राजनीतिक दलों के लिए शापित है नोएडा … कुर्सी जाने के डर से यहां आए नहीं अखिलेश, मायावती ने दौरा किया तो चली गई सत्ता, रिकॉर्ड 12 बार आए योगी
दिल्ली से सबसे नजदीक नोएडा शहर राजनीतिक दलों के प्रमुखों को हमेशा डराता रहा है। 34 सालों से सूबे के ज्यादातर सीएम इस औद्योगिक शहर में कदम रखने से बचते रहे हैं। अंध विश्वास है कि यहां जो सीएम आता है, वह अपनी कुर्सी से हाथ धो बैठता है।
हालांकि सीएम योगी ने 12 बार यहां आकर इस अंध विश्वास को तोड़ा, लेकिन सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के मन में अभी तक नोएडा शापित होने का डर है। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि वह नोएडा इसलिए नहीं जाना चाहते कि वहां जो सीएम जाता है, उसकी कुर्सी छिन जाती है।
कौन-कौन यहां आने से खाता है खौफ
नोएडा शहर को लेकर यह अंध विश्वास 34 सालों से चला आ रहा है। सबसे पहले कांग्रेस सरकार में सीएम रहे वीर बहादुर सिंह यहां आए थे। वह भी गोरखपुर के रहने वाले थे। 23 जून 1998 को नोएडा आए, लेकिन अगले दिन उन्होंने किन्हीं कारणों से इस्तीफा सौंप दिया। तब से लेकर आज तक यह अंध विश्वास बन गया कि जो यहां आएगा, वह अपनी कुर्सी खो बैठेगा।
वीर बहादुर की कुर्सी जाने के किस्से के बाद एनडी तिवारी, मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, राम प्रकाश गुप्ता, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव सूबे के सीएम बने, लेकिन कुर्सी खोने के खौफ के कारण उन्होंने इस शहर से दूरी बनाए रखी। यही नहीं नोएडा विधायक पंकज सिंह के प्रचार के लिए भी राजनाथ सिंह एक बार भी नोएडा नहीं आए, जबकि पंकज सिंह उनके बेटे हैं।
मायावती ने दिखाया था दम, लेकिन गंवा दी थी सत्ता
योगी के आने के पहले मायावती ने यहां आने का दम दिखाया था। चौथी बार पूर्ण बहुमत की सरकार से वह जब सीएम बनी थीं तो 14 अगस्त 2011 को वह नोएडा शहर आईं। यहां उन्होंने 700 करोड़ रुपए से बने दलित प्रेरणा पार्क का शिलान्यास किया था। अगले साल राजनीतिक हालात गड़बड़ाए और उन्हें सत्ता से हाथ धोना पड़ा।
आपातकाल में बना नोएडा, संजय गांधी ने रखी थी नींव
इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी ने नोएडा की नींव रखी थी। उस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी थे। दिल्ली के आदेश पर ही तत्काल उत्तर प्रदेश औद्योगिक विकास अधिनियम-1976 यूपी कैबिनेट ने बतौर ऑर्डिनेंस पास किया गया। इतनी मजबूत नींव होने के बाद भी नोएडा में कांग्रेस का आपातकाल जारी है।
15 सालों से चौथे स्थान पर रही कांग्रेस
यहां कांग्रेस पिछले 15 सालों से चौथे स्थान पर रही है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में (तब दादरी विधानसभा क्षेत्र था) कांग्रेस के प्रत्याशी रघुराज सिंह को 23,875 (10.29 प्रतिशत) वोट मिले थे। वे चौथे स्थान पर रहे थे। वर्ष-2012 में हुए नोएडा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी डॉ. वीएस चौहान को 25,482 (12.15 प्रतिशत) वोट मिले थे। वे भी चौथे स्थान पर रहे थे।
वर्ष 2014 में हुए मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी राजेंद्र अवाना को 17,212 (10.45 प्रतिशत) वोट मिले थे और वे भी चौथे स्थान पर थे। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था। गठबंधन प्रत्याशी सुनील चौधरी को 58,401 वोट मिले थे। इसके पूर्व समाजवादी पार्टी को विधानसभा चुनाव में क्रमश: 42,071, 41,481 वोट मिले थे। उस लिहाज से इस बार चुनाव में कांग्रेस का यदि प्रत्याशी खड़ा होता तो उसे भी बमुश्किल 17-18 हजार वोट ही मिलते। यानी स्पष्ट है कि उस वर्ष भी कांग्रेस चौथे पायदान पर ही रहती।