पेरेंट्स के लिए जरूरी खबर ……एक्सपर्ट बोले- बच्चों के साथ हर वो काम करें जो उनसे कराना चाहते हैं, उन पर थोपें नहीं, सहभागी बनें

कोरोना के कारण स्कूल बंद होने से बच्चों के हाथ में किताबों की जगह मोबाइल ने ले ली है। बच्चे तो मानो इसी का इंतजार कर रहे थे। पहले उनके हाथ में नहीं देने के लिए कई बातें कही जाती थीं, लेकिन अब खुद पेरेंट्स और टीचर्स बच्चों के हाथ में मोबाइल दे रहे हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई का प्रतिशत घट गया है। बच्चे पढ़ाई के अलावा सोशल मीडिया और नए-नए मोबाइल गेम खेलने लगे हैं।

स्कूलों में बच्चों को अखबार पढ़ना सिखाने, बच्चों को नए-नए प्रयोग कराने, उन्हें पढ़ाई का याद करने के अलावा रोज के जीवन में क्या महत्व है। फिजिक्स में डॉक्टरेट डॉ. भरत व्यास बता रहे हैं कि इस मुश्किल समय में हम बच्चों की अच्छी पेरेंटिंग कैसे करें, ताकि वे मोबाइल का सही उपयोग कर सकें। बच्चे खेलकूद के साथ बाहरी एक्टिविटी में शामिल हो सकें।

बच्चों और शिक्षा को कैसे प्रभावित किया?
पहले बच्चे शिक्षकों के माध्यम से सामने रहकर सीखते थे, जो कोरोना में बदलकर वर्चुअल हाे गई। इसमें टीचर्स से ज्यादा माता-पिता की अहम जिम्मेदारी है। वर्चुअल पढ़ाई के लिए मजबूरी में मोबाइल का सहारा लेना पड़ रहा है। कोरोना के पहले बच्चों को मोबाइल नहीं देते थे। अब शिक्षक और पेरेंट्स दोनों ही बच्चों के हाथ में मोबाइल थमा रहे हैं। बच्चों ने इससे पढ़ना भी सीखा।

क्या करें माता-पिता
ऐसे समय में पेरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों का साथ दें। बच्चों को केवल समझाने के बजाय उनके साथ हर वो गतिविधि करें, जो हम बच्चों से कराना चाहते हैं। इससे बच्चे सीखने लगेंगे। केवल समझाइश देने से बच्चे समझने वाले नहीं हैं। उनके साथ मिलकर उनके हर काम में भागीदार बनें।

ऑनलाइन स्टडी में क्या दिक्कतें
बच्चों को ऑनलाइन स्टडी में पढ़ाई की सुविधा हुई, तो उन्हें मोबाइल की लत लग गई। बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ मोबाइल पर अन्य गतिविधियां भी कर रहे हैं।

बच्चों से इस लत को कैसे छ़ुड़ाया जाए‌?
मोबाइल कक्षा के क्रम में ही उपयोग हो, अन्य समय में उपयोग न हो, बच्चों को जब पढ़ाई की जरूरत हो, तभी मोबाइल का उपयोग करें। इसके अतिरिक्त समय में नहीं। यह बात पेरेंट्स को भी ध्यान रखना होगी। शेड्यूल के अनुसार ही बच्चे उपयोग करें। पेरेंट्स या परिवार के सदस्यों की मौजूदगी में ही मोबाइल का उपयोग करें।

बच्चों का पढ़ाई के अलावा अन्य शेड्यूल कैसे तय करें?
समय से उठना, भगवान की पूजा में लगाएं। उनका ध्यान साहित्य या उनकी मनपसंद विषय की पुस्तकें पढ़ने में लगाएं। उनसे पूछें कि उन्हें पढ़ने में क्या पसंद है या वे कौन सी गतिविधियों में रुचि ले सकते हैं। जो घर बैठे हो सकती हों। उन्हें ऐसी गतिविधियों में जरूर इंगेज करें।

खेलकूद में कैसे रुचि जगाएं?
बच्चों को रोजाना सुबह व शाम को घूमने के लिए प्रेरित करें। परिवार व माता-पिता भी बच्चों के साथ घूमने जाएं। उन्हें खेल के बारे में बताएं, सरकार की योजनाओं की जानकारी दें। खेल में भविष्य के बारे में भी चर्चा करें। उन्हें बताएं कि कैसे कई दिग्गज खिलाड़ी कम पढ़ने के बावजूद खेल में नाम कमा रहे हैं। बच्चों के शारीरिक विकास के लिए खेलकूद या वर्कआउट भी जरूरी है। बच्चों को वर्चुअल और प्ले स्टोर पर उपलब्ध गेम खेलने से होने वाले नुकसान के बारे में समझाएं।

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