

कम उम्र में हेल्थ इंश्योरेंस कराना कितना फायदेमंद?
​​​​​​​आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस कंपनी एडवाइजर कौशल कुमार सिंह बताते हैं कि कम उम्र में कम कीमत में पॉलिसी मिलना पॉलिसीहोल्डर के लिए फायदेमंद है। यह बात महिला-स्पेसिफिक हेल्थ केयर प्लान पर भी लागू होता है। मान लीजिए आपकी उम्र 34 साल है और मैरिज को चार वर्ष हो चुके हैं। ऐसे में आप 21 साल की उम्र में लिए हेल्थ कवर और 34 साल की उम्र में लिए हेल्थ कवर में तुलना कर सकती हैं। 20 साल की उम्र के दौरान इंश्योरेंस कंपनी ज्यादा कॉन्फिडेंट होगी। इस उम्र में जो पॉलिसी आप लेंगे, उसमें हेल्थ कवर पर कम कीमत चुकानी पड़ेगी। अक्सर मैरिज के बाद फैमिली फ्लोटर पॉलिसी का ऑप्शन चुनना पसंद किया जाता है, जिसमें दोनों कपल्स कवर हो सके। फैमिली फ्लोटर परिवार बढ़ने के साथ बदला भी जा सकता है। इसमें प्रीमियम परिवार के सबसे बुजुर्ग सदस्य की उम्र पर डिपेंड करेगा और बीमा राशि फैमिली के हर मेंबर के बीच बंट जाता है। ऐसे में अपने लिए एक निजी पॉलिसी खरीदना ज्यादा बेहतर है।

क्या कहती हैं महिलाएं
कोरोना के बाद मैं अपनी हेल्थ के लिए ज्यादा अलर्ट हो गई हूं। हेल्थ इंश्योरेंस केवल बूढ़ों और बीमार लोगों के लिए ही नहीं होती है। अस्पताल के अप्रत्याशित खर्च के बीच कई बीमारियों के लिए बीमा कवर वरदान से कम नहीं। मुझे लगता है कि हेल्थ बीमा पॉलिसीज को अधिक महिला केंद्रित होने की आवश्यकता है।
-अपूर्वा गर्ग, राजस्थान

हेल्थ केयर प्लान खरीदने से न सिर्फ गंभीर बीमारियों के लिए कवरेज मिलता है, बल्कि कैशलेस क्लेम बेनिफिट भी मिलता है। मैंने पांच लाख रुपये से ज्यादा का सम इंश्योर्ड चुना है। वुमन स्पेसिफिक इंश्योरेंस से स्ट्रेस फ्री लाइफ जीने में मदद मिल सकती है।
-प्रत्युषा देव, एमपी

बीमारी किसी को बोल कर नहीं आती है, इसलिए न जाने कब किसे कौन सी हेल्थ प्रॉब्लम हो जाए कुछ मालूम नहीं। मैंने वुमन स्पेसिफिक हेल्थ प्लान करीब 6 साल पहले ही ले लिया था। ये पॉलिसी मेरी हेल्थ और पैसे की आधी परेशानियों को दूर कर देती है।
-सोनिया राजन, दिल्ली

महिलाएं हेल्थ इंश्योरेंस चुनते समय इन बातों का रखें ध्यान:

  • इंश्योरेंस प्लान वुमन सेंट्रिक हो।
  • राइट सम एश्योर्ड चुनें। दरअसल सम एश्योर्ड, इंश्योरेंस कवर की वह वैल्यू है, जिसे इंश्योरेंस पॉलिसी खरीदते समय बीमा कंपनी पॉलिसी होल्डर के लिए तय करती है। इसमें पॉलिसी लेने से पहले तय किए गए अमाउंट में ही मिलने की पूरी गारंटी होती है।
  • यह बात जान लें कि क्या आपका वुमन हेल्थ इश्योरेंस प्लान पहले से मौजूद बीमारियों को कवर करता है या नहीं।
  • रिव्यूज पढ़े और मैटरनिटी कवर को जांच लें। क्या इसके लिए कोई वेटिंग टाइमिंग है?
  • हेल्थ इंश्योरेंस प्लान की तुलना करें। प्रीमियम VS कवरेज, नेटवर्क अस्पताल, रूम रेंट लिमिट पर ध्यान दें।

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