पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू पर सुविधाएं नहीं …. न डायस और न बैठने की जगह, अभी जिलाबदर और पैरोल के पुरानी मामलों की सुनवाई कलेक्टोरेट में ही होगी

भोपाल में पुलिस कमिश्नर सिस्टम भले ही लागू हो गया है, लेकिन कलेक्टोरेट में चल रहे पुराने जिलाबदर और पैरोल के मामलों की सुनवाई अभी कलेक्टर ही करेंगे। हालांकि नए जिलाबदर और पैरोल के केस दर्ज कर उनकी सुनवाई पुलिस को करनी होगी। वजह ये कि नए अफसरों के लिए अभी न तो बैठने की जगह तय हुई है और ना ही उनके लिए स्टाफ मिला है। अभी तक कोर्ट के लिए जगह चयन नहीं हो पाया है।

इंफ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है। ऐसे में पुलिस को अपराध संबंधी मामले में सुनवाई के लिए थोड़ा समय लगेगा। पहले सुनवाई के लिए कोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाएगा। उसके बाद सुनवाई शुरू होगी। इसमें कम से कम 10 से 15 दिन लग सकते हैं।

आज से मजिस्ट्रियल ट्रेनिंग
रविवार से मजिस्ट्रियल सुनवाई कर सकने वाले सभी पुलिस अफसरों की ट्रेनिंग शुरू की जा रही है। ये ट्रेनिंग रिटायर्ड आईएएस और मौजूदा एसडीएम देंगे। चार दिन चलने वाली ट्रेनिंग में उन्हें समझाया जाएगा कि प्रकरणों की सुनवाई के दौरान किन-किन बातों का ध्यान रखना है।

कलेक्टर कोर्ट
कलेक्टर अविनाश लवानिया की कोर्ट में 70 जिलाबदर के केस में सुनवाई चल रही है। 1 जनवरी से अभी तक 232 बदमाशों को कलेक्टर द्वारा जिला बदर किया जा चुका है, जबकि 40 से ज्यादा पैरोल के मामलों में पुलिस की रिपोर्ट आने का इंतजार है।

हम घोड़े पर थोड़े ही चलेंगे
पुलिस कमिश्नर प्रणाली राजधानी में लागू होने के बाद मप्र के दूसरे जिलों में पदस्थ पुलिस अफसर भी नई व्यवस्था जानने के लिए अपने बैचमेट्स को कॉल कर रहे हैं। एक अफसर को उनके दोस्त का कॉल आया, जिसे रिसीव कर उन्होंने हंसते हुए कहा कि अरे भैया, हम अब घोड़े पर बैठकर थोड़े ही चलेंगे। आप फिक्र मत करो, पुलिसिंग ही करेंगे।

कलेक्टोरेट लाइव
एसडीएम हुजूर आकाश श्रीवास्तव का दफ्तर। श्रीवास्तव के दफ्तर में दोपहर तीन बजे से शाम 5 बजे के बीच पुलिस के जवान 10 अपराधियों को लेकर यहां पर पहुंचते हैं। पुलिस के अफसर तर्क देते हैं कि शांति भंग करने के मामले में धारा-151 के तहत इनको गिरफ्तार किया गया है। इसमें से कई सारे लोगों को जेल भेजा जा सकता है।
एसडीएम मामले की सुनवाई करते हैं सभी साक्ष्य के आधार पर पुलिस को सभी को छोड़ने के निर्देश देते हैं। इधर, शनिवार को भोपाल पुलिस कमिश्नर मकरंद देऊस्कर ने बाकी अफसरों के साथ सुबह दफ्तर पहुंचते ही उन्होंने सबसे पहले नए पुलिस कंट्रोल रूम की बैठक व्यवस्था देखी।

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