Shivpal Singh Yadav Profile…. नेताजी की ‘सुरक्षा’ से सपा मुखिया तक का सफर तय कर चुके हैं शिवपाल, भतीजे अखिलेश से मिली थी ‘हार’
शिवपाल सिंंह यादव ने सहकारिता की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में प्रवेश लिया है. पांच बार के विधायक रह चुके शिवपाल को आज भी उत्तर प्रदेश की सहकारिता की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है
उत्तर प्रदेश की राजनीति (Uttar Pradesh Politics) की जब भी समाजवादियों का जिक्र आएगा, तब-तब शिवपाल सिंंह यादव (Shivpal Singh Yadav) याद किए जाएंगे. मुलायम सिंंह यादव (Mulayam Singh Yadav) के छोटे भाई शिवपाल यादव ने राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया है. कभी मुलायम सिंह (नेताजी) की सुरक्षा संभालने वाले शिवपाल सिंंह यादव को समाजवादी पार्टी (सपा) को शिखर में पहुंचाने का श्रेय दिया जाता है. वह सपा अध्यक्ष से लेकर सपा सरकार में कैबिनेट मंत्री तक रह चुके हैं, लेकिन शिवपाल सिंंह यादव ने ही ऐसा दौर भी देखा है, जब भतीजी अखिलेश यादव से ‘वर्चस्व’ की लड़ाई में उन्हें मात खानी पड़ी हो.
पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं शिवपाल यादव
शिवपाल सिंह यादव का जन्म 6 अप्रैल 1955 को इटावा जिले के सैफई गांव में सुधर सिंह और मूर्ति देवी के घर हुआ था. सुधर सिंह के चार बेटे और एक बेटी हैं, जिसमें मुलायम सिंह सबसे बड़े तो शिवपाल सिंंह यादव सबसे छोटे थे. शिवपाल यादव के पिता किसान और माता गृहिणी थीं. उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के ही प्राथमिक पाठशाला में हुई थी. इसके बाद वह हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की पढ़ाई के लिए जैन इण्टर कालेज, करहल, मैनपुरी में दाखिला लिया, जहां उन्होंने 1972 में हाईस्कूल और 1974 में इण्टरमीडिएट की परीक्षा पास की.
इसके बाद शिवपाल सिंह यादव ने स्नातक की पढ़ाई 1976 में केके डिग्री कॉलेज इटावा (कानपुर विश्वविद्यालय) और 1977 में लखनऊ विश्वविद्यालय से बीपीएड किया था. शिवपाल सिंह यादव का विवाह 23 मई 1981 को हुआ था. इनकी पत्नी का नाम सरला यादव है. शिवपाल सिंह यादव की एक बेटी डॉ. अनुभा यादव तथा एक बेटा आदित्य यादव हैं.
कभी नेताजी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल उनकी राह आसान बनाई थी
शिवपाल यादव ने कभी नेताजी की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभाल कर उनकी राजनीतिक राह आसान बनाई थी. असल में 1967 में जब नेताजी ने जसवंतनगर से विधानसभा चुनाव जीता, तो मुलायम सिंह के राजनीतिक विरोधियों की संख्या काफी बढ़ चुकी थी. ऐसे में विरोधियों ने मुलायम सिंह पर कई बार जानलेवा हमला भी कराया. यही वह समय था जब शिवपाल यादव ने मुलायम सिंह यादव की सुरक्षा की जिम्मेवारी संभाली थी. इसका जिक्र शिवपाल यादव ने अपनी किताब लोहिया के लेनिन में भी किया है. शिवपाल यादव ने लिखा है कि ‘‘नेता जी जब भी इटावा आते, मैं अपने साथियों के साथ खड़ा रहता. हम लोगों को काफी सतर्क रहना पड़ता, कई रातें जागना पड़ता था.’’
मुलायम सिंह के लिए राजनीतिक रैलियों का आयोजन भी करते
शिवपाल सिंंह यादव सोशलिस्ट पार्टी के कार्यक्रमों में भाग लेते थे. इसके साथ ही वे नेताजी के चुनावों में पर्चें बांटने से लेकर बूथ समन्वयक तक की जिम्मेदारी उठाते थे. चुनाव भले ही नेताजी लड़ते थे लेकिन उसके पीछे की रणनीति शिवपाल सिंह यादव की ही होती थी. चुनाव के दौरान मधु लिमये, बाबू कपिलदेव, चौधरी चरण सिंह, जनेश्वर मिश्र जैसे बड़े नेताओं के आने और उनकी सभा करवाने की भी जिम्मेदारी भी शिवपाल के ही कंधे पर होती थी.
सहकारिता की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में किया प्रवेश, 1996 में जीता पहला चुनाव
शिवपाल यादव ने सहकारिता की राजनीति से मुख्यधारा की राजनीति में एंट्री ली. शिवपाल यादव 1988 से 1991 और 1993 में जिला सहकारी बैंक, इटावा के अध्यक्ष चुने गये थे. 1995 से लेकर 1996 तक इटावा के जिला पंचायत अध्यक्ष भी रहे. इसी बीच 1994 से 1998 के अंतराल में उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक के अध्यक्ष का भी दायित्व संभाला. वहीं शिवपाल यादव 1996 का चुनाव जसवन्तनगर विधानसभा सीट से लड़ा और जीत दर्ज की. इस चुनाव में शिवपाल यादव को 68377 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के दर्शन सिंह थे, जिन्हें 57438 वोट मिले थे. इसी साल वह समाजवादी पार्टी के प्रदेश महासचिव बनाये गये थे. उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने के लिए कड़ी मेहनत की, जिसका नतीजा हुआ कि उनकी लोकप्रियता और स्वीकार्यता बढ़ती चली गयी.
सपा के कार्यवाहक अध्यक्ष से पूर्णकालीक अध्यक्ष की मिली जिम्मेदारी
समाजवादी पार्टी (सपा)के अध्यक्ष रामशरण दास का स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा था. लिहाजा शिवपाल सिंह यादव को 01 नवम्बर 2007 को मेरठ अधिवेशन में सपा का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया. रामशरण दास के निधन के बाद वह 6 जनवरी, 2009 को समाजवादी पार्टी के पूर्णकालिक प्रदेश अध्यक्ष बने. इस दौरान उन्होंने सपा को शिखर तक पहुंचाया. वह मई 2009 तक प्रदेश अध्यक्ष रहे. शिवपाल सिंह यादव बसपा की मायावती सरकार में नेता विरोधी दल की भूमिका में भी रहे थे.
लगातार पांच बार चुने गए विधायक
शिवपाल सिंह यादव पहली बार 1996 में जसवंतनगर विधानसभा सीट से विधायक चुने गए थे. इस चुनाव में शिवपाल सिंह यादव को 68377 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर कांग्रेस के दर्शन सिंह थे, जिन्हें 57438 वोट मिले थे. दूसरी बार वह 2002 के विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए. इस बार उन्हें 80544 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बसपा के रमेश चंद्र शाक्य को 27555 वोट मिले थे.
तीसरी बार वह 2007 के विधानसभा में जसवंतनगर सीट से जीत की हैट्रिक लगाकर विधानसभा पहुंचे थे. इस चुनाव में उन्हें 73211 वोट मिले थे, जबकि बसपा के बाबा हरनारायण यादव को 42404 वोट मिले थे. बसपा की मायावती सरकार में ही नेता विरोधी दल भी थे.
चौथी बार भी वह जसवंतनगर सीट से विधायक चुने गए. इस चुनाव में समाजवादी पार्टी की लहर थी. नतीजा यह रहा कि सपा प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ लौटी और पहली बार अखिलेश यादव मुख्यमंत्री बने. शिवपाल सिंह यादव को लोक निर्माण, सिंचाई, सहकारिता मंत्री की जिम्मेदारी दी गई थी. 2017 के विधानसभा चुनाव में लगातार पांचवी बार शिवपाल यादव ने जसवंतनगर सीट से जीत दर्ज की थी.
पारिवारिक विवाद के बाद बनाई नई पार्टी, अब सपा के साथ ही किया गठबंधन
शिवपाल सिंह यादव ने अखिलेश यादव से हुए विवाद के बाद समाजवादी पार्टी छोड़ दी. उन्होंने 29 अगस्त 2018 को अपनी नई पार्टी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया )का गठन किया, लेकिन 2022 के चुनाव से पहले शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ ही गठबंधन कर लिया है. वहीं एक बार फिर उसी अंदाज में अखिलेश यादव के साथ आ खड़े हुए हैं. जिस तरीके से वह मुलायम सिंह के साथ खड़े रहते थे.