यूपी की गिरगिट पॉलिटिक्स की 14 तस्वीरें … 7 पलटू नेताओं का लाफ्टर चैलेंज, हिम्मत है तो हंसी रोककर दिखाओ

गली में एक नेताजी आए। अपनी पार्टी, नेता और विचारधारा पर जोरदार भाषण दिया। सामने बैठी जनता लहालोट हो गई। तालियां पीट-पीटकर हाथ गरम कर लिया। जोश इतना हाई हो गया कि सामने विरोधी मिल जाए तो उसे पीट दें।

नेताजी घर आए। खाना खाकर सो गए। सुबह जगे तो ज्ञान प्राप्त‌ि हो गई। चार दिन बाद फिर उसी गली में थे। इस बार टोपी बदल गई, झंडा बदल गया। नारा बदल गया। समर्थक हंसे या रोएं, समझ नहीं पा रहे। ऐसे 7 पलटू नेताओं की 14 तस्वीरें हम नीचे रख रहे हैं। जो हंसी नहीं आई तो कहिएगा…

मथुरा की मांट सीट पर एसके शर्मा माथे पर भगवा बांधे घूम रहे थे। भरोसा था कि टिकट पक्का ले लेंगे। पर मिला नहीं। सूचना मिली तो रो दिए। कहा, "हमारे साथ विश्वासघात हो गया। बीजेपी में राम नाम की लूट मची है। कोई विचारधारा नहीं है।" दुख के बीच बसपा ने हाथ बढ़ाया तो एसके शर्मा जी मंदिर वहीं बनाएंगे, से सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय नारे पर शिफ्ट हो गए।
मथुरा की मांट सीट पर एसके शर्मा माथे पर भगवा बांधे घूम रहे थे। भरोसा था कि टिकट पक्का ले लेंगे। पर मिला नहीं। सूचना मिली तो रो दिए। कहा, “हमारे साथ विश्वासघात हो गया। बीजेपी में राम नाम की लूट मची है। कोई विचारधारा नहीं है।” दुख के बीच बसपा ने हाथ बढ़ाया तो एसके शर्मा जी मंदिर वहीं बनाएंगे, से सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय नारे पर शिफ्ट हो गए।
बीजेपी के क्रांतिकारी नेता थे। युवाओं में क्रेज था। फेसबुक पर योगी-मोदी की जमकर तारीफ लिखते थे। पार्टी ने टिकट काट दिया तो सुर बदल गए। पहले यूपी+योगी बहुत उपयोगी से नई हवा है-नई सपा है पर शिफ्ट हो गए। ये हृदय परिवर्तन महज 4 दिन में हो गया।
बीजेपी के क्रांतिकारी नेता थे। युवाओं में क्रेज था। फेसबुक पर योगी-मोदी की जमकर तारीफ लिखते थे। पार्टी ने टिकट काट दिया तो सुर बदल गए। पहले यूपी+योगी बहुत उपयोगी से नई हवा है-नई सपा है पर शिफ्ट हो गए। ये हृदय परिवर्तन महज 4 दिन में हो गया।
शाहजहांपुर के रोशन लाल बीजेपी में थे तो समर्थकों को देशभक्ति बता रहे थे। उन्हें राष्ट्र के लिए मर मिटने की बात बताते थे। लोगों से खुद जुड़ने और दूसरों को जोड़ने की बात करते थे। पार्टी ने टिकट काट दिया। अब समर्थकों के बीच राष्ट्रभक्ति की बात गोल कर गए। 'मेरा परिवार बीजेपी परिवार' से 'काम बोलता है' पर शिफ्ट हो गए।
शाहजहांपुर के रोशन लाल बीजेपी में थे तो समर्थकों को देशभक्ति बता रहे थे। उन्हें राष्ट्र के लिए मर मिटने की बात बताते थे। लोगों से खुद जुड़ने और दूसरों को जोड़ने की बात करते थे। पार्टी ने टिकट काट दिया। अब समर्थकों के बीच राष्ट्रभक्ति की बात गोल कर गए। ‘मेरा परिवार बीजेपी परिवार’ से ‘काम बोलता है’ पर शिफ्ट हो गए।
सोशल मीडिया पर जितेंद्र वर्मा सक्रिय हैं। सोशल मीडिया पर पार्टी के नारों का ग्राफिक बनाकर पोस्ट करते थे। 'जय बीजेपी-तय बीजेपी' से 'लहर नहीं ललकार होनी चाहिए, यूपी में बीजेपी की सरकार होनी चाहिए' लिखते थे। बीजेपी नहीं पिघली। टिकट काटा तो सुर बदल गए। अब जितेंद्र वर्मा जी 'आ रहे हैं अखिलेश' पर शिफ्ट हो गए।
सोशल मीडिया पर जितेंद्र वर्मा सक्रिय हैं। सोशल मीडिया पर पार्टी के नारों का ग्राफिक बनाकर पोस्ट करते थे। ‘जय बीजेपी-तय बीजेपी’ से ‘लहर नहीं ललकार होनी चाहिए, यूपी में बीजेपी की सरकार होनी चाहिए’ लिखते थे। बीजेपी नहीं पिघली। टिकट काटा तो सुर बदल गए। अब जितेंद्र वर्मा जी ‘आ रहे हैं अखिलेश’ पर शिफ्ट हो गए।
2017 में बीजेपी के टिकट पर जीते तो किसे पता था कि अगले चुनाव में राकेश पार्टी बदलकर आएंगे। अब पार्टी का मन इनसे भर गया, या इनका मन पार्टी से, ये तो राकेश राठौर ही जानें। पहले नगर के नालों की तल तक सफाई करवाते थे अब सपा में आकर बीजेपी को ही साफ करना चाहते हैं।
2017 में बीजेपी के टिकट पर जीते तो किसे पता था कि अगले चुनाव में राकेश पार्टी बदलकर आएंगे। अब पार्टी का मन इनसे भर गया, या इनका मन पार्टी से, ये तो राकेश राठौर ही जानें। पहले नगर के नालों की तल तक सफाई करवाते थे अब सपा में आकर बीजेपी को ही साफ करना चाहते हैं।
मुखिया पहले सपा में थे। मन बदला तो बीजेपी में चले गए। बेटे को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया। खुद में भरोसा था कि बीजेपी हसनपुर सीट पर प्रत्याशी बना देगी, पर अफसोस, ऐसा हुआ नहीं। मुखिया जी टूट गए और पहुंच गए सपा कार्यालय लखनऊ। अब सपा से प्रत्याशी हैं। पहले बीजेपी को विकास का पर्याय बताते थे, अब पानी पी-पीकर कोस रहे हैं।
मुखिया पहले सपा में थे। मन बदला तो बीजेपी में चले गए। बेटे को जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया। खुद में भरोसा था कि बीजेपी हसनपुर सीट पर प्रत्याशी बना देगी, पर अफसोस, ऐसा हुआ नहीं। मुखिया जी टूट गए और पहुंच गए सपा कार्यालय लखनऊ। अब सपा से प्रत्याशी हैं। पहले बीजेपी को विकास का पर्याय बताते थे, अब पानी पी-पीकर कोस रहे हैं।
लोग अब इन्हें राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहने लगे हैं। सियासत भांप लेते हैं। जिस पार्टी में रहते हैं उसके लिए एकदम समर्पित रहते हैं, लेकिन निकलते ही उसकी खटिया खड़ी करने में लग जाते हैं। बीजेपी में थे तो सपा को गुंडो की पार्टी कहते थे। अब सपा में आ गए तो कह रहे, स्वामी रूपी नेवला बीजेपी को यूपी से खत्म करके ही दम लेगा।
लोग अब इन्हें राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहने लगे हैं। सियासत भांप लेते हैं। जिस पार्टी में रहते हैं उसके लिए एकदम समर्पित रहते हैं, लेकिन निकलते ही उसकी खटिया खड़ी करने में लग जाते हैं। बीजेपी में थे तो सपा को गुंडो की पार्टी कहते थे। अब सपा में आ गए तो कह रहे, स्वामी रूपी नेवला बीजेपी को यूपी से खत्म करके ही दम लेगा।

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