आशीष मिश्रा की रिहाई पर ताला … लखीमपुर खीरी में हत्या समेत कई धाराओं में दर्ज है मुकदमा, किसान पक्ष के वकील बोले- अभी बाहर नहीं होंगे मंत्रीपुत्र

लखीमपुर खीरी कांड में गृह राज्यमंत्री अजय मिश्र उर्फ टैनी के बेटे आशीष मिश्र उर्फ मोनू को गुरुवार को हाईकोर्ट से जमानत मिल गई है। हालांकि, मंत्री पुत्र के जेल से बाहर आने में अभी कुछ और वक्त लग सकता है। हाईकोर्ट ने आशीष मिश्र को IPC की धारा 147, 148, 149, 307स, 326, 427, दफा 34 और 30 आर्म्स एक्ट में जमानत दी है। ऑर्डर कॉपी में कहीं भी IPC की धारा 302 (हत्या) और 120बी (षडयंत्र) का जिक्र कहीं नहीं है।

आशीष मिश्र के अधिवक्ता अवधेश सिंह ने ‘दैनिक भास्कर’ को बताया कि यह आदेश में लिपिकीय त्रुटि है, जो दो सेक्शन लिखने से रह गए। जमानत ऑर्डर में सुधार के लिए आज ही HC की लखनऊ खंडपीठ में एक एप्लीकेशन दे दी गई है। इसके बाद संशोधित ऑर्डर कॉपी जारी रहेगी। नया आदेश जारी होने के बाद ही वे बेल बॉन्ड फाइल कर पाएंगे। उसके बाद संशोधित आदेश की कॉपी जेल पहुंचाई जाएगी और तब आशीष मिश्र बाहर आ सकेगा।

SIT ने हत्या को सुनियोजित साजिश माना है। कुल 14 अभियुक्तों को आरोपी बनाया गया था।

लखीमपुर खीरी कांड में जलाई गई जीप। (फाइल फोटो)
लखीमपुर खीरी कांड में जलाई गई जीप। (फाइल फोटो)

आशीष मिश्रा मोनू की तरफ से भी हाईकोर्ट में एक प्रार्थनापत्र देकर धारा 147, 148, 149, 279,338, 302,304 ए, 120 बी में जमानत देने का अनुरोध भी किया गया था। जमानत इन धाराओं में न होकर ऊपर लिखी धाराओं में हुई है। हाईकोर्ट में मोनू की तरफ से बृज मोहन मिश्रा, प्रभु रंजन त्रिपाठी, सलिल कुमार श्रीवास्तव आदि अधिवक्ताओं ने पैरवी की।

किसान पक्ष से शशांक सिंह, मोहम्मद अमान ने पैरवी की। अतः रिहाई का प्रश्न ही नहीं उठता। शशांक ने बताया कि चार्जशीट में 17 वैज्ञानिक साक्ष्य, 7 भौतिक साक्ष्य, 24 वीडीयो व 208 गवाह हैं। बेल देने का पुरजोर विरोध होगा। किसान पक्ष के वकील जल्द ही बेल रिजेक्शन एप्लीकेशन हाईकोर्ट में प्रस्तुत करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई में लग जाएगा एक महीना

HC के जमानत आदेश के खिलाफ SC कोर्ट में अपील याचिका दायर होने की प्रक्रिया क्या रहती है, हमने इस पर सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता संजीव चौधरी से बातचीत की। उन्होंने बताया कि किसान पक्ष की ओर से जब पिटिशन फाइल होगी तो सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट इस पर यह विचार करेगा कि पिटिशन स्वीकार करने योग्य है अथवा नहीं। पिटिशन दाखिल होने से उसके स्वीकार या खारिज होने में कम से कम तीन से चार दिन लग जाते हैं।

यदि सुप्रीम कोर्ट पिटिशन स्वीकारता है तो सभी पक्षों को नोटिस भेजे जाएंगे। नोटिस भेजने के बाद दूसरी तारीख कम से कम 15 दिन की लगेगी, जिसमें सभी पक्षों को अपना लिखित जवाब देना होगा। जवाब दाखिल होने के बाद बहस पर एक और तारीख लगेगी। इसमें सुप्रीम कोर्ट सारे पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला देगा। कुल मिलाकर इस प्रक्रिया में 20 दिन से एक महीने तक का समय लग सकता है।

बता दें कि मामले में नक्षत्र सिंह, दलजीत सिंह, लवप्रीत सिंह, गुरविंदर सिंह, रमन कश्यप की थार से कुचल कर मौत हो गयी थी। बेल की खबर आते ही मृत किसानों व पत्रकार के परिजन बेहद दुखी हो गए। पत्रकार रमन कश्यप के भाई पवन ने कहा कि मंत्री नहीं हटे और उनका दोषी बेटा भी अब बाहर आ जाएगा। मृत किसान नक्षत्र सिंह के बड़े बेटे जगदीप ने कहा कि वह आदेश पर कुछ नहीं कहेंगे, पर कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे।

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