खर्चीली शिक्षा निगेटिव असर …. प्राइवेट से महंगी सरकारी स्कूल की पढ़ाई; एक बच्चे पर सालाना 47 हजार खर्च, फिर भी मप्र टॉप-5 में नहीं

प्रदेश सरकार हर साल पहली से बारहवीं तक के बच्चों की शिक्षा पर करीब 42 से 48 हजार करोड़ रुपए खर्च करती है। अगर प्रति बच्चे पर खर्च का औसत देखें तो यह रकम अच्छे कान्वेंट स्कूलों में व्यय राशि से ज्यादा है। इसके बावजूद प्रदेश पिछले 16 साल से एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट में पिछड़ रहा है। बच्चों की हालत यह है कि उन्हें ठीक से हिंदी पढ़ना भी नहीं आता। पढ़ें यह भास्कर ग्राउंड रिपोर्ट…

मप्र एक बार फिर नेशनल लेवल की एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन (असर) रिपोर्ट में पिछड़ गया। हमने वर्ष 2019-20 के खर्च किए गए बजट को देखा तो पाया कि इस साल सरकार ने करीब 42768 करोड़ रुपए पहली से बारहवीं तक के 91.10 लाख बच्चों पर खर्च किए। इस हिसाब से एक बच्चे पर पूरे साल में करीब 47 हजार रुपए खर्च हुए।

यह भोपाल व इंदौर के अच्छे कॉनवेंट स्कूल में खर्च राशि से बराबर या उनसे अधिक है। जबकि इतनी फीस में एक सीबीएसई स्कूल बच्चों को अंग्रेजी भाषा का संपूर्ण ज्ञान, कम्प्यूटर एजुकेशन, बस सुविधा, स्पोर्टस की ट्रेनिंग और अन्य एक्टिविटी सिखाता है। वैसे बता दें कि मप्र इस रिपोर्ट में पिछले 16 साल से पिछड़ा हुआ है।

इतनी ही फीस में निजी स्कूल कम्प्यूटर, स्पोर्ट्स आदि दर्जनों एक्टिविटी सिखाते हैं, सरकारी में पढ़ाई भी दूभर

केस 1 बच्चे बातों में मशगूल, शिक्षक सोने में

तस्वीर भोपाल की सीमा पर स्थित बांसिया गांव के प्राथमिक स्कूल की है, जहांं कुल 26 बच्चे रजिस्टर्ड हैं। हमें स्कूल में एक क्लास लगी मिली। कमरे में झांका तो 8 बच्चे बातें करते दिखे। जबकि शिक्षक नीलेश पटेल कुर्सियों पर पांव फैलाकर सो रहे थे। जगाया तो कहने लगे तबीयत ठीक नहीं थी, इसलिए दवा लेकर सो रहा हूं। पूछने पर कहने लगे कि वे तो संकुल में अटैच हैं, आज ही पढ़ाने आए हैं। जब पूछा कि क्या अकेले शिक्षक हैं तो कहने लगे, एक और टीचर सतीश मेहरा हैं, लेकिन वे सिरोंज विधायक से मिलने गए हैं।

केस 2 लाइब्रेरी सड़ रही, कंडम कंप्यूटर, पंखा टूट चुका

भोपाल-रायसेन जिले की सीमा पर स्थित बिलखिरिया मिडिल स्कूल में 212 स्टूडेंट हैं। यहां लाइब्रेरी तो बनाई गई, लेकिन उसमें इतनी बदबू है कि खड़े भी नहीं रह सकते। लाइब्रेरी की छत पर लटके पंखे की दशा आप ऊपर फोटो में देख सकते हैं। 10 साल पहले बनी बिल्डिंग जर्जर हो रही है। कंप्यूटर कंडम हैं। बच्चों ने हम ही से पूछ लिया- ये कैसे चलता है।

बजट ऐसे समझिए- 99407 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 9110300 बच्चों पर 42768 करोड़ रु. खर्च

99407 सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे 9110300 बच्चों पर 42768 करोड़ रुपए खर्च

………… ने स्कूल शिक्षा विभाग के वर्ष 2020-21 के प्रशासकीय प्रतिवेदन में से वर्ष 2019-20 का खर्च ब्याेरा निकाला। इसमें बताया गया है कि वर्ष 2019-20 का कुल बजट 26483 करोड़ था। इसमें 22177 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

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