Delhi: हाईकोर्ट का सरकार से सवाल- क्या दिल्ली में अब शराब नहीं मिलेगी? आप ब्रांड MRP क्यों तय नहीं कर रहे
दिल्ली सरकार से हाई कोर्ट ने कहा कि वो उन शराब ब्रांड की संख्या के बारे में सूचित करे. जिनकी MRP तय है और उनके बारे में बताएं जो बाकी बचे हैं.
दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को दिल्ली सरकार (Delhi Government) से कहा कि वह दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 के तहत शराब के उन ब्रांड की संख्या के बारे में जानकारी दे जिनका अधिकतम खुदरा मूल्य (MRP) तय किया गया है. साथ ही उनका भी जिनका अभी तय किए जाने हैं. इस दौरान कोर्ट ने सरकार से यह भी बताने के लिए कहा कि क्या किसी शराब ब्रांड का रजिस्ट्रेशन पहले ही किया जा चुका है.
दरअसल, इस मामले में जस्टिस रेखा पल्ली की एकल पीठ ने कहा कि इस मुद्दे से निपटने से पहले, उनका विचार है कि प्रतिवादी (दिल्ली सरकार) के लिए यह जरूरी है कि वह कोर्ट को उन शराब ब्रांड की संख्या के बारे में सूचित करे. जिनके MRP तय की जा चुकी हैं और तारीख के साथ उनके बारे में बताएं जोकि बाकी बचे हैं. यह भी बताएं कि क्या किसी ब्रांड का रजिस्ट्रेशन पहले ही किया जा चुका है या नहीं.
इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि इसका मतलब है कि दिल्ली के लोगों को शराब नहीं मिलेगी. आप ब्रांड की MRP क्यों नहीं तय कर रहे हैं. वहीं, दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और राहुल मेहरा ने निर्देश लेने के लिए समय मांगा, इसके बाद पीठ ने सुनवाई 11 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
दिल्ली सरकार 1 नवंबर से लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने का नहीं दे सकती निर्देश
बता दें कि हाई कोर्ट उन 16 याचिकाकर्ताओं की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जोकि खुदरा शराब दुकानों के संचालन के वास्ते लाइसेंस के लिए सफल बोलीदाता हैं. याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली सरकार के एक नवंबर, 2021 से लाइसेंस शुल्क वसूलने के फैसले को अवैध घोषित करने का अनुरोध किया है. वहीं, खुदरा विक्रेताओं की ओर से पेश हुए सीनियर एडवोकेट मनिंदर सिंह और एडवोकेट तन्मय मेहता ने दलील दी कि सरकार याचिकाकर्ताओं को एक नवंबर से लाइसेंस शुल्क का भुगतान करने का निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि लाइसेंस शुल्क का भुगतान कारोबार शुरू होने पर निर्भर करता है.
ब्रांड की MRP पहले से ही तय है- अभिषेक मनु सिंघवी
गौरतलब है कि इस दौरान उन्होंने कोर्ट से कहा कि प्राधिकारियों ने अधिकांश ब्रांड के MRP तय नहीं किए हैं और उन्हें शुल्क का भुगतान करने के निर्देश देने का कोई अधिकार नहीं है. इस पर दिल्ली सरकार के एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी और मेहरा ने इसका विरोध किया और उन्होंने कहा कि अधिकांश ब्रांड की MRP पहले से ही तय है और MRP का निर्धारण एक सतत प्रक्रिया है और सरकार इस देरी के लिए जिम्मेदार नहीं है.