पाक चाहता था चुनाव बाद लगे मसूद अजहर पर बैन, नहीं तो फायदा ले जाएंगे मोदी
मसूद अजहर को ‘वैश्विक आतंकी’ घोषित करने को लेकर चीन की तरफ से लगाए गई तकनीकी रोक को हटाने से बहुत पहले ही पाकिस्तान और चीन में इस बात को लेकर आपसी सहमति बन गई थी कि मसूद को और ज्यादा समय तक वैश्विक आतंकी घोषित करने से नहीं रोका जा सकता है। लेकिन, वे चाहते थे कि संयुक्त राष्ट्र की तरफ से मसूद को वैश्विक आतंकी भारत में हो रहे चुनाव होने के बाद किए जाए।
पूरे मामले से वाकिफ सूत्र ने बताया कि पाकिस्तान किसी भी सूरत में ऐसा नहीं चाह रहा था कि मसूद को उस वक्त आतंकी सूची में डाला जब भारत में चुनाव चल रहा हो, जिसका फायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को मिले, जो दूसरे कार्यकाल के लिए प्रचार में जुटे हैं।
पाकिस्तान के सदाबहार दोस्त चीन ने मसूद अजहर पर तकनीकी रोक को सातवें चरण के चुनाव के करीब यानि 15 मई के आसपास हटाना चाहता था। लेकिन, यूनाइटेड स्टेट्स ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिसके चलते चीन को मसूद अजहर पर पीछे हटना पड़ा और न चाहते हुए भी 23 अप्रैल का प्रस्ताव किया। उसके बाद अमेरिका की तरफ से तारीफ 30 अप्रैल बढ़ाई गई और आखिर में 1 मई पर सहमति बनी।
14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले जिसे कश्मीर में 30 साल में सबसे खतरनाक आतंकी हमला कहा गया, उसके बाद ट्रंप प्रशासन को इस बात का एहसास हो गया कि शांति के लिए मसूद अजगर आतंकी घोषित करना जरूरी है।
सबसे खास बात ये है कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने मसूद अजहर को यूएन की ‘वैश्विक आतंकी सूची’ में शामिल करने पर पहली प्रतिक्रिया में आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी कूटनीति और विश्विक समुदाय की जीत करार दिया और कहा कि “यह दक्षिण एशिया में शांति की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम है।”