कब्रगाह बनी गौशाला से रूह कंपाने वाली रिपोर्ट ..खाने-पीने को तरस रहीं ऐसी ही 500 गायें…..
रिपोर्टर की आंखों के सामने ही गाय लड़खड़ाकर गिरी और तोड़ दिया दम; खाने-पीने को तरस रहीं ऐसी ही 500 गायें…..
भोपाल के बैरसिया के बसई गांव की गौसेवा भारती गौशाला। 100 से अधिक गायों की मौतों की वजह से सुर्खियों में है। गायों की मौत का सिलसिला अब तक थमा नहीं है। दैनिक भास्कर की टीम रविवार रात 1 बजे जमीनी हकीकत जानने गौशाला पहुंची। जहां 500 से अधिक गायें ठंड में कंपकंपाती मिलीं। इन सभी को खुले आसमान के नीचे छोड़ा गया था। रात करीब डेढ़ बजे एक गाय हमारे ही सामने लड़खड़ाकर गिर गई। करीब 10 मिनट बाद उसने दम भी तोड़ दिया। उसका शव बाकी गौ-वंश के बीच पड़ा रहा। वहीं सुबह ट्रॉली भरकर गायों की हड्डियां गौशाला से निकाली गईं।
पढ़िए रूह कंपा देने वाली रिपोर्ट…
भास्कर की टीम जब मौके पर पहुंची तो देखा कि वहां गायें ठंड में कंपकंपा रही थीं। उनके लिए शेड तक की व्यवस्था नहीं थीं। वहां गायों के खाने के लिए भूसा और पीने के लिए पानी तक का इंतजाम नहीं था। जिस जगह चारा डाला जाता है, वहां मिट्टी जमी हुई थी।
गौशाला की सुरक्षा में तैनात पुलिस बल ने बताया कि रात करीब 10 बजे प्रशासन ने गायों के लिए 1 ट्रक भूसा भी भेजा, लेकिन वो गायों को नहीं दिया गया। भूसा ट्रक पर ही लदा रखा था, क्योंकि प्रशासन ने गायों की देखरेख में किसी की ड्यूटी नहीं लगाई थी।
अब तक 100 से ज्यादा गायों की मौत
बता दें, भोपाल के बैरसिया में भाजपा नेत्री निर्मला देवी शांडिल्य की गौशाला में रविवार को कुएं में 20 गायों के शव, वहीं मैदान में 80 से ज्यादा गायों के शव और कंकाल पड़े मिले थे। 8 गायों की मौत शनिवार रात को ही हुई थी। जिसके बाद पुलिस ने गौशाला संचालिका निर्मला देवी पर केस दर्ज किया। वहीं प्रशासन ने गौशाला का संचालन अपने हाथ में ले लिया। निर्मला देवी 20 साल से गौशाला का संचालन कर रही हैं।
प्रशासन ने अधिकार छीना, देखरेख के लिए अमला नहीं
गायों की मौत के बाद प्रशासन ने गौशाला का अधिकार अपने हाथों में ले लिया, लेकिन देखरेख के लिए अमला तैनात नहीं किया। गाय भूख-प्यास से तड़पती रहीं। उन्हें देखने वाला कोई नहीं था। कई गायें भोजन के लिए गौशाला से निकलकर तालाब की तरफ घूमती रहीं। इस दौरान उन्हें रोकने वाला भी कोई नहीं था। कुत्तों का झुंड गायों पर टूट पड़ा।
करीब 10 एकड़ सरकारी जमीन पर कब्जा
गौशाला सरकारी जमीन पर है। करीब 10 एकड़ पर गौशाला के लिए जमीन पर कब्जा किया गया है। तार फेसिंग कर बाड़ा बनाया गया है। आसपास के गांवों के किसान मवेशियों को गौशाला में छोड़ जाते हैं। मवेशी की सेवा के लिए किसान 100-200 रुपए का अनुदान देते हैं।
डेढ़ रुपए मिल रहा, इतने में गाय की सेवा मुश्किल
गौशाला की संचालिका निर्मला देवी रात करीब डेढ़ बजे अपनी गौशाला से बाहर निकलीं। उन्होंने बताया ‘एक गाय की सेवा के लिए प्रशासन से डेढ़ रुपए मिलता है। वह भी दो-तीन साल में। ऐसे में इतने कम पैसे में गाय की सेवा करना मुमकिन नहीं। फिर भी मैं अपने स्तर पर गायों की सेवा कर रही हूं’। वहीं रात में गायों को खुले आसमान के नीचे रखने पर उन्होंने कहा- ‘प्रशासन ने गायों को बाहर रखा है। मैंने गायों के लिए पन्नी लगाकर उनके रहने की व्यवस्था बनाई थी, जिसे प्रशासन ने निकाल दिया’।
गौशाला में गायों के लिए खाना नहीं होने पर उन्होंने कहा कि ‘वो हर रोज भूसा मंगाती हैं’। निर्मला देवी ने भास्कर से बातचीत में बताया कि ‘मैं भाजपा की नेता हूं। 30 साल से सक्रिय कार्यकर्ता रही हूं। भाजपा से ब्लॉक अध्यक्ष रही हूं। मंडी सदस्य भी रही हूं। पहले मंडी वाली और अब गौशाला वाली मैडम के नाम से जानी जाती हूं। ठंड के कारण 3-4 गायें मर गई हैं। हम कितना ध्यान दें। पन्नी (पॉलीथिन) के कारण मौत हो जाती हैं। मैं बुजुर्ग महिला हूं। मुझे परेशान किया जा रहा है। जो आरोप लगा रहे हैं, वो हमारे विरोधी हैं। हमारे पास 400 गायें हैं। अधिकतर गायें किसानों की हैं।’