लोग इसलिए नहीं चाहते कि पुलिस उनके निजी सीसीटीवी के फुटेज चेक करे

भोपाल आई प्रोजेक्ट के लिए पुलिस ने लोगों से मांगी निजी सीसीटीवी की कनेक्टिविटी, पर प्राइवेसी खत्म होने के डर से लोग नहीं देना चाहते कनेक्टिविटी
साइबर के जानकारों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार इंफोर्मेशन सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम के तहत सरकारी संस्था को भी ऑडिट कराना जरूरी है। यदि पुलिस डेटा सेंटर का ऑडिट करवाए और भरोसा पैदा करे कि सिस्टम हैक प्रूफ है और निजी जानकारियां सार्वजनिक नहीं होंगी तो लोग ज्यादा जुड़ेंगे

 भोपाल. शहर और आम नागरिकों की सुरक्षा का भरोसा जताने वाले प्रमुख चौक-चौराहों के कैमरे बंद हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और पुलिस सर्विलेंस सिस्टम के तहत 70 से अधिक स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए पर रखरखाव नहीं होने से महज ३० फीसदी काम कर रहे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए भोपाल आई प्रोजेक्ट के तहत पुलिस ने आम नागरिकों से उनके प्राइवेट सीसीटीवी कैमरों की कनेक्टिविटी मांगी पर प्राइवेसी भंंग होने के भय से लोग आगे नहीं आ रहे। तीन साल से संचालित इस प्रोजेक्ट के तहत महज 6000 कैमरे ही सर्वर से कनेक्ट हुए हैं। साइबर एक्सपर्ट कहते हैं कि पुलिस डेटा सेंटर का ऑडिट करवाकर तथ्यों से लोगों को अवगत करवाया जाना चाहिए। इससे लोग इस प्रोजेक्ट से बेखौफ जुड़ेेंगे।
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cartoon on CCTV issue, cameras are not working in city and police asking peoples to give access of personal cctv camera connectivity
क्या है भोपाल आई प्रोजेक्ट
भोपाल आई प्रोजेक्ट के नाम से स्थानीय पुलिस ने एक स्पेशल यूनिट का गठन किया है। इस यूनिट की निगरानी के लिए अलग से अधिकारियों की टीम बनाई गई है। पुलिस कंट्रोल रूम के पास इस टीम को बैठने के लिए जगह उपलब्ध कराई गई है। यह टीम विशेष प्रकार के सर्वर से शहर के सभी निजी एवं व्यवसायिक सीसीटीवी कैमरा को पुलिस के सर्वर से कनेक्ट करने लोगों को प्रोत्साहित कर रही है। लोगों का यह भ्रम भी दूर किया जा रहा है कि उनके सभी कैमरों की रिकॉर्डिंग पुलिस देखकर इसे जांच में शामिल करेगी। लोगों को समझाया जा रहा है कि उनके घरों के बाहर लगे कैमरों को भी सुरक्षा की दृष्टि से सर्विलांस पर लिया जाएगा।
लोगों को डर… सिस्टम हैक हो गया तो उन पर कोई हर पल नजर रख सकता है
अभी पुलिस जो सर्वर पर अपना डाटा रखती है, वो पूरी तरह सुरक्षित नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार इंफोर्मेशन सिक्योरिटी मैनेजमेंट सिस्टम के तहत सरकारी संस्था को भी ऑडिट कराना जरूरी है। पुलिस ने अभी तक डेटा सेंटर का ऑडिट नहीं कराया है। लोगों को ये डर रहता है कि यदि किसी हैकर ने इस सिस्टम को हैक कर लिया तो हैकर उन पर हर पल नजर रख सकता है। दूसरा कारण यह भी है कि लोग अपनी प्राइवेसी को खत्म नहीं करना चाहते, क्योंकि घर के बाहर लगे कैमरे में भी उनकी हर गतिविधि रिकॉर्ड होती है। पुलिस ऑडिट कराती है तो लोगों का विश्वास बढ़ेगा।
यशदीप चतुर्वेदी
साइबर एक्सपर्ट
प्राइवेसी का मामला है पर फुटेज देते हैं
सीसीटीवी कैमरों की कनेक्टिविटी प्राइवेसी का मामला है। सुरक्षा के लिहाज से बात करें तो लोगों को पुलिस की मदद करना चाहिए। बाजार में लगे कैमरों की फुटेज
हम उपलब्ध कराते हैं।
सतीश गंगराड़े, अध्यक्ष, न्यू मार्केट व्यापारी महासंघ
शासन से फंड
मांगा गया है
विभागीय सीसीटीवी मेंटेनेंस के लिए वार्षिक संधारण नीति बनाई जा रही है। शासन से इसके लिए फंड भी मांगा गया है। भोपाल आई के तहत पब्लिक सीसीटीवी की लोकेशन चिह्नित की जा रही है।
मकरंद देउसकर
पुलिस आयुक्त
22 चौराहों पर आईटीएमएस कैमरों से ट्रैफिक पर निगाह
इंटेलीजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत शहर के 22 चौक चौराहों पर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत आईटीएमएस कैमरे लगाए गए हैं। 22 चौराहों पर हाई रिजॉल्यूशन वाले कैमरे लगाए गए हैं। इसके लिए स्मार्ट सिटी के दफ्तर में कंट्रोल रूम बनाया गया है। चालान वॉट्सऐप, ईमेल और डाक से भेजे जाते हैं। प्रोजेक्ट की लागत करीब 17 करोड़ रुपए हैं। जो वाहन चालक ट्रैफिक नियम का उल्लंघन करते हैं। उनकी पहचान कैमरों की निगरानी में कर ली जाती है। नंबर प्लेट को स्कैन कर वाहन मालिक का पूरा पता लगाया जा सकता है। बार-बार नियम तोड़ रहे वाहन चालकों के ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित करने की कार्रवाई परिवहन विभाग के माध्यम से करवाई जा रही।

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