नालों में सीवेज नहीं, बहेगा साफ पानी …. IIT कानपुर ने शुरू की तैयारी; गंगा नदी में गिरने वाले नालों को माना छोटी नदी

नालों में शुद्ध पानी बहने की आप कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। मगर, IIT कानपुर ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है। इसके लिए सबसे पहले कानपुर के नालों को चुना गया है। सेंटर फॉर गंगा रिवर बेसिन मैनेजमेंट एंड स्टडीज (सी गंगा) के हेड और IIT प्रोफेसर विनोद तारे ने नगर आयुक्त शिवशरणप्पा जीएन से 6 नालों की डिटेल मांगी है।

सीवेज ट्रीट कर नालों में डाला जाएगा

गंगा में गिरने से रोके गए सीसामऊ नाले में बहेगा साफ पानी।
गंगा में गिरने से रोके गए सीसामऊ नाले में बहेगा साफ पानी।

प्रो. विनोद तारे ने बताया कि मौजूदा समय में नालों में छोटी नदी के बराबर पानी बहता है। सीवेज को नाले में गिरने से पहले ट्रीट किया जाएगा। इसके बाद नालों में पानी प्रवाहित किया जाएगा। इससे गंगा और पांडु जैसी तमाम नदियों की लाइफ में भी सुधार आएगा, क्योंकि नाले नदियों को खराब कर देते हैं।

बहाव का पता कर रहे हैं
प्रोफेसर ने बताया कि सबसे पहले नालों में बहाव कितना है, इसका सही आंकलन जरूरी है। किस नाले में कितना बहाव है। इसके बाद ही इस पर आगे काम किया जाएगा। नालों में बह रहे सीवेज का सही आंकलन न होने की वजह से एसटीपी भी सही क्षमता के नहीं बन पाते हैं। नालों को छोटी नदियों में बदलने का काम किया जाएगा। छोटी-छोटी कम्यूनिटी में सीवेज को ट्रीट करने के प्लांट तैयार किए जाएंगे। घर में भी सीवेज को ट्रीट किया जा सकेगा।

सरकार ने मंजूर किया प्रोजेक्ट
जलशक्ति मंत्रालय ने प्रो. विनोद तारे के प्रस्ताव को मंजूर कर लिया है। उन्होंने बताया कि नालों में बह रहे सीवेज को डिसेंट्रलाइज्ड व्यवस्था से ट्रीट करने की जरूरत है। इसमें खर्च भी कम होता है। बड़े-बड़े एसटीपी बनाने की जरूरत भी नहीं होती है। इसके तहत छोटे-छोटे वेटलैंड भी तैयार किए जा सकेंगे।

घर में ही सीवेज को कर रहे हैं ट्रीट
विनोद तारे ने बताया कि वह अपने घर में ही सीवेज के पानी को ट्रीट करते हैं। ट्रीटेड वाटर का यूज वह घर में बने फांउटेन, गार्डनिंग में यूज करते हैं। इसके अलावा इसी पानी में वह मछली और कछुएं भी पालते हैं। कानपुर में नालों की सफाई पर हर साल 15 करोड़ रुपए तक खर्च किए जाते हैं। कानपुर में गंगा और पांडु नदी में अब भी रोजाना करोड़ों लीटर सीवेज गिरता है। वहीं नालों में शुद्ध पानी बहने से गंदगी और बदबू से भी लोगों को निजात मिल जाएगी।

इन नालों का बहाव पता किया जाएगा
परमिया नाला, सीसामऊ नाला, वाजिदपुर नाला, हलवाखाड़ा नाला, गंदा नाला, पांडु नदी का बहाव पता किया जाएगा।

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