जरा याद करो कुर्बानी…परिवार की जुबानी ….. मैं हाथ जोड़कर बोल रहा हूं,सरकार ने वादा पूरा नहीं किया;19 साल से शहीद की पत्नी लगा रही चक्कर
मैं हाथ जोड़कर बोल रहा हूं, जो सरकार और शासन ने वादा किया था, अब तक पूरा नहीं किया। न मेरा सपोर्ट कर रहे हैं और न ही अपना वादा पूरा कर रहे हैं। मैं देशभक्त था और कसम खाई थी कि देश के लिए न्योछावर हो जाऊंगा। मैं तो नहीं हो पाया, लेकिन बेटा न्योछावर हो गया। ये दुखभरी दास्तां है सतना के गांव दलदल बेहेलम के शहीद कर्णवीर सिंह राजपूत के पिता की। तीन महीने पहले 20 अक्टूबर को कर्णवीर सिंह राजपूत शहीद हुए थे। पिता रवि सिंह भी रिटायर्ड सूबेदार मेजर हैं।
मैं सैनिक हूं, बेटा देश के लिए शहीद हो गया, सरकार का कोई वादा पूरा नहीं हुआ
पिता रवि सिंह बेटे का फोटो देखते हुए कहते हैं कि हमारे यहां जो मुख्यमंत्री साहब आए थे, उन्होंने उस समय सांसद, विधायक और जनता के सामने जो भी कुछ बोला था, वो आज तक पूरा नहीं किया है। मैं सैनिक हूं, सैनिक होने के नाते अपना लड़का देश के लिए खो दिया, इसका मुझे गर्व भी है। मैंने बेटा खोया है, उसे दुनिया जानती है। अभी कुछ दिन पहले ही भोपाल के वरुण सिंह शहीद हुए हैं। मैं हाथ जोड़कर निवेदन कर रहा हूं कि मेरा काम करवा दीजिए और कुछ नहीं चाहिए।
शहीद के भाई शक्ति सिंह बताते हैं कि तीन महीने से जो भी नौकरी और पैसे देने के लिए हमसे दस्तावेज मांगे जा रहे हैं, वह हम दे रहे हैं। अभी यही प्रक्रिया हो रही है। स्मारक-प्रतिमा बनाने के लिए कहा था, लेकिन आज तक उस पर कोई काम नहीं हुआ।
19 साल से ज्यादा हो गए, पैसा तो मिला, लेकिन सम्मान नहीं: शहीद तेग बहादुर छेत्री की पत्नी
मेरे पति शहीद तेग बहादुर छेत्री ने श्रीनगर में 29 जनवरी 2002 में लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों को मारते हुए अपनी जान दे दी थी। उनकी अंतिम यात्रा के दौरान मंत्री-अफसर सभी लोग आए थे। मप्र शासन की तरफ से कलेक्टर ने घोषणा की थी कि उनके परिवार को पैसा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, 5 एकड़ जमीन, गांव में स्मारक के तौर पर प्रतिमा और कॉलोनी का नाम उनके नाम पर किया जाएगा। 19 साल से ज्यादा हो गए, पैसा तो मिला, लेकिन उनके सम्मान में प्रतिमा और रामपाल कॉलोनी का नाम होना था, वह नहीं हो पाया। ग्वालियर शहर से 32 किमी दूर टेकनपुर एरिया है। रामपाल कॉलोनी में शहीद तेग बहादुर छेत्री का परिवार रहता है। ये दुखभरी दास्तां शहीद की पत्नी विष्णुमाया की है।
मेरे दोनों बेटे सेना में पोस्टेड हैं, इस उम्र में ऐसे न दौड़ाए सरकार
शहीद तेग बहादुर की पत्नी विष्णुमाया आगे बताती हैं कि मोहल्ले के लोग ही नहीं जानते हैं कि हम शहीद के परिवार से हैं। जमीन के लिए 2004 से 2018-19 तक हर पेशी-सुनवाई में गई हूं। तीन साल पहले कैथोदा गांव में जमीन भी फाइनल कर दी गई, उसके लिखित दस्तावेज भी हैं, लेकिन अब तक नहीं मिली है। मेरे दोनों बेटे सेना में पोस्टेड हैं, मैं अकेली कितनी दौड़-धूप करूं? जब शासन- प्रशासन ने वादा किया है तो सम्मान देना चाहिए न। अगर नहीं दे सकते हैं तो बता दें, अब तो स्थानीय नेता-मंत्री भी झांकने तक नहीं आते हैं। किया हुआ वादा शहीद के परिवार से पूरा नहीं कर सकते हैं तो स्पष्ट बोलें, हम उम्मीद छोड़ देंगे। इस उम्र में ऐसे तो न दौड़ाएं।
ग्वालियर शहर से 32 किमी दूर है घर
ग्वालियर शहर से 32 किमी दूर टेकनपुर एरिया है। रामपाल कॉलोनी में शहीद तेग बहादुर छेत्री का परिवार रहता है। ऊबड़खाबड़ सड़क और मनचाहे ब्रेकर को पार करने के बाद शहीद तेग बहादुर के नेमप्लेट का लगा बोर्ड से उनके मकान की पहचान होती है। जब कोई घर पर पहुंचकर मान-सम्मान की बातें करता है तो 65 साल की शहीद की पत्नी विष्णुमाया पति की यादें, सम्मान-सर्टिफिकेट के सारे दस्तावेज और फोटो दिखाने लगती हैं। उनकी आंखों में उम्मीद दिखती है कि ये आए हैं तो मेरी पीड़ा और समस्या का अब समाधान हो जाएगा। वे नम आंखों व भावुक होकर अपनी पीड़ा इत्मिनान से सुनाती हैं।