Jayant Chaudhary Profile : दादा से व‍िरासत में म‍िली है स‍ियासत, जयंत चौधरी के सामने है RLD का वजूद बचाने की चुनौती

अमेर‍िका में जन्‍मे जयंत चौधरी के सामने इस व‍िधानसभा चुनाव में पार्टी का वजूद बचाने की चुनौती है. 2017 के चुनाव में उनकी पार्टी राष्‍ट्रीय लोक दल को एक ही सीट म‍िल पाई थी. बाद में वह व‍िधायक भी बीजेपी में शाम‍िल हो गया था.

उत्तर प्रदेश राजनीति (Uttar Pradesh Politics) का एक बड़ा दंगल है. यहां बड़े-बड़े राजनीत‍िक पहलवान चुनावी अखाड़े में दांव-पेंच लगाकर अपने विरोधियों को पस्त करते रहे हैं. कुछ इसी तर्ज पर एक बार फ‍िर उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election) 2022 का शंखनाद हो चुका है. इसमें कई राजनेता और राजनीत‍िक दल है, ज‍िनके सामने वजूद बचाने की चुनौती है, लेक‍िन इस चुनाव में सबकी नजर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जनाधार वाले राष्‍ट्रीय लोक दल (RLD) पर है. इस चुनाव में राष्‍ट्रीय लोक दल का नेतृत्‍व जयंत चौधरी कर रहे हैं. ज‍िन्‍हें अपने दादा चौधरी चरण स‍िंंह से व‍िरासत में स‍ियायत म‍िली है, लेक‍िन 2022 का चुनावी सफर जयंत के ल‍िए मुश्‍क‍िलों भरा है. एक तरफ प‍िता की मौत के बाद यह पहला चुनाव है, जब पार्टी की पूरी ज‍िम्‍मेदारी सीधे जयंत के कंधे पर आई है, तो वहीं 2017 के चुनाव में एक सीट जीतने वाले राष्‍ट्रीय लोक दल का वजूद बचाने की चुनौती भी उनके सामने है.

अमेर‍िका में जन्‍मे हैं जयंत चौधरी, दादा प्रधानमंत्री रहे थे

जयंत चौधरी का जन्म चौधरी अजित सिंह और राधिका सिंह के घर 27 दिसंबर 1978 को अमेरिका के टेक्सास में हुआ था. उनके पिता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों के बड़े नेता माने जाते थे. वह भारत सरकार में मंत्री भी रहे थे. तो कई बार सांसद भी चुने गए. वहीं उनके दादा चौधरी चरण दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और एक बार देश के प्रधानमंत्री रहे थे. जयंत चौधरी ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में डिग्री लेने के बाद राजनीति में एंट्री ली थी. उन्होंने अपने पिता चौधरी अजित सिंह को अपना राजनीतिक गुरू माना था. जयंत की शादी चारू सिंह से हुई है और उनकी दो बेटियां हैं.

2009 में जीत दर्ज कर पहली बार संसद पहुंचे थे जयंत

जयंत चौधरी ने 2009 से सक्र‍ि‍य राजनीत‍ि में प्रवेश क‍िया था. ज‍िसके तहत उन्‍होंंने 2009 के चुनाव में पहला लोकसभा चुनाव मथुरा से लड़ा था. ज‍िसे वह जीतने में सफल रहे. इसके बाद वह 2012 के विधानसभा चुनाव में मथुरा की मांठ विधानसभा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. वहीं जयंत चौधरी ने 2014 और 2019 में लोकसभा चुनाव में भी उम्‍मीदवारी की, लेक‍िन उन्‍हें दोनों की चुनावों में सफलता नहीं म‍िली.  2014 के लोकसभा चुनाव में जयंत मथुरा लोकसभा सीट से बीजेपी प्रत्याशी हेमा मालिनी से चुनाव हार गए थे. इस चुनाव में हमा मालिनी को 84236 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे जयंत चौधरी को 69808 वोट मिला था. 2019 के लोकसभा चुनाव में जयंत चौधरी बागपत सीट से मैदान में थे, लेकिन इस भी वह चुनाव नहीं जीत सके. उन्हें भाजपा के डॉ. सत्यपाल से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में भाजपा के सत्यपाल को 107327 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर जयंत को 91690 वोट मिले थे.

प‍िता चौधरी अजित सिंह के निधन के बाद बढ़ी जिम्मेदारी

चौधरी अजित सिंह का बीते वर्ष मई में निधन हो गया था, जिसके बाद सारी जिम्मेदारी उनके बेटे और पार्टी के उपाध्यक्ष जयंत चौधरी के कंधों पर आ गई है. जयंत चौधरी को उनके पिता और दादा की तरह ही 20 सितंबर को एक पारंपरिक ‘रस्म पगड़ी ’समारोह में चौधरी पद का सम्मान दिया गया. उन्हें समुदाय के प्रमुख के तौर पर मान्यता देने के लिए सभी प्रमुख खाप छपरौली कस्बे में जुटी थीं. इसके बाद उनकी ज‍िम्‍मेदार‍ियां बढ़ गई हैं.

सपा गठबंधन में 2022 का चुनाव लड़ रही है राष्‍ट्रीय लोकदल

2022 के विधानसभा चुनाव पहला ऐसा चुनाव होगा, ज‍िसमें राष्‍ट्रीय लोक दल जयंत चौधरी के नेतृत्‍व में लड़ेगा. वह इससे पूर्व ही पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बनाए जा चुके हैं. इस चुनाव में उनके सामने पार्टी का वजूद बचाने की चुनौती है, तो राष्‍ट्रीय लोकदल ने चुनाव से पूर्व ही समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ गठबंधन क‍िया है.

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