सिंध की बाढ़ से तबाह हुए परिवारों का दर्द:3 माह बाद भी झोपड़ी में रह रहे पीड़ित, दूर-दूर तक रोशनी नहीं; बोले- काली होगी दिवाली

देशभर में दिवाली पर जहां हर घर रोशन होगा, वहीं भिंड में बाढ़ पीड़ितों के घर तीन महीने बाद भी अंधेरा है। अगस्त महीने आई बाढ़ से सैकड़ों परिवार तबाह हो चुके हैं। पानी में इनका सब कुछ बह जाने से बेघर हो चुके हैं। टीम ने ऐसे ही परिवारों के बीच भिंड जिले के पर्रायच गांव पहुंची। यहां बीहड़ों के बीच तिरपाल की झोपड़ी बनाकर रह रहे लोगों का दर्द जाना। बाढ़ पीड़ित परिवारों की दिवाली बिना उजाले के मन रही है। दूर-दूर तक रोशनी के इंतजाम नहीं। इस बार इनके घर की यह दिवाली काली दिवाली है। उनके चेहरे पर दिवाली की कोई खुशी नहीं दिखी।

दिवाली का त्योहार देशभर में उल्लास के साथ मनाया जा रहा है। शहर से लेकर गांव में रहने वाले लोगों के घर-आंगन दीपोत्सव के स्वागत में सजधज कर तैयार हो चुके हैं। भिंड जिले में ऐसे कई परिवार हैं, जो बाढ़ की वजह से बर्बाद हो चुके हैं। इन परिवारों की मदद के नाम पर सरकारी घोषणाएं नाकाफी साबित हुई हैं।

दैनिक भास्कर टीम जब गांव में पहुंची, तो तिरपाल की झोपड़ी में रह रही एक महिला रूखी-सूखी रोटियां अचार के साथ खा रही थी। वहीं, एक महिला बर्तन साफ कर रही थी। यहां रहने वाली कैलाशी देवी के घर चूल्हा तक नहीं जला था। इसके बाद एक परिवार के पास पहुंचे, जिसने पॉलीथिन की जगह टीन शेड लगाकर रह रहे हैं। यहां कुछ बालिकाएं घर में दिवाली मनाने के लिए भोजन बनाने की तैयारी में जुटी थीं।

2 किमी दूर से लाते हैं पीने का पानी

इनके घर 3 महीने बाद भी पीने का पानी का इंतजाम नहीं हो सका है। यह गरीब परिवार खेतों में मेहनत मजदूरी करके परिवार का भरण पोषण कर रहे हैं। परंतु बिजली और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए शासन की ओर देख रहे हैं।

बिजली के अभाव में अंधेरे में मन रही बाढ़ पीड़ितों की दिवाली।
बिजली के अभाव में अंधेरे में मन रही बाढ़ पीड़ितों की दिवाली।

पूर्व सीएम भी आ चुके

पर्राचय गांव में इन गरीबों के बीच बाढ़ के बाद पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह भी आ चुके हैं। दिग्विजय सिंह के आने पर स्थानीय राजनेताओं ने पीने के पानी से लेकर अन्य जरूरत की सुविधाओं को जल्द पूरा किए जाने की बात कही थी। परंतु दिवाली पर अंधेरे में रह रहे इन परिवारों को देखने कोई नहीं आया।

अब कोई देखने सुनने नहीं आता

  • मेरा बाढ़ में सब कुछ तबाह हो चुका है। घोषण के बाद अब तक आवास नहीं मिला है। कोई भी सुनने देखने नहीं आता है। पीने के पानी को दूर से लाती हूं। दिवाली पर बच्चों को भोजन बनाकर खिला दूंगी। – कैलाश देवी, बाढ़ पीड़िता

अंधेरे में मेरी दिवाली

  • बाढ़ की वजह से जहां हम लोग रह रहे है। वहां बिजली है ना ही पीने का पानी। अंधेरे में ही दिवाली माने को मजबूर है। शासन-प्रशासन का कोई अफसर व जनप्रतिनिधि देखने के लिए नहीं आया। – राजेश्वरी देवी, बाढ़ पीड़िता

जीवन की पहली ऐसी दिवाली है

  • जीवन की पहली दिवाली है जोकि अंधेरे में मना रहा हूं। घर मकान की कोई व्यवस्था ही है। कोई सुनने वाला नहीं है। यहां रहकर जीवन यापन करने को मजबूर है। यह मेरी काली दिवाली है। – मुलू सिंह, बाढ़ पीड़ित
शासन -प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को किया अनदेखा।
शासन -प्रशासन ने बाढ़ पीड़ितों को किया अनदेखा।

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