दिल्ली के कैफ ने बनाए ऐसे आइसोलेशन सेंटर जिनमें इंफेक्शन का डर नहीं, दूसरी जगह ले जाना भी आसान
कहते हैं आवश्यकता ही आविष्कार की जननी है। कहने का मतलब ये है कि इंसान जरूरतों के हिसाब से खोज करता आया है, या समय पड़ने पर खोज कर ही लेता है। इसकी मिसाल दी है दिल्ली के कैफ अली ने। जिन्होंने कोरोना जैसी महामारी में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्टर की कमी को पूरा करने अफॉर्डेबल पोर्टेबल शेल्टर होम डिजाइन किया है। इसे आसानी से एक जगह से दूसरी जगह शिफ्ट किया जा सकता है। इसके अलावा इस शेल्टर होम में रहने में किसी तरह के इन्फेक्शन का खतरा भी नहीं है।
कैफ ने अपने इस डिजाइन को ‘स्पेस इरा प्रोजेक्ट’ नाम दिया है। इस इनोवेशन के लिए कैफ को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर कई अवार्ड से सम्मानित भी किया गया है और उन्होंने कई कॉम्पिटिशन भी जीते हैं। स्पेस इरा प्रोजेक्ट को यूनाइटेड नेशन एनवायरमेंटल प्रोग्राम ने टॉप 11 स्टार्टअप में चुना है।
आज की पॉजिटिव स्टोरी में जानते हैं कैफ की कहानी जिन्होंने कम उम्र में बड़ा नाम कमाया है…
कोरोना में बिगड़ती मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर देख आईडिया आया
दिल्ली के 21 साल के कैफ अली, जामिया मिलिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर की पढ़ाई कर रहे हैं। फिलहाल वो फाइनल इयर में हैं। 2020 में कोरोना महामारी के दौरान हॉस्पिटल्स में बेड की कमी, क्वारैंटाइन के लिए आइसोलेशन सेंटर में भीड़ और शहरों से पैदल चलकर अपने घर जाने को मजबूर मजदूरों को देख उन्होंने मॉड्यूलर मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर का डिजाइन बनाया।
कैफ अली बताते हैं, “2019 में मैं कॉलेज में थर्ड इयर का स्टूडेंट था। एक प्रोजेक्ट में अपने सीनियर के साथ मिल कर वॉर एरिया में रह रहे लोगों के लिए रिफ्यूजी सेंटर और हाउसिंग शेल्टर को डिजाइन किया था। तब से मेरा इंटरेस्ट इस तरह के घर या सेंटर डिजाइन बनाने में बढ़ने लगा। इसके बाद 2020 में कोरोना महामारी शुरू हुई, तो मैंने उसी पुराने प्रोजेक्ट पर थोड़ा और काम किया। जिसकी मदद से क्वारैंटाइन शेल्टर का डिजाइन तैयार किया, और मैंने इससे ‘स्पेस इरा प्रोजेक्ट’ नाम दिया।’
स्पेस इरा की डिजाइन की मदद से न सिर्फ मेडिकल सेंटर बल्कि अफोर्डेबल हाउसिंग, मॉड्यूलर एजुकेशन लैब, जिम पब्लिक टॉयलेट और कैंप भी बनाए जा सकते हैं। जिसे जरूरत के हिसाब से बड़ा या छोटा बनाया जा सकता है। इस डिजाइन पर बनाने वाले सभी शेल्टर को एक जगह से दूसरी जगह आसानी से शिफ्ट किया जा सकता है।
खोजा मेडिकल सेंटर का बेहतर विकल्प
भारत जैसी घनी आबादी वाले देश में कोरोना के समय सबसे बड़ी चुनौती मेडिकल सेंटर की हुई थी। सेंटर की कमी के कारण लोग ज्यादा बीमार तो हुए ही, साथ ही उन्होंने दूसरों को भी इन्फेक्ट किया। इसी परेशानी का विकल्प ढूंढा कैफ अली ने।
कैफ बताते हैं, ‘कोरोना जैसी महामारी के दौरान मैंने देखा कि यदि कोई घर में क्वारैंटाइन हो रहा है, तो वह अपने पूरे परिवार और पड़ोसियों को खतरे में डाल रहा है। वहीं, उन्हें किसी क्वारैंटाइन सेंटर में भेजा जाए तो दूसरे मरीजों को इन्फेक्शन का खतरा और बढ़ जाता है। इस दौरान यदि कोई एक शख्स भी वायरस की चपेट में आ जाए, तो संक्रमण तेजी से फैल सकता है। इसी को देखते हुए मैंने बीच का रास्ता निकाला कि कोई क्वारैंटाइन सेंटर में भी न रहे और घर में भी न रहे। मेरा डिजाइन ऐसा है कि इसे छोटे-छोटे कॉलोनियों में आसानी से लगाया जा सकता है।’
कैफ के अनुसार उनके डिजाइन किए हुए मेडिकल सेंटर में वेंटिलेशन सिस्टम ऐसा है कि यदि कोई वायरस की चपेट में आ भी जाए, तो दूसरे को कोई खतरा नहीं रहता है। इसके अलावा ये महामारी के बाद भी रिफ्यूजी कैंप, हाउसिंग या टॉयलेट में बदले जा सकते हैं और इनका इस्तेमाल दोबारा किया जा सकता है।
इस तरह तैयार किया जाता है ये घर
कैफ कहते हैं बताते हैं, “एक शिपिंग कंटेनर 2.5 मीटर x 6 मीटर का होता है। एक वॉशरूम बने के लिए सिंगल यूनिट कंटेनर की जरूरत होगी, जबकि मेडिकल सेंटर के लिए आठ कंटेनरों की जरूरत पड़ेगी। शिपिंग कंटेनर की लंबाई-चौड़ाई नहीं बदली जा सकती इसलिए मैंने अपनी डिजाइन में उसी को इस्तेमाल किया है।
मेडिकल सेंटर के लिए ग्राउंड फ्लोर में चार कंटेनर जोड़े जाते हैं और फर्स्ट फ्लोर पर चार कंटेनर को 90 डिग्री रिवर्स करके जोड़ दिया जाता है। इस तरह नीचे वाले को छत मिल जाती है और ऊपर वाले को बालकनी। एक कंटेनर में मरीजों के लिए चार टॉयलेट बनाए जा सकते हैं।”
कैफ की डिजाइन के अनुसार इस मेडिकल सेंटर की छत में Dilution Ventilation है, यानी छत के अंदर से बहुत सारे बॉल्स लगाए जाएंगे, ताकि एयर सर्कुलेशन अलग-अलग डायरेक्शन में होगा जिससे किसी भी इन्फेक्शन का खतरा कम होगा। इसके अलावा इस सेंटर में सोशल डिस्टेंसिंग का भी पूरा ध्यान रखा गया है। मरीजों को बालकनी के रूप में काफी खुली जगह भी मिलती है, जिससे उन्हें मानसिक मजबूती मिलती है।
कैफ का कहना है कि एक बेकार शिपिंग कंटेनर की कीमत 1 लाख से 1.2 लाख होती है। इस तरह, एक पोर्टेबल शेल्टर हाउस बनाने में तकरीबन 10 से 12 लाख का खर्च लगेगा, लेकिन अगर छोटा सेंटर बनाया गया तो ये और कम कीमत का होगा।
पहला प्रोजेक्ट नाइजीरिया में मिला
कैफ फिलहाल अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं, उसके बाद वो इस डिजाइन का प्रोटोटाइप बनाना शुरू करेंगे। हालांकि उनके इस डिजाइन को काफी सराहना मिल रही है और कुछ कंपनियां उनसे जुड़ कर काम भी कर रही हैं।
कैफ बताते हैं, ‘मैंने अपने डिजाइन को कई कंपनियों के साथ साझा किया जो काफी कंपनियों को पसंद आ रहा है। पिछले साल नाइजीरिया की एक कंपनी ‘सिथन लागोस’ को मेरा डिजाइन पर काम करना शुरू किया । नाइजीरिया के लागोस शहर में एक मेडिकल सेंटर बना रहे हैं। जिसका करीब 40 फीसदी काम पूरा हो चुका है। उन्होंने मुझे स्पॉन्सर करने के लिए भी मंजूरी दी है।’
कई अवार्ड्स और सराहना भी मिली
कैफ को उनके डिजाइन के लिए नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर सराहना मिल रही है। एजुकेशन मिनिस्टर रमेश पोखरियाल ने भी उनके डिजाइन की सराहना की। 300 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कॉम्पिटिशन में हिस्सा लिया और कई जीत भी हासिल की।
कैफ को 2021 में कॉमनवेल्थ सेक्रेटरी इनोवेशन अवार्ड मिला। 2020 में यूनाइटेड नेशन एनवायर्नमेंटल प्रोग्राम ने उनके इनोवेशन को टॉप 11 स्टार्टअप में चुना है। एर्न्स्ट और यंग की तरफ से स्कॉलरशिप सहित कई और भी अवार्ड्स और सराहना मिल रही है।
कैफ कहते हैं, ‘मुझे खुशी है की मेरा काम लोगों को इतना पसंद आ रहा है और मैं अपने देश को इंटरनेशनल लेवल पर रिप्रजेन्ट कर पा रहा हूं। घरों का डिजाइन बनाना मेरा पैशन है और मैं इसे फॉलो करता रहूंगा।’