भोपाल में सीवेज टैंक में इंजीनियर समेत 2 की मौत ….. चश्मदीद बोला- अंदर फंसे मजदूर को बचाने में इंजीनियर भी गिर पड़े; कंपनी पर केस दर्ज
भोपाल में करीब 20 फीट गहरे सीवेज टैंक में उतरने से इंजीनियर समेत 2 लोगों की मौत हो गई। खुले हुए चैंबर के पास उनके जूते पड़े थे। इन्हें देख राहगीर को आशंका हुई। दो बच्चों ने इन्हें गिरते हुए देखा था। उन्होंने गांधी नगर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने रस्सी से बांधकर लाशों को बाहर निकाला। प्रथम दृष्टया उनकी मौत जहरीली गैस से दम घुटने से हुई है। नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी गई है।
हादसा सोमवार दोपहर 3.30 हुआ। नगर निगम के जोन नंबर-1 के लाऊखेड़ी क्षेत्र में अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी सीवेज का काम कर रही है। सीवेज लाइन अभी बंद है, लेकिन उसमें बारिश और घरों से निकलने वाला गंदा पानी भर गया है। सोमवार को कंपनी के इंजीनियर दीपक सिंह और एक अन्य मजदूर जांच करने के लिए गए थे। उनके जूते बाहर रखे थे। सोनू मीणा जब वहां से गुजरे तो उन्हें जूते दिखाई दिए। अनहोनी की आशंका होने पर गांधी नगर थाना पुलिस को सूचना दी। वहीं, नगर निगम और रेस्क्यू टीम को भी खबर दी गई।
अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी के विरुद्ध थाने में शिकायत
इधर, मामले को लेकर कमिश्नर कोलसानी ने सीवेज एवं सीवेज प्रकोष्ठ इंचार्ज संतोष गुप्ता को अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी के विरुद्ध थाने में शिकायत करने के निर्देश दिए। कमिश्नर कोलसानी ने बताया, थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई है। इंचार्ज गुप्ता ने बताया, इस मामले में कंपनी की लापरवाही है। जिसकी शिकायत करने के बाद गांधी नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई गई।
हादसे की कहानी, चश्मदीद की जुबानी
लाऊखेड़ी हादसे में चश्मदीद सोनू मीणा ने बताया ‘मैं बैरागढ़ जा रहा था। लाऊखेड़ी पहुंचा ही था कि दो बच्चियों ने आवाज दी और बोली कि अंकल गड्ढे में दो अंकल गिर गए हैं। मैंने गाड़ी रोकी और देखा कि एक युवक अंदर फंसा था और उसे बचाने के लिए दूसरा (इंजीनियर) भी गिर गया था। आसपास की महिलाएं भी आ गईं। हमने मिलकर गड्ढे में रस्सी डाली, लेकिन उन्हें नहीं निकाल पाए। एक तो कीचड़ में बुरी तरह से फंसा हुआ था। पुलिस को तुरंत सूचना दी, लेकिन जब तक दोनों को बाहर निकालते तब तक उनकी सांसें टूट चुकी थीं।’ चैंबर में उतरने के बाद अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर दीपक सिंह और मजदूर भारत सिंह की सोमवार को मौत हो गई। हादसे के दौरान सोनू मीणा चैंबर के पास से ही गुजर रहे थे। जिन्हें बच्चियों ने आवाज देकर रोका। सोनू ने बताया, एक युवक तो कीचड़ में इतना फंसा था कि उसे बाहर निकालने में काफी मशक्कत हुई। दूसरे की सांसें चल रही थीं, उसे तुरंत हॉस्पिटल ले जाया गया था।
20 मिनट चला ऑपरेशन
गांधी नगर थाना प्रभारी अरुण शर्मा टीम के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने बताया, लोगों ने जानकारी दी कि दो व्यक्ति सीवेज लाइन का काम कर रहे थे, जो काफी देर से ऊपर नहीं आए। तुरंत मौके पर पहुंचे। बाहर जूते पड़े थे। इसके चलते करीब 20 मिनट ऑपरेशन चलाकर दोनों लाशें बाहर निकाली गईं। आशंका है कि जहरीली गैस से उनका दम घुट गया। हालांकि, मौत की असली वजह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आने के बाद पता चलेगी। दोनों शव पोस्टमॉर्टम के लिए हमीदिया हॉस्पिटल भेज दिए हैं।
अभी लाइन चालू नहीं
नगर निगम के सीवेज एवं सीवेज प्रकोष्ठ इंचार्ज संतोष गुप्ता ने बताया, लाऊखेड़ी में अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी चैंबर का काम कर रहा है। इंजीनियर और मजदूर जांच करने गए थे। इसी दौरान वे हादसे का शिकार हो गए। सीवेज लाइन अभी निगम को हैंडओवर नहीं हुई है। लाइन चालू होने के अगले 10 साल तक कंपनी ही देखरेख करेगी।
24 घंटे में मांगी रिपोर्ट
मंत्री भूपेंद्र सिंह ने कमिश्नर एवं निगम प्रशासक गुलशन बामरा को मामले की जांच कराने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने 24 घंटे में रिपोर्ट मांगी है। जांच का जिम्मा नगर निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी को देने का कहा है।
रुटीन मेजरमेंट बाहर से ही करते हैं, वे अंदर क्यों उतरे समझ नहीं आ रहा
अंकिता कंस्ट्रक्शन कंपनी के सीनियर इंजीनियर अवकाश पटेल का कहना है कि कंपनी सीवेज लाइन का रुटीन मेजरमेंट करती है। हर दिन इंजीनियर और मजदूर जांच के लिए जाते हैं। मेजरमेंट ग्राउंड के ऊपर से ही करना होता है, लेकिन इंजीनियर दीपक सिंह और मजदूर अंदर क्यों उतरे, कुछ समझ में नहीं आ रहा है। आसपास कोई भी नहीं था, जो बता सके कि हादसा कैसे हुआ।
कंपनी पर सवाल… बिना सुरक्षा उपकरणों के क्यों भेजा
प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो इंजीनियर और मजदूर के पास सुरक्षा के कोई उपकरण नहीं थे। यानी वे बिना सुरक्षा उपकरण के ही काम कर रहे थे। चैंबर के बाहर सिर्फ जूते ही थे। कोई उपकरण नहीं था। ऐसे में कई सवाल खड़े हो रहे हैं। मामले में जब कंपनी के इंजीनियरों से संपर्क करना चाहा तो मोबाइल स्विच ऑफ मिला।
कई फीट पानी भरा
नगर निगम और कंस्ट्रक्शन कंपनी के इंजीनियर-अधिकारी की मानें तो चैंबर में आसपास के घरों से निकलने वाला गंदा पानी भर गया। वहीं, बारिश का पानी भी भरा हुआ है। निकासी नहीं होने के कारण चैंबर में कई फीट पानी भरा हुआ है। इस वजह से जहरीली गैस बनी होगी। हालांकि, पुलिस यह जांच कर रही है कि दोनों चैंबर में गिरे या खुद ही उतरे थे।
सुबह रैली, दोपहर में हादसा
सोमवार सुबह न्यू मार्केट में सीवेज लाइनों की सफाई और मेन होल के सुधार का काम किया गया। वहीं, निगम कमिश्नर केवीएस चौधरी कोलसानी की मौजूदगी में सीवेज सफाई को लेकर जागरूकता रैली भी निकाली गई। इसमें अधिकारी-कर्मचारी व आमजन मौजूद थे। इस आयोजन के कुछ घंटे बाद ही लाऊखेड़ी में हादसा हो गया।
पहले भी हुए ऐसे हादसे…
सितंबर में सिगरौली में हुई थी मौत
सिंगरौली जिले में 25 सितंबर 2021 को ऐसा ही मामला सामने आया था। यहां 3 सफाईकर्मियों की मौत हो गई थी। सिंगरौली के कचनी गांव में अंडरग्राउंड सीवर टैंक की मरम्मत का काम चल रहा था। टैंक में उतरे कन्हैया लाल यादव और इंद्रभान सिंह जहरीली गैस से बेहोश हो गए थे। काफी देर तक कोई आवाज न आने पर कांट्रैक्टर ने एक अन्य सफाईकर्मी नागेंद्र रजक को टैंक में उतरने के लिए मजबूर किया, लेकिन वो भी जहरीली गैस का शिकार हो गया। पुलिस ने आरोपी कांट्रैक्टर के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था।
देवास में 4 सफाईकर्मियों की जान गई थी
देवास जिले में 1 अगस्त 2017 को सेप्टिक टैंक की सफाई करने के लिए उतरे 4 कर्मियों की मौत हो गई थी। मृतकों की पहचान विजय सिहोते (20), ईर सिहोते (35), दिनेश गोयल (35) और रिंकू गोयल (16) के रूप में हुई थी। ये सभी देवास के रहने वाले थे। घटना देवास से करीब 60 किमी दूर पिपलरावा थाना इलाके के गांव बरदु की है। यहां कमल सिंह सेंधव ने 5 सफाईकर्मियों को 8,000 रुपए में टैंक साफ करने का ठेका दिया था।