indor.. क्राइम कंट्रोल करने टीम कमिश्नर की फील्ड जमावट पूरी …. रीगल पर होगा कमिश्नर कार्यालय, DCP बागरी मल्हारगंज यातायात थाने की बिल्डिंग में बैठेंगे

पुलिस कमिश्नरी के बदलाव की शुरुआत शनिवार से हो चुकी है। आईजी इंदौर के दफ्तर पर पुलिस आयुक्त के नाम से बोर्ड लग गए हैं। अब दफ्तरों की शिफ्टिंग और कोर्ट बनाने की कवायद शुरू हो रही है। पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र के लिए रीगल तिराहा स्थित रानी सराय में कैंप कार्यालय और कोर्ट बनाई जाएगी। इसी परिसर में दोनों अतिरिक्त पुलिस आयुक्त मनीष कपूरिया व एक अन्य आने वाले के भी दफ्तर बनेंगे।

इसी परिसर में पुलिस उपायुक्त मुख्यालय अरविंद तिवारी और अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त मुख्यालय मनीषा पाठक सोनी के भी कैबिन रहेंगे। इन सबकी शिफ्टिंग के बाद यदि क्राइम ब्रांच को जगह मिली तो उसका दफ्तर यहीं रहेगा। यदि यहां जगह नहीं मिली तो क्राइम ब्रांच को कोतवाली थाने के पास स्थित उसके थाने में या नए पुलिस कंट्रोल रूम (पलासिया) में शिफ्ट कर दिया जाएगा। हालांकि हरिनारायणाचारी मिश्र का पहले वाला (आईजी वाला) कार्यालय भी यथावत रखा जाएगा।

जोन-1 में बैठेंगे बागरी
मल्हारगंज थाने के पास यातायात विभाग के थाने की नई बिल्डिंग को पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) जोन-1 का कार्यालय बनाने का विचार है। इस बिल्डिंग में नए डीसीपी आशुतोष बागरी बैठेंगे। यहां स्पेस ज्यादा है, इसलिए यहीं कोर्ट व सहायक पुलिस आयुक्त मल्हारगंज का भी दफ्तर बनाया जा सकता है।

जोन-2 का दफ्तर नारकोटिक्स में होगा: डीसीपी जोन-2 के लिए नए पुलिस कंट्रोल रूम के पास नारकोटिक्स विभाग की मल्टी में कार्यालय बनाने का विचार है।

जोन-4 महू नाका स्थित अपने ही ऑफिस में बैठेंगे, कोर्ट भी यहीं: महू नाका पर डीसीपी जोन-4 महेशचंद्र जैन बैठ रहे हैं। उनकी कोर्ट भी यहीं बनेगी।

एसपी पूर्व का दफ्तर अब बनेगा जोन-3
आशुतोष बागरी अभी जहां बैठते हैं (पलासिया थाने के पीछे) उसे डीसीपी जोन 3 का दफ्तर बनाया जाएगा। यहां पहले से अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त शशिकांत कनकने भी बैठते हैं। उनकी भी कोर्ट यहीं बनाने का विचार है।

नए IG को महिला सेल में दफ्तर
पुलिस आयुक्त बनने के बाद जोन के आईजी का पद खाली हो चुका है। अभी यह प्रभार भले ही हरिनारायणाचारी मिश्र के पास है, लेकिन जल्द ही इस पर भी पोस्टिंग होना है। अब जोन आईजी का दफ्तर बड़वाली चौकी स्थित महिला सेल के बड़े कार्यालय में बनाने पर विचार किया जा रहा है। एसीपी हीरानगर का दफ्तर भी जल्द ही कहीं बनाया जाएगा।

शिकायत थाने पर, सुनवाई न हो तो कमिश्नर से करें
अभी शिकायतें और सुनवाई का सिस्टम वही है, जैसे आवेदन की शुरुआत थानों से करें, लेकिन गंभीर मामलों में सीधे पुलिस कमिश्नर कार्यालय, डीसीपी या सहायक आयुक्त कार्यालय भी जा सकते हैं।

बटालियन और पीटीसी से मांगा बल- सिस्टम को पूरी तरह लागू करने के लिए अफसरों ने पीएचक्यू के बाद अब बटालियन और पीटीसी से भी बल मांगा है। जल्द ही बड़ी संख्या में बल मिलने की उम्मीद है।

ट्रैफिक पर बैठक हुई
पुलिस कमिश्नर हरिनारायणाचारी मिश्र ने बताया बेहतर ट्रैफिक व्यवस्था बनाने को लेकर उन्होंने निगम और अन्य विभागों से चर्चा की है। उधर, नई प्रणाली को लेकर रविवार से सभी अफसरों की ट्रेनिंग भी शुरू हो जाएगी।

नया सिस्टम; पुलिस और प्रशासन में अधिकार साझा, असमंजस में अफसर
आईजी रैंक के आईपीएस को इंदौर में पुलिस कमिश्नर बनाया गया है, लेकिन मजिस्ट्रियल अधिकार डीएम (कलेक्टर) के समान नहीं होकर अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) स्तर के ही मिले हैं। साझा अधिकार होने के चलते पुलिस से लेकर प्रशासनिक सिस्टम तक में असमंजस कायम है।

भास्कर EXPLAINER

पुलिस आयुक्त को एडीएम स्तर के अधिकार मिले तो क्या वह कानून-व्यवस्था में एसडीएम की ड्यूटी लगा सकेंगे?
एसडीएम, डीएम के अधीनस्थ रहकर उनके आदेश का पालन करते हैं। ऐसे में पुलिस आयुक्त के लिए यह संभव नहीं होगा।
अतिक्रमण हटाने या अन्य किसी विवाद के दौरान मजिस्ट्रियल ड्यूटी को लेकर क्या होगा?
मजिस्ट्रियल ड्यूटी लॉ एंड ऑर्डर संभालने के लिए लगती है क्योंकि विवाद के दौरान लाठीचार्ज के अधिकार धारा 129 में एसडीएम के पास थे, जो अब पुलिस को चले गए हैं। ऐसे में इसे अब पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में ही सहमति से तय किया जा सकेगा। बड़े मामलों में एसडीएम की मौजूदगी बनी रहेगी।
151 में गिरफ्तारी कौन करेगा?
यह मूल रूप से पुलिस का ही अधिकार है। वही उपयोग करेगी।
प्रतिबंधात्मक धारा 107, 116 आदि का उपयोग पुलिस करेगी या प्रशासन?
रोजमर्रा के केस पुलिस अपने वरिष्ठ अधिकारी के सामने ही पेश करेगी। हालांकि एसडीएम चाहे तो अपने स्तर पर किसी को इसमें नोटिस जारी कर पुलिस से तामील करा सकते हैं। पुलिस अपराध को लेकर इन धाराओं का उपयोग करती है वहीं प्रशासन द्वारा डायरी में सौदे से लेकर समाज से जुड़े किसी भी गंभीर मुद्दे को लेकर यह नोटिस जारी करते हैं।
तहसीलदार मर्ग प्रक्रिया नहीं कर रहे। क्या वह कर सकते हैं?
जिस धारा में यह प्रक्रिया होती है, वह अभी भी प्रशासन के पास ही है, इसलिए तहसीलदार कई अन्य धाराओं में कार्यपालिक मजिस्ट्रेट बने हुए हैं। उन्हें ही यह प्रक्रिया करना है। साक्ष्य एक्ट के अनुसार पुलिस के सामने बयान मान्य नहीं है, इसलिए भी तहसीलदारों को ही यह प्रक्रिया करना है।

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