4 बार की CM मायावती इस बार खामोश क्यों:दो वजहों से BJP को निशाने पर नहीं ले पा रहीं मायावती, पिछले 15 साल से नहीं जीत पाईं कोई बड़ा चुनाव

देश के सबसे बड़े राज्य UP में चुनाव चल रहे हैं, लेकिन मायावती चुप हैं। चुनाव से महज आठ दिन पहले बुधवार को उन्होंने अपनी पहली रैली आगरा में की। ये वही मायावती हैं, जो चार बार UP की CM बन चुकी हैं। तीन दशकों से भी ज्यादा समय से UP की राजनीति में बड़ा चेहरा रही हैं और खुद को दलितों-पिछड़ों का सबसे बड़ा नेता मानती हैं।

अब हालात ये हैं कि बीते 15 सालों से कोई भी बड़ा चुनाव नहीं जीत सकी हैं। आखिर बहनजी चुप क्यों हैं? इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए हमने उन अधिकारियों से बात की जो एक दौर में मायावती के सबसे करीबी रहे हैं। उन्होंने हमे नाम न छापने के अनुरोध पर मायावती के चुप रहने की दो वजहें बताईं।

पहली वजह है, आय से अधिक संपत्ति। करीबियों की मानें तो मायावती और उनके परिवार पर जो आय से अधिक संपत्ति का मामला चल रहा है, उसने उन्हें केंद्र के शिकंजे में कस दिया है, जिस वजह से वो खुलकर भाजपा को घेर नहीं पा रहीं।

दूसरी वजह है, उनका स्वास्थ्य। मायावती अब 66 साल की हो चुकी हैं। कोरोना के चलते भी उन्हें अपने कदम पीछे खींचने पड़े।

सिर्फ ये दो बातें ही नहीं हैं जो बताती हैं कि मायावती चुप हैं, बल्कि कई ऐसे घटनाक्रम भी हैं, जो यह साबित करते हैं कि, मायावती BJP के खिलाफ खुलकर बोल नहीं रहीं। हम 4 ऐसी घटनाएं आपके साथ साझा कर रहे हैं, जो यह साबित करती हैं कि बहनजी बोलने की सिर्फ औपचारिकता निभाती लग रही हैं। इस खबर को पढ़ने से पहले पोल में भी अपनी राय दीजिए।

सिलसिलेवार घटनाओं से जानिए, कब-कब चुप रहीं मायावती और उन्हीं घटनाओं पर दूसरी विपक्षी पार्टियों का रिएक्शन क्या रहा…

छह जनवरी 2022, पंजाब में PM की सुरक्षा चूक
पंजाब में PM नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में हुई चूक पर मायावती सिर्फ सोशल मीडिया पर बयान शेयर कर फॉर्मेलिटी करती लगीं। उन्होंने लिखा, ‘PM नरेंद्र मोदी के पंजाब दौरे पर हुई सुरक्षा चूक अति-चिंतनीय है। इस घटना को पूरी गंभीरता से लेकर इसकी उच्च-स्तरीय निष्पक्ष जांच जरूरी है ताकि दोषियों को उचित सजा मिल सके और आगे फिर ऐसी घटना का दोहराव न हो।’

कांग्रेस का क्या रिएक्शन था: कांग्रेस ने इस मामले में सीधे PM को घेरने की कोशिश की। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि BJP और प्रधानमंत्री को अपने ‘किसान विरोधी रुख’ पर आत्ममंथन करना चाहिए। सड़क मार्ग का उपयोग करना प्रधानमंत्री के पहले से तय कार्यक्रम का हिस्सा नहीं था खुद मोदी ने सड़क मार्ग से जाने का फैसला अचानक किया। पंजाब में कुर्सियां खाली थीं, लोग नहीं पहुंचे थे। इसलिए BJP की ओर से ऊलजलूल बातें की जा रही हैं।’

20 नवंबर 2021, विवादित कृषि कानूनों की वापसी
देश में तीव्र आंदोलन के बाद तीन विवादित कृषि कानूनों की वापसी हुई। केंद्र सरकार की घोषणा का ‘देर आए दुरुस्त आए’ कहकर स्वागत किया, लेकिन इसे चुनावी स्वार्थ और मजबूरी का फैसला बताकर BJP की नीयत पर शक भी जताया। उन्होंने केंद्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य सुनिश्चित करने के लिए नया कानून बनाने और आंदोलनकारी किसानों पर दर्ज सभी मुकदमे वापस लेने की मांग भी उठाई।

कांग्रेस का क्या रिएक्शन था: सुरजेवाला ने कहा कि पिछले एक साल से जारी किसानों का संघर्ष काम आया। अब BJP की हार ही देश की जीत है। मोदी सरकार से उन्हें सिर्फ यातनाएं मिलीं। मोदी सरकार ने किसानों पर लाठीचार्ज कराए, दिल्ली के बॉर्डर खुदवा दिए और किसानों के सिर फोड़ने के आदेश दिए। किसानों को आतंकी, नक्सलवादी, आंदोलनजीवी कहा गया।

22 जून 2021, कोरोना वैक्सीन मामला
देश में कोरोना वैक्सीन के निर्माण के साथ ही टीकाकरण आदि को लेकर विवाद, राजनीति, आरोप-प्रत्यारोप पर उन्होंने केंद्र सरकार को नसीहत के अंदाज में बयान दिया। उन्होंने कहा कि सभी दलों के साथ सत्ता में काबिज BJP की केंद्र और राज्य सरकार वैक्सीन का लाभ जन-जन तक पहुंचाने का चौतरफा प्रयास करे।

कांग्रेस का क्या रिएक्शन था: कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी ने PM नरेंद्र मोदी को वैक्सीनेशन और टेस्टिंग को लेकर कई बार चिट्‌ठी लिखी और कांग्रेस शासित राज्यों में पार्टी नेताओं को भी सक्रिय रखा।

22 जून 2020, चीन के साथ विवाद
15 जून 2020 को लद्दाख में चीनी सेना के साथ संघर्ष में कर्नल समेत 20 सैन्यकर्मियों की शहादत पर मायावती ने कहा कि इस घटना से पूरा देश दुखी, चिंतित और आक्रोशित है। सरकार और विपक्ष, दोनों को पूरी परिपक्वता और एकजुटता से काम करना जरूरी है ताकि देश-दुनिया में सरकार का कदम प्रभावी साबित हो।

उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन एवं चुनौतीपूर्ण समय में लोगों और विशेषज्ञों की राय अलग-अलग हो सकती है, लेकिन मूल रूप से ये सरकार पर छोड़ देना बेहतर है कि वो देशहित और सीमा की रक्षा हर हाल में करे, जो सरकार का दायित्व भी है।

कांग्रेस का क्या रिएक्शन था: सुरजेवाला ने चीन विवाद पर केंद्र से सवाल पूछा। केंद्र सरकार क्यों चुप्पी साधे है। चीनी सैनिकों के हमले में शहीद हुए सेना के अधिकारी और जवानों के लिए देश दुखी है, लेकिन प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने पूरी तरह से चुप्पी साध ली।

सोशल इंजीनियरिंग फेल, वोट प्रतिशत भी गिरा

  • UP में BSP 2007 के बाद से ही कोई बड़ा चुनाव नहीं जीत पाई है। 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा के साथ गठबंधन करके पार्टी ने 10 सीटें जीतीं, लेकिन जल्दी ही पार्टी ने सपा से नाता तोड़ लिया।
  • इसके बाद से ही मायावती के रुख में बदलाव दिखा। वह सीधे तौर पर BJP की राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधने से बचने लगीं।
  • अगर उन्होंने BJP को कभी निशाने पर लिया भी, तो कांग्रेस और सपा को भी साथ में जरूर कोसा। ऐसे कई मौके भी आए जब मायावती BJP के प्रति सॉफ्ट नजर आईं।

कोर वोटर को भी सता रही कांशीराम की याद

  • उत्तर प्रदेश में दलितों की 64 जातियां हैं। कांशीराम के समय BSP सभी दलित जातियों की राजनीति करती थी।
  • तब BSP का टिकट जीत की गारंटी माना जाता था, लेकिन मायावती ने कमान संभालने के बाद केवल जाटव समाज को प्रमुखता दी। अब केवल जाटव के दम पर BSP चुनावी मैदान में उतरती है।
  • जाटव जाति की आबादी दलितों में करीब 18 फीसदी है। ऐसे में BSP केवल उन्हीं प्रत्याशियों पर दांव लगाती रही है, जिनकी सामाजिक पकड़ मजबूत होती है।
  • वहीं, BJP ने इसका फायदा उठाते हुए गैर जाटव और गैर यादव का नारा बुलंद किया और अन्य दलित जातियों को साध लिया।

किसी को बहुमत न मिला, तब क्या करेंगी मायावती

  • अब तक के जो तमाम सर्वे आए हैं, उसमें BJP को सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर दिखाया जा रहा है, जबकि सपा को दूसरे नंबर पर आंका जा रहा है।
  • ऐसे में अगर चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला, तब मायावती किसकी साइड लेंगी, ये बड़ा सवाल है। एक तरह से मतगणना, यानी 10 मार्च के बाद मायावती की असली अग्नि परीक्षा शुरू होगी।

भाजपा से मायावती के पुराने सियासी रिश्ते, चार बार रहीं CM

  • मायावती और भाजपा के बीच पुराने सियासी रिश्ते रहे हैं। मायावती उत्तर प्रदेश की चार बार CM रह चुकी हैं। मायावती जून 1995 में गेस्ट हाउस कांड के बाद पहली बार CM भाजपा के समर्थन से ही बनी थीं। तब उनका कार्यकाल महज 4 महीने का था।
  • दूसरी बार 1997 में भी भाजपा के समर्थन से बनीं। तीसरी बार 2002 में मुख्यमंत्री बनीं। 2007 में पहली बार उत्तर प्रदेश में बसपा की पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनी और चाैथी बार मायावती CM बनीं।

मायावती की चुप्पी पर प्रियंका ने भी उठाए सवाल

  • मायावती की चुप्पी पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी सवाल खड़े कर चुकी हैं, जिस पर मायावती ने भी पलटवार किया। 21 जनवरी को प्रियंका ने कहा कि, ‘राज्य में चुनावों के बीच भी बसपा शांत बनी हुई है। बसपा प्रमुख मायावती चुनावों में अपने सामान्य अंदाज में प्रचार नहीं कर रही हैं बल्कि चुप हैं।’
  • बोलीं, ‘छह-सात महीने पहले हम सोचते थे कि उनकी पार्टी सक्रिय नहीं है, शायद वे चुनाव के करीब शुरू हो जाएं, लेकिन अब हम भी बहुत हैरान हैं कि चुनाव शुरू हो चुका है। इसके बावजूद वो सक्रिय नहीं हैं। यह संभव है कि भाजपा सरकार उन पर दबाव बना रही हो।’

23 जनवरी 2022 को मायावती का प्रियंका पर पलटवार

  • बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक दिन बाद ही प्रियंका गांधी पर पलटवार किया। कहा कांग्रेस वोट काटने वाली पार्टी, लोग अपना वोट खराब न करें। UP विधानसभा आम चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हालत इतनी ज़्यादा खस्ताहाल बनी हुई है कि इनकी CM की उम्मीदवार ने कुछ घंटों के भीतर ही अपना स्टैंड बदल डाला है। ऐसे में बेहतर होगा कि लोग कांग्रेस को वोट देकर अपना वोट ख़राब न करें, बल्कि एकतरफा तौर पर BSP को ही वोट दें।

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