पंखे जितनी बिजली की खपत में AC की हवा …..वाराणसी के IIT-BHU के साइंटिस्ट ने बनाई कूलिंग डिवाइस; लगाना भी आसान, 90% बचेगी बिजली

वाराणसी के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT-BHU) के साइंटिस्ट ने कम खर्च में एयर कंडीशन (AC) की कूलिंग संभव कर दी है। अब कूलर के दाम पर एयर कंडीशन जैसी ठंडी हवा मिल सकेगी। बिल की टेंशन भी परेशान नहीं करेगी। क्योंकि डिवाइस को इस्तेमाल करने पर बिजली का बिल 1 पंखे के बराबर ही आएगा। यह डिवाइस बाहर की गर्म हवा को सिस्टम में लेकर गर्मी और नमी, दोनों को फिल्टर करके सिर्फ ठंडी हवा को ही रूम में भेजता है।

वैज्ञानिक और स्कॉलर ने मिलकर इजाद की डिवाइस

इस तकनीक की खोज IIT-BHU में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के वैज्ञानिक डॉ. जहर सरकार और उनके रिसर्च स्कॉलर सर्वेश कश्यप ने की है। 6 महीने में उन्होंने लैब में यह डिवाइस तैयार किया है। डॉ. सरकार ने बताया कि यह कूलिंग मशीन इवेपोरैटिंग (वाष्पीकरण) तकनीक पर काम करती है। इस डिवाइस में पतली-पतली पाइप के 10 चैनल लगाए गए हैं। इनमें 5 चैनल से पानी गुजरता है। वहीं बाकी के 5 चैनल से कमरे ठंडी हवा का प्रवेश होता है।

यह ठंडी हवा डिवाइस में सबसे ऊपर लगे 2 छोटे पंखों के सहारे कमरे में आती। सबसे खास बात यह है कि वह हवा एकदम सूखी होती है। उसमें पानी की मात्रा 0% होती है। इससे कमरे में बाहरी वातावरण की ह्यूमिडिटी प्रवेश नहीं कर पाती है। वहीं डिवाइस और कमरे में ह्यूमिडिटी पहले से है। उसे एग्जॉस्ट के जरिए बाहर कर दिया जाता है।

वाराणसी में IIT-BHU स्थित मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के लैब में कूलिंग डिवाइस के साथ खोजकर्ता डॉ. जहर सरकार (बाएं) और उनके रिसर्च स्कॉलर सर्वेश कश्यप ।
वाराणसी में IIT-BHU स्थित मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के लैब में कूलिंग डिवाइस के साथ खोजकर्ता डॉ. जहर सरकार (बाएं) और उनके रिसर्च स्कॉलर सर्वेश कश्यप ।

पेटेंट होते ही टेक्नोलॉजी करेंगे ट्रांसफर
डिवाइस को पेटेंट कराने की तैयारी चल रही है। जिसके बाद भारत सरकार की किसी कंपनी को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की जाएगी। डॉ. सरकार का कहना है कि इस डिवाइस को घरेलू उपयोग के साथ रेलवे में भी लागू करना फायदेमंद होगा। अगर रेल की बोगियों में लगे एसी इससे रिप्लेस किए जाते हैं, तो इंडियन रेलवे को फायदा होगा। एयर कंडीशन से निकलने वाली ग्रीन हाउस गैस (CFC) के नुकसान से भी पर्यावरण को बचाया जा सकेगा।

AC से 10 गुना कम होगी बिजली की खपत
लैब में स्टील बॉडी से इसका प्रोटोटाइप (नमूना) तैयार किया गया है। जिसका खर्च सिर्फ 10 हजार रुपए आया है। बड़ी संख्या में उत्पादन करने पर इसकी लागत आधी भी हो सकती है। इस डिवाइस को मई-जून की तपती गर्मी और जुलाई-अगस्त के उमस भरे मौसम के बारे में विचार करने के बाद बनाया गया है।

डिवाइस को कूलर की तरह खिड़की या दीवार के बाहर फिट कर सकेंगे।
डिवाइस को कूलर की तरह खिड़की या दीवार के बाहर फिट कर सकेंगे।

मिनिमम टेम्परेचर 20°C तक ही
1 टन की AC में हर घंटे 1 किलोवाट बिजली की खपत होती है। वहीं इस डिवाइस को सिर्फ 100 वाट बिजली की जरूरत है। इसके साथ ही इसका टेम्परेचर मिनिमम 20 डिग्री सेल्सियस तक रखा जा सकता है। मानव शरीर के लिहाज से इससे कम तापमान स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता।

कूलर की तरह होगा फिट
इस डिवाइस को कूलर की तरह खिड़की या दीवार के बाहर फिट कर सकेंगे। रूम में इसका केवल पंखे वाला भाग ही खोला जाएगा। वहीं इसमें रोजाना 4 लीटर पानी भी पाइप के सहारे डालना होगा।

किफायती और इकोफ्रेंडली है डिवाइस

IIT-BHU के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन।
IIT-BHU के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन।

IIT-BHU के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन का कहना है कि ग्लासगो के कॉप-26 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने क्लीन एनर्जी और कार्बन उत्सर्जन पर दुनिया के सभी देशों को एक साथ चलने की बात की थी। ऐसे में IIT-BHU में विकसित यह तकनीक बड़े स्तर पर एमिशन को रोकेगी। इस डिवाइस से पावर कंजप्शन कम होगा तो बिजली भी सीमित मात्रा में बनेगी। ग्लोबल वार्मिंग कम होगा। यह डिवाइस खर्चों को बचाने के साथ ही इकोफ्रेंडली भी है।

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