चुनावी चाय की कहानी ….. पार्टी ऑफिसों के बाहर लाखों की चाय पी गए नेताजी; बिल चुकाने में चुनावी वादों सी देरी
देश में कोई भी चुनाव हो, अब चाय और चाय बेचने वालों की एक अलग चर्चा जरूर हो जाती है। राजनीतिक बहस और प्रचार के हथकंडों से अलग चायवालों की असली दुनिया में नेताजी का उधारी खाता जरा लंबा ही हो गया है। राजधानी लखनऊ में लगभग हर पार्टी मुख्यालय के सामने चाय की दुकान लगाने वालों की एक सी कहानी है। बड़े नेताओं के खाते (अकाउंट) से कार्यकर्ता चाय पीते हैं।
चुनावी मौसम में दिन की हजारों चाय का उधार खाता खुल जाता है। बकाया चुकाने के मामले में कुछ नेता चुनावी वादों का पैटर्न ही बरकरार रखते हैं। चाय वाले कहते हैं कि कुछ नेता तो बिना कहे महीने का हिसाब चुका देते हैं। कुछ तो ऐसे भी हैं, जो बकाया चुकाए बिना पार्टी ही बदल जाते हैं। कुछ बड़े रसूखदारों के साथ घूमते हैं। बकाया मांगना तो दूर, नाम लेने की भी हिम्मत नहीं होती।
कांग्रेस मुख्यालय: सबसे पुरानी दुकान, सबसे ज्यादा 14 लाख की उधारी
माल एवेन्यू रोड पर कांग्रेस कार्यालय के बाहर कृष्णावतार चाय की दुकान चलाते हैं। उन्हें लोग यहां चिंकू के नाम से ही जानते हैं। उनकी दुकान यहां कांग्रेस कार्यालय खुलने के पहले से चल रही है। 61 साल पुरानी इस चाय की दुकान में कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं के खाते चल रहे हैं।
चिंकू बताते हैं कि कई नेताओं से उन्हें चाय की उधारी के तौर पर डेढ़ से 2 लाख रुपए तक लेना है। कुल उधारी जोड़ ली जाए तो यह 14 लाख से ज्यादा ही होगी। वे जब नेताओं से पैसा मांगते हैं तो आधा-अधूरा पैसा मिल जाता है। कभी नेता आगे होकर उधारी चुकता कर देते हैं। हालांकि, कई नेता ऐसे भी हैं जो कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टियों में चले गए, लेकिन अब तक उन्होंने चाय की उधारी नहीं चुकाई है।
कांग्रेस कार्यालय के भीतर ही चायवाले का मकान
दरअसल, कांग्रेस कार्यालय की इमारत पहले नवाब का गेस्ट हाउस हुआ करती थी। 61 वर्ष पहले इसे मलेरिया विभाग का दफ्तर बनाया गया। तब नवाब के गेस्ट हाउस में काम करने वाले रक्षाराम बारी वहीं कर्मचारी हो गए। उन्होंने अपने बेटे चिंकू की चाय की दुकान बाहर खुलवा दी।
1979 की नीलामी में कांग्रेस ने यह इमारत खरीदी। उस समय नीलामी की गवाही रक्षाराम ने ही दी थी। इसलिए कार्यालय के अंदर नवाब की ओर से घर के लिए दी गई जमीन और बाहर की चाय की दुकान दोनों को यथावत रखा गया। चिंकू का घर आज भी कांग्रेस कार्यालय के भीतर है।
सपा कार्यालय: चाय की 18 दुकानें, 7 पर नेताओं के खाते
बंदरिया बाग स्थित सपा पार्टी कार्यालय में इन दिनों सबसे ज्यादा भीड़ रहती है। कार्यालय के बाहर सड़क के दोनों तरफ लोगों का तांता लगा रहता है। इन लोगों को चाय पिलाने के लिए यहां करीब 18 दुकानें चल रही हैं। इनमें से 7 दुकानें बड़ी हैं। सभी बड़ी दुकानों में नेताओं के उधारी खाते भी चल रहे हैं।
चायवाले भागीरथ प्रजापत बताते हैं कि वे यहां 9 साल से दुकान चला रहे हैं। उनके यहां 70 से ज्यादा नेताओं के उधारी खाते चलते हैं। इनमें से कुछ पर्ची भेजते हैं तो कुछ मौखिक ही चल रहे हैं। भागीरथ बताते हैं कि करीब 15 नेताओं से उन्हें चाय की उधारी के करीब साढ़े चार लाख रुपए लेना है। बाकी नेताओं का कुल बकाया भी करीब ढाई लाख तक है।
दारुलशफा : उधारी खाते वाले अब विधायक भी बन गए
भारतीय जनता पार्टी का प्रदेश कार्यालय दारुलशफा में है। यहां भी चाय की कई दुकानें हैं और अधिकतर दुकानें उधारी खातों से ही चल रही हैं। यहां चाय बेचने वाले योगेंद्र पटेल बताते हैं कि 12 साल से चाय की दुकान चला रहे हैं। ज्यादातर नेताओं के उधारी खाते उन्हीं के यहां हैं।
योगेंद्र बताते हैं कि उधारी खाते वाले कई नेता तो इन दिनों विधायक भी हैं। हालांकि, उनकी उधारी का पैसा हर माह बिना मांगे ही मिल जाता है लेकिन कई नेता ऐसे भी हैं जो बड़े नेताओं के साथ रहते हैं इसीलिए उनसे न तो उधारी की रकम मांगने की हिम्मत होती है और न ही उनके खाते बंद करने का साहस होता है। इन नेताओं के चाय के खाते में दो से ढाई लाख रुपए तक बकाया हो गए हैं।