इंदौर…. शहर के सरकारी अस्पताल कितने तैयार? … 6 में से 5 अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगे, पर ऑक्सीजन का फ्लो 10 ली./मिनट ही, वेंटिलेटर पर चाहिए 30 ली./मिनट

कोरोना के नए वैरिएंट ओमिक्रॉन की दहशत के बीच शहर के सरकारी अस्पताल कितने तैयार हैं, इस पर भास्कर ने पड़ताल की। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अधीन छह में से पांच अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट शुरू हो चुके हैं। सिर्फ एक अस्पताल एमटीएच में प्लांट शुरू नहीं हुआ है। इन प्लांट्स से ऑक्सीजन का फ्लो 10 लीटर प्रति मिनट मिलेगा। इसका इस्तेमाल ऑक्सीजन मास्क, रिब्रिदिंग मास्क व नेजल केनूला में किया जा सकेगा।

हालांकि वेंटिलेटर पर 30 लीटर प्रति मिनट ऑक्सीजन फ्लो लगता है। एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित के मुताबिक पांच प्लांट काम करने लगे हैं। ऑक्सीजन का फ्लो 10 लीटर प्रति मिनट है, इसलिए सुपर स्पेशिएलिटी में पहली व दूसरी मंजिल को ही इससे कनेक्ट किया है।

जिले में 46 प्लांट्स लगना हैं, 42 तैयार हो चुके

अप्रैल से जून तक कोरोना की दूसरी लहर में सरकारी मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 28 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रोज जरूरत थी। सरकारी व निजी अस्पतालों में पांच महीने में ऑक्सीजन के 42 प्लांट तैयार किए। अब 5 सरकारी अस्पतालों के प्लांट की क्षमता 14 मीट्रिक टन ऑक्सीजन उत्पादन की है। यानी प्राण‌वायु की उपलब्धता के मामले में 50 फीसदी आत्मनिर्भर हैं।

डेढ़ साल में भी खुद का अस्पताल तैयार नहीं किया

स्वास्थ्य विभाग के पास जिले में 45 स्वास्थ्य संस्थाएं हैं, लेकिन खुद के पास शहर में एक भी ऐसा अस्पताल नहीं है, जहां कोविड मरीजों का इलाज कर सकें। पीसी सेठी में जरूर 250 से 300 बेड की क्षमता है, लेकिन बच्चों के हिसाब से। अभी यहां मैटरनिटी सेवा संचालित है।

रेमडेसिविर; तब कमी थी, अब 600 से 700 स्टॉक में

मेडिकल कॉलेज के पास 600 से 700 रेमडेसिविर इंजेक्शन हैं। टोसिलीजुमेब इंजेक्शन को लेकर अधिकारियों का कहना है कि यह महंगा इंजेक्शन है, इसलिए पहले से खरीद कर नहीं रख सकते।

बेड; दूसरी लहर के बाद 2500 बढ़ाए, अब कुल क्षमता 10 हजार है

  • 7500 बेड की क्षमता थी कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में 109 अस्पतालों में। अब शिशु रोग के 2500 बेड बढ़ाए गए हैं।
  • 10 हजार बेड तैयार हैं, लेकिन इन्हें कोविड वार्ड या कोविड बेड के रूप में आरक्षित नहीं रखा है। जरूरत पड़ने पर ऐसा करेंगे।
  • 300 वेंटिलेटर और 500 बायपेप मशीनें हैं।
  • 113 वेंटिलेटर सरकारी मेडिकल कॉलेज के 5 अस्पतालों में हैं।
  • 70 वेंटिलेटर, 5 बायपेप और 73 ऑक्सीजन कंसंस्ट्रेटर अरबिंदो अस्पताल में हैं। यहां 300 मरीजों के हिसाब से दवाइयां मौजूद

आइसोलेशन, क्वारेंटाइन सेंटर 60 से ज्यादा थे, अब सिर्फ एक ही है

पहली व दूसरी लहर के दौरान 60 से ज्यादा आइसोलेशन, क्वारेंटाइन सेंटर होटल, बिल्डिंग्स, हॉस्पिटल्स, कॉलेज, गार्डन में बनाए थे। अब सिर्फ राधा स्वामी कोविड केयर सेंटर है, जहां 100 बेड हैं। इस सेंटर को मैदान में ही पीछे की ओर शिफ्ट कर दिया है।

….. एक्सपर्ट – नए वैरिएंट तो आते रहेंगे, घबराने की जरूरत नहीं, वैक्सीन लगवाएं

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. डाॅ. वीपी पांडे ने बताया कोरोना वायरस अपना स्वरूप बदलता रहता है। ओमिक्रॉन के फिलहाल घातक प्रभाव नहीं देखे गए हैं तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है। दक्षिण अफ्रीका में इसकी पहचान दो माह पहले ही हो गई थी। अब वहां इस पर काफी हद तक नियंत्रण पा लिया गया है। बचाव का एक ही तरीका है कि वैक्सीन लगवाएं।

वैक्सीन के दोनों डोज लगवा लिए हैं तो संक्रमित होने पर भी वायरस घातक असर नहीं दिखाएगा। अमूमन सारी आबादी वैक्सीनेटेड हो चुकी है। ज्यादातर के शरीर में एंटीबॉडी बन चुकी है। इसलिए तीसरी लहर आने की संभावना कम है। यदि आती भी है तो दूसरी लहर जितनी घातक नहीं होगी। ओमिक्रॉन को लेकर डर की सिर्फ साइकोलॉजी है। प्रो. डाॅ. वीपी पांडे, मेडिसिन विभागाध्यक्ष, एमजीएम, मेडिकल कॉलेज

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