हैलट में अल्ट्रासाउंड के लिए करना होगा 20 दिन इंतजार:दो सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने नहीं किया अभी तक ज्वाइन, रोजाना होते है 160 से 180 अल्ट्रासाउंड
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के हैलट अस्पताल में रेडियो डायग्नोस्टिक विभाग में आजकल अल्ट्रासाउंड करवाना नार्मल मरीजों के लिए सिर दर्द बना हुआ है। इसका कारण अस्पताल में इस समय सिर्फ दो अल्ट्रासाउंड मशीन ही है और मरीजों हज़ारों की संख्या में यहाँ आते है। दो मशीन होने के कारन नार्मल मरीज को काम से काम 20 दिनों की वेटिंग दी जा रही है। साथ ही पीजी की काउंसलिंग न होने से फर्स्ट ईयर के जूनियर रेजिडेंट भी नहीं आ पाए हैं। इस वजह से मरीजों को काफी दिक्कत हो रही है।
रोजाना होते है 160 से 180 अल्ट्रासाउंड…
हैलट में अस्पताल के मेन एडमिन बिल्डिंग में रेडियो डायग्नोस्टिक डिपार्टमेंट बना है। यहां रोजाना 160 से लेकर 180 अल्ट्रासाउंड किये जाते है। इसके बावजूद यहां आम मरीज और गर्भवती महिलाएं को 20 दिन की वेटिंग दी जा रही है। रेडियो डायग्नोस्टिक डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ एसके सिंह ने इस समस्या के बारे में प्राचार्य डॉ संजय काला और प्रमुख अधीक्षक डॉ मौर्या को अवगत कराया है कि डिपार्टमेंट में दो और मशीनों की जरूरत है, दो बार रिक्वेस्ट भी भेज चुके है लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
दो सीनियर रेजिडेंट के पद भी खली पड़े है…
डॉ एसके सिंह ने बताया कि डिपार्टमेंट में दो सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों के पद भी काफी दिनों से खाली है। शासन से दो सीनियर रेजीडेंट की तैनाती हुई थी। दोनों यहां ज्वाइन करने के बाद से आ ही नहीं रहे थे। इस वजह से विभाग का काम प्रभावित हो रहा था। इस वजह से जांच के लिए आने वाले मरीजों को 20 दिन आगे की डेट देनी पड़ रही है। इसके अलावा विभाग के एक जूनियर रेजीडेंट को सप्ताह में तीन दिन अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल में जाकर अल्ट्रासाउंड की जांच करने के लिए भेजना पड़ता है। इस वजह से विभाग का काम और भी प्रभावित होता है।
डफरिन अस्पताल का भी यही हाल…
यही हाल डफरिन महिला अस्पताल का पिछले कई महीनों से चला आरहा है। वहां पर तैनात डॉक्टर बोलते है अल्ट्रासाउंड मशीन खराब है आपको जांच बाहर से करवानी पड़ेगी यह उन गर्भवती महिलाओं को 15 दिन बाद की तारीख दे देते है। यहां आने वाली गर्भवती महिलाएं इससे काफी परेशान है। यहां आने वाली ज्यादातर महिलाएं पैसे की तंगी की वजह से इलाज करवाने यहां आती है लेकिन सुविधाएं होते हुए भी उनको अपने इलाज के लिए बाहर से अल्ट्रासाउंड व अन्य जांचे करवानी पड़ती है।