Delhi University: दिल्ली यूनिवर्सिटी में 3900 से ज्यादा शिक्षक पद खाली, राज्यसभा में शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने दी जानकारी
सबसे अधिक 216 खाली पद गार्गी कॉलेज में है, जबकि जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में 169 पद और रामजस कॉलेज में 143 पद खाली हैं. इसी प्रकार देशबंधु कॉलेज में 132 और श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में 131 पद खाली हैं.
केंद्र सरकार (Central Government) ने बुधवार को संसद में बताया कि दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) के सभी कॉलेजों (Collegues) में शिक्षण के 3,900 से अधिक पद (Teacher Posts) रिक्त है. इसी के साथ वर्तमान में 3,000 से अधिक तदर्थ शिक्षक काम कर रहे हैं. राज्यसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने यह जानकारी दी.
उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी घटक कॉलेजों में शिक्षण के कुल 3959 पद रिक्त हैं और वर्तमान में 3047 शिक्षक रिक्त शिक्षण पदों के पर तदर्थ आधार पर काम कर रहे हैं.
सबसे ज्यादा पद गार्गी कॉलेज में खाली
सरकार ने कहा कि सबसे अधिक 216 खाली पद गार्गी कॉलेज में है, जबकि जानकी देवी मेमोरियल कॉलेज में 169 पद और रामजस कॉलेज में 143 पद खाली हैं. इसी प्रकार देशबंधु कॉलेज में 132 और श्री वेंकटेश्वर कॉलेज में 131 पद खाली हैं.
अगले साल के लिए अधिनूचना जारी करेगा डीयू
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय ने एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर कहा कि वह अगले साल से स्नातक पाठ्यक्रमों में दाखिले के लिए प्रवेश परीक्षा आयोजित करेगा. वामपंथी शिक्षक संगठन डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (डीटीएफ) ने इस कदम की आलोचना की है.
अधिसूचना में कहा गया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद ने 17 दिसंबर, 2021 को हुई अपनी बैठक में निर्णय लिया कि दिल्ली विश्वविद्यालय के सभी स्नातक (यूजी) पाठ्यक्रमों में शैक्षणिक सत्र 2022-2023 से दाखिले केंद्रीय विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (सीयूसीईटी) या दिल्ली विश्वविद्यालय संयुक्त प्रवेश परीक्षा (डीयूसीईटी) के माध्यम से किए जाएंगे. यूसीईटी/डीयूसीईटी के बारे में विस्तृत जानकारी बाद में जारी की जाएगी.
छात्रों के लिए कोई अवसर नहीं
डीटीएफ की सचिव आभा देव हबीब ने कहा कि यह कदम संकेत देता है कि ऐसा नयी शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि आज की अधिसूचना स्पष्ट रूप से दिखाती है कि प्रवेश परीक्षा के माध्यम से दाखिले देने का कदम हमारी अपनी आवश्यकता के बजाय एनईपी के तहत उठाया गया है. यह दावा पूरी तरह गलत है कि प्रवेश परीक्षा समावेशी है. एनईईटी के संबंध में मद्रास उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय आंख खोलने वाला है.
उन्होंने कहा कि निश्चित सीटों की पेशकश कर, छात्रों के लिये कोई नया अवसर सृजित नहीं किया गया. सीयूसीईटी का मतलब होगा 11वीं और 12वीं कक्षाओं को और कमजोर करना, कोचिंग बाजार में वृद्धि, छात्रों के लिये एक स्ट्रीम से दूसरी स्ट्रीम में जाने में कम लचीलापन और वंचित पृष्ठभूमि के छात्रों का बहिष्कार.