रियलिटी चेक ….. प्रदेश में मनरेगा मजदूर की कमाई 284 रुपए/दिन तो किसान की 88

मनरेगा में वर्ष 2021-22 में अधिकांश मजदूरों को 100 दिन में से 51 दिन काम मिला, जबकि 10% ही ऐसे थे, जिनके लिए 100 दिन काम मिला।

आप ये जानकर हैरान होंगे कि मध्यप्रदेश में एक किसान प्रतिदिन सिर्फ 88 रु. ही कमाता है, जबकि मनरेगा मजदूर 284 रुपए। 95 लाख किसानों में से 75 लाख ऐसे हैं, जिनके पास 3 से 5 एकड़ रकबा जमीन है, जबकि 20 लाख किसान 5 एकड़ से ज्यादा के मालिक हैं।

इनमें भी सीमांत कृषक 80% हैं, जो बिना मजदूरी के 32 हजार रु. सालाना कमाते हैं यानी एक किसान परिवार में चार लोग खेती तो करते हैं, लेकिन उनकी हिस्सेदारी नहीं है। जबकि मनरेगा में वर्ष 2021-22 में अधिकांश मजदूरों को 100 दिन में से 51 दिन काम मिला, जबकि 10% ही ऐसे थे, जिनके लिए 100 दिन काम मिला।

यानी 51 दिन की मनरेगा मजदूरी के उन्हें 14484 रुपए मिले, वहीं किसान की आय 4488 रुपए रही। यानी किसानों की लागत आय पर भारी पढ़ रही है। इसी वजह से प्रदेश के किसानों पर 1 लाख 4 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंगलवार को किसान कल्याण समेत अन्य 8 विभागों की समीक्षा करेंगे।

दो साल से नहीं जुड़ रहे किसानों के नाम

प्रदेश में प्रधानमंत्री सम्मान निधि और मुख्यमंत्री कल्याण निधि में किसानों के नाम 1 फरवरी 2019 से नहीं जुड़ रहे। 6 लाख से ज्यादा किसान इसके पात्र नहीं हैं। शनिवार को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की दसवीं किश्त के रूप में 20 हजार करोड़ रुपए 11 करोड़ 37 लाख किसानों के खाते में डाल गए, जिनमें 78 लाख किसान मध्यप्रदेश के हैं। इसमें खास यह है कि अभी प्रदेश में 84 लाख किसान हैं, जो 2024 में 91 लाख हो जाएंगे। नए किसान वे हैं जिन्होंने रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से जमीनें खरीदी हैं।

इन योजनाओं में बड़ी विसंगति भी

– मौजूदा स्थिति में यदि किसी किसान की मृत्यु हो जाती है और उसके सम्मलित खाते में चार नाम पुत्र, पुत्रियों के हैं तो वे किसान सम्मान निधि के पात्र हैं, लेकिन यदि किसान जीवित रहते अपने आश्रितों में जमीन का बंटवारा करता है तो उन्हें यह सम्मान निधि नहीं मिलेगी। साथ ही वे मुख्यमंत्री कल्याण योजना के भी पात्र नहीं है। इसी तरह जो लोग रजिस्टर्ड विक्रय पत्र के माध्यम से जमीन खरीद रहे हैं और खेती कर रहे हैं उन्हें भी यह सम्मान निधि नहीं दी जा रही है।

– जिन किसानों को सम्मान निधि की राशि दे दी गई और वे पेंशनर भीं है तो उनसे उसकी रिकवरी की जा रही है। बैरसिया तहसील में एक कृषक बिजली कंपनी से सेवानिवृत्त हैं, उन्हें सम्मान निधि के 22 हजार रुपए दिए गए जिसकी रिकवरी की जा रही है। इसी तरह कोर्ट में रीडर पद से सेवानिवृत्त किसान के खाते से 26 हजार रुपए की रिकवरी की गई।

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