बड़ा फैसला: सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी और गरीब सवर्णों को भी मिलेगा आरक्षण का लाभ, जानिए कैसे होगा लागू?
केंद्रीय मेडिकल कॉलेजों में यह आरक्षण पहले से लागू है. अब राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी मौजूदा सत्र से ही यह लागू हो जाएगा.
नई दिल्लीः राज्यों के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी और आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को भी आरक्षण का लाभ मिलेगा. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को यह अहम फैसला लिया है. इस फैसले के तहत राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में ऑल इंडिया कोटा सिस्टम के तहत ओबीसी वर्ग के छात्रों को 27 फीसदी और गरीब सवर्ण छात्रों को 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा. इस आरक्षण का लाभ एमबीबीएस, एमडी, एमएस, डिप्लोमा और बीडीएस, एमडीएस करने वाले छात्रों को मिलेगा. बता दें कि केंद्रीय मेडिकल कॉलेजों में यह आरक्षण पहले से लागू है. अब राज्य के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में भी मौजूदा सत्र से ही यह लागू हो जाएगा.
इतनी सीटों पर मिलेगा आरक्षण का लाभ
सेंट्रल कोटे के तहत अंडरग्रेजुएट की 15 फीसदी सीटों पर और पोस्ट ग्रेजुएट की 50 फीसदी सीटों पर आरक्षण लागू होगा. वहीं अंडरग्रेजुएट की बाकी 85 फीसदी सीटों और पोस्ट ग्रेजुएट की 50 फीसदी सीटों पर राज्य सरकारें अपने हिसाब से एडमिशन दे सकेंगी. सरकार का दावा है कि इस कदम से हर साल ओबीसी वर्ग के करीब 1500 छात्रों को एमबीबीएस में और 2500 ओबीसी छात्रों को पीजी कोर्स में एडमिशन लेने पर फायदा मिलेगा. वहीं आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्ण वर्ग के 550 छात्रों को एमबीबीएस और 1000 छात्रों को पीजी एडमिशन में इसका फायदा मिलेगा.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर लागू हुआ था ऑल इंडिया कोटा सिस्टम
बता दें कि साल 1986 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर ऑल इंडिया कोटा सिस्टम लागू किया गया था. जिसके तहत प्रतिभाशाली छात्र बिना डोमिसिल की बाध्यता के किसी भी राज्य के अच्छे मेडिकल कॉलेज में एडमिशन पा सकते हैं. यह ऑल इंडिया कोटा सिस्टम सरकारी मेडिकल कॉलेज की 15 फीसदी यूजी (अंडर ग्रेजुएट) और 50 फीसदी पीजी (पोस्ट ग्रेजुएट) पर लागू होता है. साल 2007 तक ऑल इंडिया कोटा सिस्टम में कोई आरक्षण नहीं था लेकिन 2007 में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इसमें एससी और एसटी के लिए क्रमशः 15% और 7.5% आरक्षण की व्यवस्था की गई.
साल 2007 में ही सेंट्रल एजुकेशन इंस्टीट्यूशन एक्ट के लागू होने के बाद देश के केंद्रीय मेडिकल कॉलेज में ओबीसी के लिए 27 फीसदी और गरीब सवर्णों के लिए 10 फीसदी आरक्षण लागू कर दिया गया. हालांकि राज्यों के सरकारी मेडिकल और डेंटल कॉलेज में यह लागू नहीं किया गया था. अब सरकार के फैसले के बाद पिछड़े वर्ग और गरीब सवर्ग वर्ग के छात्र आरक्षण का लाभ लेकर देश के किसी भी मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए प्रतिस्पर्धा कर सकेंगे.
उल्लेखनीय है कि ओबीसी की नॉन क्रीमी लेयर को इसका लाभ मिलेगा और ओबीसी जातियों को केंद्रीय सूची के हिसाब से आरक्षण का लाभ दिया जाएगा.
ऐसे समझें
साल 2020 में एमबीबीएस की 84 हजार के करीब सीटें थीं, इनमें से करीब 50 फीसदी यानी कि 42 हजार के करीब सीटें सरकारी मेडिकल कॉलेज की होंगी. इस आधार पर आकलन करें तो ऑल इंडिया कोटा सिस्टम के तहत 15 फीसदी यानि कि करीब 6 हजार सीटें आती हैं. अब सरकार के फैसले के मुताबिक इन 6 हजार सीटों पर भी ओबीसी और गरीब सवर्णों को आरक्षण मिलेगा. पहले इनमें से सिर्फ एससी और एसटी वर्ग को ही आरक्षण मिलता था.