भांग, चरस और गांजा एक ही पौधे का हिस्सा; भांग खुलेआम मिलती है, लेकिन दूसरे पर बैन क्यों? जानें सबकुछ
27 दिन जेल में रहने के बाद आर्यन खान जेल से बाहर आ गए हैं। आर्यन पर NDPS एक्ट के तहत प्रतिबंधित ड्रग्स रखने का आरोप है।
भारत में ड्रग्स का प्रोडक्शन, सेल, खरीद, ट्रांसपोर्ट, स्टोर और कंजंप्शन NDPS एक्ट के तहत बैन है। इस कानून में गांजे की खरीद-फरोख्त से लेकर इस्तेमाल तक को बैन किया गया है, लेकिन भांग के इस्तेमाल में छूट दी गई है। जबकि भांग और गांजा दोनों एक ही पौधे से बनते हैं।
समझते हैं, आखिर गांजा, चरस और भांग क्या होते हैं? कैसे बनते हैं? भारत में भांग का इस्तेमाल खुलेआम किया जा सकता है, लेकिन गांजे का इस्तेमाल क्यों बैन है? NDPS एक्ट में अलग-अलग ड्रग्स की सजा को लेकर क्या प्रावधान है? और दुनियाभर में कब से गांजे का इस्तेमाल किया जा रहा है?…
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भारत में ड्रग्स के इस्तेमाल को लेकर क्या कानून?
भारत में पहले गांजे का इस्तेमाल भी खुले तौर पर किया जा सकता था, लेकिन 1985 के बाद से इस पर रोक लगाई गई। सरकार ने 1985 में नारकोटिक ड्रग और साइकोट्रोपिक सब्सटांस (NDPS) एक्ट पास किया।
इसके तहत नारकोटिक और साइकोट्रोपिक पदार्थ के प्रोडक्शन/खेती, सेल, खरीद, ट्रांसपोर्ट, स्टोर और कंजंप्शन को बैन किया गया।
1985 में ये एक्ट लागू हुआ। इसमें कुल 6 चैप्टर और 83 सेक्शन है।
NDPS एक्ट में भांग के पौधे के अलग-अलग भागों के इस्तेमाल को कानूनी और गैरकानूनी घोषित किया गया। कानून में पौधे के फूल को गांजे के तौर पर परिभाषित किया गया है, जिसका इस्तेमाल एक अपराध है। इसी वजह से गांजे का इस्तेमाल भी गैरकानूनी है।
कानून के उल्लंघन पर सजा और जुर्माना दोनों का प्रावधान है। 1 साल से लेकर 20 साल तक की सजा हो सकती है और 10 हजार से लेकर 2 लाख तक का जुर्माना भी हो सकता है।
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भारत में कहां-कहां पाया जाता है गांजे का पौधा?
भारत में यह पौधा हिमालय की तलहटी और आसपास के मैदानों में, पश्चिम में कश्मीर से लेकर पूर्व में असम तक पाया जाता है। वैसे तो ये एक जंगली पौधे के तौर पर पाया जाता है, लेकिन कॉमर्शियली भी इसका उत्पादन होता है। आमतौर पर अगस्त के दिन में बीज बोए जाते हैं। सितंबर के अंत तक जब पौधे 6-12 इंच के हो जाते हैं, तो इनकी रोपाई की जाती है। नवंबर तक पौधों की ट्रिमिंग कर निचली डालियों को काट दिया जाता है। गांजे के मेल और फीमेल प्लांट को अलग-अलग किया जाता है। जनवरी-फरवरी तक गांजा उपयोग के लिए पूरी तरह तैयार हो जाता है।
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