जबलपुर/होशंगाबाद….. रेवा को नदी रहने दीजिए… नाला मत बनाइए:जबलपुर और होशंगाबाद मां का आंचल गंदा करने में सबसे आगे; जहां लोग करते हैं आचमन, वहीं सबसे अधिक गंदगी

जबलपुर/होशंगाबाद…..

मध्यप्रदेश की जीवन रेखा मां नर्मदा के आंचल में रोज 162 मिलियन लीटर सीवेज की गंदगी हम मिला रहे। सबसे आगे जबलपुर है। यहां 136 मिलियन लीटर गंदगी, घरों की सीवेज नालों के जरिए सीधे मां नर्मदा में मिला रहे हैं। इसके बाद होशंगाबाद का नंबर है। यहां 10 मिलियन लीटर गंदगी मिल रही है। जहां लोग नर्मदा में नहाते और आचमन करते हैं, वहीं सबसे अधिक गंदगी मिल रही है। मां नर्मदा में गंदगी रोकने के दावे किए गए पर अभी धरातल पर काम पूरा नहीं हो पाया।

अमरकंटक की विंध्य और सतपुड़ा की पहाड़ी से मां नर्मदा का उद्गम एक छोटे से कुंड से हुआ। पर अपनी विशाल जलधारा से वह एमपी व गुजरात की जीवन रेखा बन गईं। बसंती पंचमी के तीसरे दिन हर साल नर्मदा जयंती मनाई जाती है। मां के प्रति अटूट श्रद्धा को हम गंदगी से खंडित कर रहे हैं। तीन महीने पहले एनजीटी में पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने नर्मदा में मिल रहे सीवेज को लेकर एक रिपोर्ट पेश की थी। इस रिपोर्ट में बताया गया कि एमपी में नर्मदा में रोज 162 लीटर से अधिक सीवेज मिल रहा है। लीटर में बात करें तो यह 162 करोड़, 12 लाख 39 हजार लीटर होता है।

तिलवारा घाट में सीधे नाले की गंदगी नर्मदा नदी में मिलती है।
तिलवारा घाट में सीधे नाले की गंदगी नर्मदा नदी में मिलती है।

शहडोल और जबलपुर संभाग के पांच जिलों में 33 छोटे-बड़े नालों का गंदा पानी नर्मदा में पहुंच रहा है। नर्मदा में सर्वाधिक सीवेज छोड़ने के लिए जबलपुर शहर सर्वाधिक जिम्मेदार है, यहां प्रतिदिन 136 एमएलडी सीवेज डायरेक्ट नदी में बहाया जा रहा है। इसके बाद होशंगाबाद का नंबर आता है, जहां रोजाना 10 एमएलडी सीवेज नदी में छोड़ा जा रहा है।

ग्वारीघाट में इस तरह नाले की गंदगी के बीच लोग आचमन को मजबूर।
ग्वारीघाट में इस तरह नाले की गंदगी के बीच लोग आचमन को मजबूर।

नर्मदा का केवल धार्मिक और पारिस्थितिक महत्व ही नहीं, बल्कि यह हमारे आपके स्वास्थ्य से भी इसका सीधा ताल्लुक है। क्योंकि मंडला, होशंगाबाद, जबलपुर, भोपाल और इंदौर में पेयजल के लिए नर्मदा जल की आपूर्ति की जाती है।

ट्रीटमेंट प्लांट से ओवरफ्लो होकर गंदगी नर्मदा में मिल रही है।
ट्रीटमेंट प्लांट से ओवरफ्लो होकर गंदगी नर्मदा में मिल रही है।

जबलपुर में यहां सबसे अधिक गंदगी

जबलपुर नगर निगम ने 10 साल में सिर्फ एक नाले को नर्मदा में मिलने से रोका है। ग्वारीघाट पर आसपास की बस्ती से निकलने वाले सीवेज का 3 लाख लीटर पानी ही ट्रीट हो पा रहा है। जबलपुर शहर में 200 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है। 150 एमएलडी गंदा पानी ओमती, मोतीनाला और करौंदा नाला के जरिए परियट नदी, फिर हिरन और 26 किमी दूर नर्मदा में मिलता है। गौर-परियट से शहर की 200 डेयरियां की गंदगी गौर में नर्मदा में मिलती है।

अतिक्रमण भी गंदगी की एक बड़ी वजह

नर्मदा में गंदगी की एक बडी वजह नर्मदा तटों पर बढ़ता अतिक्रमण भी है। होशंगाबाद शहर में भी नदी तटों पर लगातार अतिक्रमण का खेल चल रहा है। जिनकी सारी गंदगी नदी में समाती है। ओंकारेश्वर क्षेत्र में नदी के 65 फीसदी किनारे अतिक्रमण का शिकार हैं। होशंगाबाद में भी जहां लोग नहाते हैं। वहीं पर गंदगी मिलती है। यहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण चल रहा है। पर अभी काम पूरा नहीं हो पाया है।

होशंगाबाद में रोज 10 एमएलडी सीवेज नर्मदा में मिल रहा।
होशंगाबाद में रोज 10 एमएलडी सीवेज नर्मदा में मिल रहा।

होशंगाबाद में पहुंच रहे सीएम, गंदगी नहीं रोक पाया प्रशासन

सवा लाख की आबादी वाले होशंगाबाद शहर में रोजाना 10 एमएलडी सीवेज पानी नर्मदा नदी में बहा दिया जाता है। सीवेज सेठानीघाट के पास के पर्यटन स्थल (कोरीघाट) में मिलता है। होशंगाबाद में नर्मदा परिक्रमा के समय सीएम शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2018 में नर्मदा को प्रदूषण मुक्त करने को लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की घोषणा की थी।

इस तरह शहर की गंदगी मिल रही नर्मदा में।
इस तरह शहर की गंदगी मिल रही नर्मदा में।

राज्य सरकार ने तकरीबन 172 करोड़ रुपए की राशि भी मंजूर कर दी थी। लेकिन 4 साल बाद भी एसटीपी का काम महज 19 फीसदी ही पूरा हो पाया है। होशंगाबाद में भीलपुरा के पास नाले का पानी सीधे नर्मदा में मिल रहा है। कलेक्टर होशंगाबाद नीरज कुमार सिंह ने कहा कि ठेका कंपनी को अंतिम चेतावनी जारी की गई है।

ओंकारेश्वर में गंदे जल को स्वच्छ समझ कर श्रद्धालु नहा रहे।
ओंकारेश्वर में गंदे जल को स्वच्छ समझ कर श्रद्धालु नहा रहे।

ओंकारेश्वर में श्रद्धालु गंदे पानी को पवित्र समझ नहा रहे

तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के गौमुख तट पर हर दिन श्रद्धालुओं की भावनाएं आहत हो रही है। ओंकारेश्वर बांध से नर्मदा कावेरी संगम तक 2 किमी क्षेत्र में ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर व ममलेश्वर महादेव के दोनों किनारे पर कुल 10 घाट है। 5 से 7 हजार श्रद्धालु नर्मदा नदी में आस्था की डुबकी लगाते हैं। यहां 4 ट्रीटमेंट प्लांट बने हैं। पर कोटीतीर्थ घाट, ब्रम्हपुरी घाट,चक्रतीर्थ घाट, केवलराम घाट,पिछला घाट, नागर घाट, बिशल्या घाट पर ड्रेनेज का गंदा पानी सीधे नदी में मिल रहा है।

ओंकारेश्वर में घाट पर ही मिल रही गंदगी।
ओंकारेश्वर में घाट पर ही मिल रही गंदगी।

पुजारी बोले- अपवित्र होकर लौटते हैं श्रद्धालु

पुजारी पं.राहुल अरुण जोशी के मुताबिक श्रद्धालु यहां से अपवित्र होकर लौटते हैं। नर्मदा जयंती पर केवलराम घाट पर मुख्य आयोजन होता है। 20 कदम की दूरी पर नदी में गंदा पानी मिलता है। महाआरती के बाद श्रद्धालु इसी गंदे पानी का आचमन करते हैं। नगर पालिका सीएमओ मोनिका पारधी के मुताबिक 02 एचटीटीपी प्लांट एमपी यूडीसी बना रही है। विधायक नारायण पटेल ने कहा कि एचटीटीपी से निकला पानी दूसरी जगह छोडने पर चर्चा हुई हैं।

इस तरह मिल रही गंदगी

अमरकंटक- 2 नाले, एक छोटा, दूसरा बड़ा। यह हुआ – सीएम ने 21 जनवरी 2021 को कलेक्टर को निर्देश दिए थे कि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट छह माह में बन जाए। अभी तक नहीं बन पाया।

डिंडौरी- 7 नाले – डिंडौरी में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट 32 करोड़ से बनना है। 2018 से काम शुरू, 2020 तक पूरा होना था। अभी 50 प्रतिशत काम भी नहीं हुआ।

मंडला-12 नाले-मंडला में नर्मदा में वैसे 16 नाले मिल रहे हैं लेकिन 2016 में ट्रीटमेंट प्लांट बनने के बाद चार नालों का पानी ट्रीट हो रहा है। 12 नालों का पानी अब भी नर्मदा में मिल रहे हैं।

नरसिंहपुर- बरमान घाट पर 1 और झांसी घाट 1-बरमान में पंचायत ने टैंक बनवाया था लेकिन यह कारगर साबित नहीं हो रहा है। अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने नदी के पानी की स्वच्छता की जांच करता है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड हर महीने नदी के पानी की स्वच्छता की जांच करता है।

16 जिलों में 50 पाइंट पर प्रदूषण की जांच

अमरकंटक से आलीराजपुर तक 16 जिलों में 50 पाइंट पर मप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड जांच करता है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के वैज्ञानिक डॉ. एसके खरे के मुताबिक वर्तमान में नर्मदा नदी का जल स्तर ग्रेड “ए’ क्वालिटी का है। केंद्रीय गाइडलाइन के अनुसार नर्मदा नदी के मध्य से जलस्तर का मापन किया जाता है। नर्मदा जल का मापन घाट के 100 मीटर की दूरी पर नदी के मध्य से लिया जाता है। नरसिंहपुर तक नर्मदा की जांच में ए ग्रेड मिलता है वहीं जैतगांव से रामनगर के बीच पानी डी ग्रेड है। होशंगाबाद, बुधनी जिले के 7 स्थानों की जांच में नर्मदा का पानी बी और डी ग्रेड का मिल रहा है।

एमपी में मां नर्मदा में इस तरह मिल रही गंदगी।
एमपी में मां नर्मदा में इस तरह मिल रही गंदगी।

कहां कितनी गंदगी मिल रही

ओंकारेश्वर 0.32 एमएलडी, महेश्वर 4.8 एमएलडी, बड़वाह में 3.2 एमएलडी, बड़वानी में 3.6 एमएलडी, नेमावर में 0.98 एमएलडी, बुधनी में 1.5 एमएलडी, जबलपुर में 136 एमएलडी, भेड़ाघाट में 0.63 एमएलडी, डिंडौरी में 8.03 एमएलडी, होशंगाबाद में 10 एमएलडी, खलघाट धार में 1.7 एमएलडी और धरमपुरी में 1.7 एमएलडी में सीवरेज रोज मिल रहा है।

एनजीटी के इस आदेश को हवा में उड़ाया

एनजीटी ने नर्मदा के प्रवाह से जुड़े सभी जिलों के कलेक्टरों को आदेश दिया था कि वे अपने-अपने इलाके में नदी के फ्लड जोन का सीमांकन कराएं, इसके बाद इस जोन में आने वाले सभी अतिक्रमणों को हटाने की कार्रवाई सुनिश्चित करें। नर्मदा किनारे वाले जिलों के कलेक्टर्स को पांच बिंदुओं पर कार्रवाई के निर्देश दिए थे।

  • फ्लड जोन का सीमांकन कर उनमें हुए अतिक्रमणों पर संबंधित अधिकारियों को जवाबदेही तय करें।
  • जल गुणवत्ता पर कलेक्टर्स कार्रवाई करें।
  • सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर एक्शन प्लान कलेक्टर्स बनाएं।
  • जबलपुर के ग्वारीघाट, तिलवाराघाट के सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट संबंधी कार्रवाई करें।
  • होशंगाबाद में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को जल्द पूरा कर चालू कराएं।

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