जून में खाली होंगी मध्य प्रदेश से राज्यसभा की तीन सीटें, भाजपा-कांग्रेस को झेलना होगा ओबीसी का दबाव

अकबर की जगह ओबीसी को राज्यसभा में भेजने का संगठन पर दबाव …..

 भोपाल। मध्य प्रदेश से राज्यसभा सदस्य बने पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर, सम्पतिया उइके और कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा का कार्यकाल 29 जून 2022 को खत्म हो रहा है। एमजे अकबर और विवेक तन्खा 11 जून 2016 को राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। वहीं, सम्पतिया उइके का निर्वाचन 31 जुलाई, 2017 को हुआ था। वे केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन से खाली हुई सीट पर निर्वाचित हुई थीं।

माना जा रहा है कि भाजपा की दो और कांग्रेस की एक सीट के लिए मई में चुनाव की तैयारियां प्रारंभ हो जाएंगी। राज्यसभा चुनाव के लिए भले ही पांच महीने का समय हो लेकिन सियासत अभी से गरमा गई है। भाजपा-कांग्रेस दोनों दलों के सामने संकट होगा कि उसे ओबीसी वर्ग को राज्य सभा में भेजने का दबाव झेलना होगा।

प्रदेश में सरकारी नौकरियों में अन्य पिछड़ा वर्ग(ओबीसी) का आरक्षण प्रतिशत 14 से बढ़ाकर 27 किया जाने के बाद शुरू हुआ विवाद अब भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही राज्य सभा चुनाव में दिक्कत देगा। दोनों ही दल खुद को ओबीसी वर्ग का सबसे बड़ा हितैषी साबित करने में जुटे हुए हैं। पंचायत चुनाव में आरक्षण खतम किए जाने पर भी दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। यही कारण है कि जून में रिक्त हो रही तीन सीटों पर ओबीसी को ही राज्यसभा में भेजने का दोनों दलों पर दबाव होगा।

राज्य सभा में प्रदेश की कुल ग्यारह सीटें हैं। जिनमें से कांग्रेस के राजमणि पटेल और भाजपा से कैलाश सोनी ओबीसी वर्ग से हैं। इधर भाजपा से दो सीटों पर आदिवासी नेता सुमेर सिंह सोलंकी और सम्पतिया उइके हैं, तो अनुसूचित जाति वर्ग से एल मुरूगन हैं और अल्पसंख्यक वर्ग से एमजे अकबर हैं। बाकी सारे सदस्य सामान्य वर्ग से हैं।

फिलहाल इस साल भाजपा को दो सीटों पर अपने प्रत्याशी तय करना होगा, जिनमें एक तो आदिवासी हैं तो पार्टी आने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर उन्हें बदलने का रिश्क शायद ही ले। वहीं अकबर की जगह ओबीसी को भेजने के लिए अभी से संगठन पर दबाव पड़ने लगा है। वैसे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को भी ओबीसी वर्ग का ही माना जाता है।

इनका कहना है

राज्य सभा सदस्य तय करने की जिम्मेदारी केंद्रीय नेतृत्व की है। भारतीय जनता पार्टी सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास और सब का प्रयास के मंत्र पर चलते हुए निर्णय करती है और इसी दृष्टि से केंद्रीय नेतृत्व तत्कालीन परिस्थितियों आवश्यकताएं संगठन के व्यापक लक्ष्य और हित को ध्यान में रखकर निर्णय लेगा।

रजनीश अग्रवाल, प्रदेश मंत्री भाजपा

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