सिख दंगे की जांच में BJP की सियासत … चुनाव के ठीक पहले गिरफ्तारी करके सिख मतों को प्रभावित करने की होगी कोशिश, जांच एजेंसियों का सत्ता कर रही अपने हिसाब से इस्तेमाल

देश में 1984 के सिख विरोधी दंगा में भले ही कोर्ट ने जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार को दोषी मानते जेल भेज दिया है। लेकिन कानपुर सिख दंगे की जांच कर रही SIT अब 12 मामलों की जांच पूरी होने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं कर रही है। वजह शासन की अनुमति का इंतजार। शासन की हरी झंडी मिलने के बाद आरोपियों की ताबड़तोड़ गिरफ्तारी करके चुनाव से ठीक पहले माहौल बनाएगी। इसकी पूरी स्क्रिप्ट तैयार कर ली गई है। बस अंजाम देना बाकी है।

1984 में सिख दंगा के दौरान कानपुर के हालात।
1984 में सिख दंगा के दौरान कानपुर के हालात।

37 साल बाद खोज निकाले 33 जघन्य हत्याकांड के 67 आरोपी
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में कानपुर में हुए दंगों में 127 सिखों की हत्या हुई थी। उस दौरान कानपुर नगर में हत्या, लूट, डकैती और आगजनी समेत अन्य धाराओं में 40 मुकदमे दर्ज हुए थे। पुलिस ने इनमें से 29 मामलों में फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। 27 मई, 2019 को इस मामले में प्रदेश सरकार ने SIT गठित की थी। एसआइटी के एसएसपी बालेंदु भूषण ने बताया कि बंद किए गए (फाइनल रिपोर्ट) 20 मुकदमों की कोर्ट से अनुमति लेकर दोबारा जांच शुरू की गई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। इसमें से 12 मामलों की जांच में प्रत्यक्षदर्शी गवाह, फोरेंसिक टीम की जांच में खून के धब्बे समेत कई अहम साक्ष्य मिले और 67 आरोपी चिह्नित किए गए। इसमें 18-20 आरोपियों की उम्र 75 से 80 साल के करीब और गंभीर रोगों से पीड़ित हैं। जांच पूरी होने की एक रिपोर्ट बनाकर शासन को भेज दी गई है। अब शासन से हरी झंडी मिलते ही आरोपियों की गिरफ्तारी की जाएगी।

कागजों में चल रहा दबिश और फरारी का खेल
सिख दंगे की ग्राउंड रिपोर्टिंग के दौरान दैनिक भास्कर को इस बात के भी साक्ष्य मिले की एसआईटी जांच पूरी होने के बाद अब दबिश और फरारी का खेल कागजों में कर रही है। कागजों में दिखा रही है कि आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए ताबड़तोड़ गिरफ्तारी की जा रही है। लेकिन मौके पर मिल नहीं रहे हैं। जबकि हकीकत इसके उलट है कि शासन की हरी झंडी का इंतजार है। सूत्रों की मानें तो आरोपियों की गिरफ्तारी चुनाव से ठीक पहले करके BJP के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की जाएगी।

जांच एजेंसियां सत्ता के दबाव में कर रही हैं काम
सीनियर आईपीएस असीम अरुण और राजेश्वर सिंह का अचानक बीजेपी में शामिल हो जाना। इनका यह फैसला कई सवाल खड़े करता है। इसी तरह अब कानपुर सिख विरोधी दंगा – 1984 की जांच कर रही एसआईटी आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए चुनाव का इंतजार कर रही है। सूत्रों की मानें तो प्रथम चरण चुनाव के ठीक पहले आरोपियों की गिरफ्तारी करके सरकार बताएगी कि उनके शासन में सिखों को 37 साल बाद इंसाफ मिल सका है। इससे कानपुर ही नहीं पूरे प्रदेश में सिखों का वोट भाजपा की तरफ प्रभावित होगा।

छह महीने के लिए गठित हुई थी SIT, तीन साल पूरे
शासन ने छह महीने के लिए सिख दंगों की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। लेकिन 5 फरवरी 2022 को तीन साल पूरे हो जाएंगे। इसके बाद भी अभी तक सिख दंगे के सभी मामलों की जांच पूरी नहीं हो सकी है। छह-छह महीने करके छह बार समय बढ़ा और अब तीन साल पूरे हो गए हैं। लेकिन अब चुनाव के बाद तेजी से जांच पूरी करके सभी मामलों के आरोपियों को जेल भेजा जाएगा।

इन 12 गंभीर मुकदमों की जांच पूरी और 67 आरोपी चिह्नित
थाना – वादी – मृतक

गोविंद नगर अवतार सिंह विशाख सिंह, सरन कौर, गुरुवचन कौर, जोगिंदर सिंह, गुरुवचन सिंह, छत्रपाल सिंह और गुरुमुख सिंह

पनकी कंवलजीत कौर सरदार स्वर्ण सिंह, सरदार गुरुजेंदर सिंह

अर्मापुर एमपी सरीन मोहन लाल, आरएस अरोरा, जसवंत सिंह

अर्मापुर देवीदत्त उपाध्याय सिम्मी सिंह, बजीर सिंह

किदवई नगर वीरेंद्र सिंह रक्षापाल सिंह, भूपेंदर सिंह, सतवीर सिंह उर्फ काला

नौबस्ता सार्दुल सिंह सार्दुल सिंह, गुरुदयाल सिंह

गोविंद नगर मंजीत कौर भगत सिंह

गोविंद नगर जोगेंदर सिंह जोगेंदर सिंह, शीला रानी, दलजीत सिंह, सतनाम सिंह

गोविंद नगर बलजीत कौर जगजीत सिंह, हरचरण सिंह, तेज सिंह और अमरजीत सिंह उर्फ टीटू

गोविंद नगर सुरेंद्र कौर भगवान सिंह

नजीराबाद रामसिंह गुरुचरण सिंह, अमोलक सिंह

गोविंद नगर दरोगा यदुवीर सिंह सतपाल उर्फ टीटू, तेज सिंह

साक्ष्य मिलने पर 13वें केस की भी शुरू की जांच
एसआईटी के डीआईजी बालेंदु भूषण सिंह ने बताया कि अब तक 12 केसों की विवेचना पूरी की जा चुकी है। अब एक अन्य केस यानी 13वें केस से संबंधित भी तमाम दस्तावेज, गवाह, वादी और आरोपियों के नाम आदि मिल गए। यह केस नौबस्ता थाने का है। केस नंबर 498/84 है। केस विजेंदर कौर ने दर्ज कराया था। इसमें उनके पति गुरुमेंद्र सिंह, ससुर नगीना सिंह व देवर की हत्या कर दी गई थी। डीआईजी ने बताया कि केस की विवेचना अब शुरू की गई है। इस हिसाब से अब 13वें केस में एसआईटी चार्जशीट की तरफ बढ़ रही है।

89 पहुंची आरोपियों की संख्या, 70 जिंदा हैं
एसआईटी ने 12 केसों के 67 आरोपियों को चिन्हित किया था। वहीं अब नौबस्ता थाने के 351/84 केस व अब जो नया 13वां केस खुला है इन दोनों को मिलाकर 22 आरोपियों के नाम सामने आए हैं। इनके नाम व पते आदि एसआईटी को मिल गए हैं। इस हिसाब से सभी 13 केसों के 89 आरोपियों की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 70 आरोपी जीवित हैं। इन सभी पर अब गिरफ्तारी की तलवार लटकने लगी है। नजीराबाद वाले केस में गुरुचरण सिंह व अमोलक सिंह की हत्या की गई है। इसमें एसआईटी को पांच अहम गवाह भी मिले। अकेले इसी केस में 15 आरोपी हैं।

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