मंत्री टेनी के बेटे आशीष को जमानत … हाईकोर्ट के जज ने कहा- संभव है गाड़ी बचने के लिए भगाई हो और किसान कुचले गए हों
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र को जमानत मिल गई है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने आशीष मिश्रा को निजी मुचलके और दो जमानत पत्र दाखिल करने पर जमानत दे दी है। आशीष लखीमपुर में किसानों को थार गाड़ी से रौंदने के मामले में मुख्य आरोपी था। वह 130 दिन से जेल में बंद है। हाईकोर्ट ने 18 जनवरी 2022 को आशीष की जमानत अर्जी पर सुनवाई के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया था। इस पर आज जस्टिस राजीव सिंह सिंह की एकलपीठ ने फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान का जिक्र किया
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि एफआईआर में आरोप है कि आशीष मिश्र गाड़ी बाईं सीट पर बैठा गोली चला रहा था और उसकी गोली से गुरविंदर सिंह नाम के एक शख्स की मृत्यु भी हुई। जबकि मृतकों अथवा घटनास्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति को गोली की चोट नहीं आई है। घटना में कुल 8 की मौत हुई थी। इसमें 4 भाजपा कार्यकर्ता, 3 किसान और एक पत्रकार था।13 लोग घायल भी हुए थे। कोर्ट ने अपने आदेश में पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट व पोस्टमॉर्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान का भी जिक्र किया है।
आशीष मिश्र के खिलाफ गाड़ी चढ़ाने के लिए उकसाने का सबूत नहीं
कोर्ट ने महत्वपूर्ण टिप्पणी भी की है कि कि अगर अभियोजन की पूरी कहानी को स्वीकार किया जाए, तो स्पष्ट है कि घटनास्थल पर हजारों प्रदर्शनकारी मौजूद थे। ऐसे में यह भी संभव है कि ड्राइवर ने बचने के लिए गाड़ी भगाई हो और यह घटना घटित हो गई हो। याची की ओर से दलील भी दी गई थी कि प्रदर्शनकारियों में कई लोग तलवारें और लाठियां लेकर जमा थे। बहस के दौरान यह भी कहा गया था कि ऐसा कोई भी साक्ष्य एसआईटी ने नहीं संकलित किया है, जिससे यह साबित हो सके कि आशीष मिश्रा ने गाड़ी चढाने के लिए उकसाया हो।
कोर्ट ने आगे कहा कि थार गाड़ी में बैठे तीन लोगों की हत्या को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। केस डायरी के साथ मौजूद फोटोग्राफ्स से पता चलता है कि ड्राइवर हरिओम मिश्रा, शुभम मिश्रा और श्याम सुंदर की हत्या प्रदर्शकारियों ने कितनी निर्दयता से की है।
रिटायर जज की निगरानी में बनी कमेटी ने की जांच
उल्लेखनीय है कि इस घटना की जांच सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश कुमार जैन की निगरानी में हुई है। वहीं, जांच को महाराष्ट्र के एडीजी इंटेलिजेंस एसबी शिराडकर ने आईपीएस अधिकारियों डॉ. प्रीतिंदर सिंह व पद्मजा चौहान ने सुपरवाइज किया है।
खीरी जिला प्रशासन को लगाई फटकार
कोर्ट ने खीरी जिला प्रशासन की भी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि बिना अनुमति के कुछ लोगों ने राजनीतिक फायदे के लिए बेगुनाह लोगों को विरोध प्रदर्शन के लिए बुला लिया, जबकि सीआरपीसी की धारा 144 पहले से लागू थी। हजारों लोगों को दूसरे जनपदों और यहां तक कि दूसरे राज्यों से बुलाया गया और यह बात जिला प्रशासन को अच्छी तरह पता थी।
बावजूद इसके उसने इसे रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और न ही आयोजनकर्ताओं पर कोई कार्रवाई की। कोर्ट ने मुख्य सचिव को भी आदेश दिया है कि इस प्रकार के जमावड़े और प्रदर्शन के लिए दिशा-निर्देश जारी किए जाएं।
आशीष के वकील की दलील- ड्राइवर को उकसाने के सबूत नहीं
कोर्ट में सुनवाई के दौरान आशीष के वकील ने कहा कि उसका क्लाइंट निर्दोष है। इस बात के कोई सबूत नहीं है कि आशीष मिश्र ने ड्राइवर को प्रदर्शनकारी किसानों को गाड़ी से रौंदने के लिए उकसाया था। वहीं, जमानत का विरोध करते हुए एडिशनल एडवोकेट जनरल वीके शाही ने कहा कि घटना के वक्त आशीष मिश्र उसी गाड़ी में था, जिसने किसानों को रौंदा था।
प्रियंका ने साधा भाजपा पर निशाना, कहा- मंत्री का बेटा अब खुला घूमेगा
उधर, इस मामले में राजनीति तेज हो गई है। आशीष की जमानत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर निशाना साधा है। प्रियंका गांधी ने कहा कि मैं PM मोदी से पूछना चाहती हूं कि कोई नैतिकता है या नहीं? PM मोदी में क्या देश और देशवासियों के प्रति, किसानों के प्रति कोई नैतिक जिम्मेदारी है? आपके मंत्री के बेटे ने किसानों के साथ ऐसा किया। सबसे पहले तो आप उन्हें गिरफ्तार करने के लिए तैयार नहीं थे। मंत्री के बेटे को आज जमानत मिल गई, अब वो खुला घूमेगा।
राकेश टिकैत ने उठाए सवाल
आशीष की जमानत को लेकर किसान नेता राकेश सिंह टिकैत ने तुरंत सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि वह इस बात को वे UP में भाजपा के खिलाफ प्रचारित करेंगे। उन्होंने गंभीर मामले में जल्दी जमानत मिलने की बात कहकर सवाल उठाया कि कोई आम आदमी होता तो क्या इतनी जल्दी बेल मिलती? वह एक टीवी चैनल से बात कर रहे थे। उन्होंने कहा कि कोर्ट पर क्या कह सकते हैं, बेल दे दी।
हमारा तो यह कहना है कि 302 के इतने गंभीर मामले में दूसरे लोगों को बेल मिली हो तो ठीक है, नहीं मिली हो तो देख लो। चुनाव में इस मुद्दे को लेकर उन्होंने कहा कि हां, हमारा प्रचार का मुद्दा यह रहेगा। क्यों नहीं रहेगा? इतनी जल्दी कौन से तथ्य सामने आ गए, इतनी जल्दी किसी और को जमानत मिलती हो, इस तरह के केस में तो देखने वाले तथ्य हैं।
लखीमपुर में 3 अक्टूबर को भड़की थी घटना के बाद हिंसा
लखीमपुर में 3 अक्टूबर (रविवार) को किसानों ने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा का विरोध करते हुए काले झंडे दिखाए थे। इसी दौरान एक गाड़ी ने किसानों को कुचल दिया था। इस घटना में चार किसानों की मौत हो गई थी। इसके बाद हिंसा भड़क गई थी। इस हिंसा में एक पत्रकार समेत 4 अन्य लोगों की भी मौत हुई थी। इस मामले में मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा समेत 14 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।
जांच कर रही SIT ने बताया था सोची समझी साजिश
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर में हुई हिंसा की जांच कर रही SIT ने सोची-समझी साजिश बताया था। SIT के जांच अधिकारी ने 14 दिसंबर को आरोपियों के खिलाफ धाराएं बढ़ाने के लिए कोर्ट में अर्जी दी थी। कोर्ट ने ये अर्जी स्वीकार कर ली थी। इससे ये साफ हो गया था कि आशीष व उसके साथियों के खिलाफ दर्ज FIR में गैर इरादतन हत्या का केस चलेगा। नई धाराओं के बाद लोअर कोर्ट से जमानत याचिका खारिज हो गई थी।
सुप्रीम कोर्ट में भी चल रही है सुनवाई
लखीमपुर हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया था। अक्टूबर से लेकर अब तक टॉप कोर्ट में तीन बार सुनवाई भी हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने SIT को धीमी जांच के लिए फटकारा था। अब कोर्ट में SIT को जांच प्रगति की रिपोर्ट दाखिल करनी है।