जेवर एयरपोर्ट बनने से आस-पास के 6 गांवों के लोगों की चमकी तकदीर, साईकिल चलाने वाले किसान अब कार से जा रहे हैं खेतों में

एयरपोर्ट में जमीन जाने के बाद मिले मुआवजे से किसानों ने खूब गाड़ियां खरीदी हैं. अकेले रोही गांव के करीब 200 किसानों ने कार खरीदी है. इस गांव में 100 बुलेट खरीदी गई हैं.

नोएडा (Noida) के पास बनने वाले जेवर एयरपोर्ट (Jewar Airport) से केवल क्षेत्र का ही विकास नहीं होगा, बल्कि आस-पास के गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन में अभी से ही बहुत परिवर्तन होने लगे हैं. दरअसल एयरपोर्ट बनाने के लिए सरकार ने इलाके के छह गांव के किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया है. जमीन अधिग्रहण के लिए सरकार ने किसानों को मुआवजा राशि दी है. सरकार द्वारा दी गई इस मुआवजा राशि के मिलने के बाद गांव के लोगों के जीवन में काफी बदलाव आया है. गांव के लोगों की जिंदगी खाफी हद तक बदल गई है.

जहां पहले गांव के लोग स्कूटर या पब्लिक ट्रांसपोर्ट से सफर करते थे. अब उन्ही गांव के लोगों ने बड़ी-बड़ी लग्जरी गाड़ियां खरीद ली हैं. छोटे मकानों की जगह लोगों ने बड़े-बड़े घर बना लिए हैं. इतना ही नहीं इन किसानों ने आसपास के जिलों में बड़े-बड़े फॉर्म हाऊस भी खरीद लिए हैं.

रोही गांव के किसानों की गई है सबसे ज्यादा जमीन

जेवर एयरपोर्ट के पहले चरण में रोही, पारोही, किशोरपुर, रनहेरा, किशोरपुर और दयानतपुर गांव की जमीन गई है. सबसे ज्यादा किसान इसी गांव से विस्थापित हुए हैं. विस्थापन की एवज में किसानों को मुआवजा राशि भी दी गई है. उन्हें घर के बदले दूसरी जगह जमीन दी गई है. पैसा आने के बाद क्षेत्र में आर्थिक और सामाजिक बदलाव देखने को मिल रहे हैं.

मुआवजे का पैसा मिलते ही इलाके के किसानों ने दूसरे जिलों में खेती के लिए जमीन खरीदी ली है. किसानों ने मथुरा, अलीगढ़, बुलंदशहर, हापुड़, गाजियाबाद, जहांगीरपुर, पिसावा और खुर्जा जैसे शहरों में जमीन खरीदी है. किसानों ने पहले के मुकाबले दो से तीन गुना जमीन खरीदी है. जमीन देने वाले करीब 70 प्रतिशत किसानों ने यही काम किया है.

गांव के लोगों में कार लेने वालों की संख्या बढ़ी

एयरपोर्ट में जमीन जाने के बाद मिले मुआवजे से किसानों ने खूब गाड़ियां खरीदी हैं. अकेले रोही गांव के करीब 200 किसानों ने कार खरीदी है. इस गांव में 100 बुलेट खरीदी गई हैं. किसानों का बुलेट के प्रति रुझान को देखते हुए कंपनी ने तो गांव में कैंप लगा दिया था. बुलेट की घर पर ही डिलीवरी दी थी. जो किसान पहले साइकिल का प्रयोग करते थे अब वो ही सभी कार से सफर करने लगे हैं. जिन किसानों ने दूसरी जगहों पर जमीन खरीदी है, वह अब वो खेतों में काम करने कार से पहुंचते हैं. किसानों का कहना है कि यह तरक्की तो है.

किसानों ने शुरू किया अपना बिजनेस

मुआवजा मिलने के बाद कुछ किसानों ने अपना बिजनेस शुरू किया है. किसी ने दुकान खोली तो कोई दूसरा व्यवसाय शुरू कर दिया है. जमीन देने वाले कुल किसानों में से केवल 1 से 2 प्रतिशत ने ही अपना काम-धंधा शुरू किया है. किसानों का कहना है कि यह जरूरी है कि अपना काम शुरू किया जाए. उनका कहना है कि जमीन जाने से पहले व्यवसाय करने के बारे में तो सोचते ही नहीं थे.

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